लखनऊ, 15 जून। हिन्दी के प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक , कहानीकार और आलोचक नीलकांत के निधन पर जन संस्कृति मंच (जसम) ने शोक व्यक्त किया है। कल जसम लखनऊ की बैठक में उन्हें याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
बैठक की अध्यक्षता शैलेश पंडित ने की। इस अवसर पर कौशल किशोर, सत्य प्रकाश चौधरी, फरजाना महदी, ए शर्मा और सुचित माथुर उपस्थित थे।
नीलकांत जी करीब नब्बे साल के थे। दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ। उन्होंने देहदान किया था। उनका जन्म जौनपुर जिले के बराईं गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। नीलकांत ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम ए किया था। इलाहाबाद के देवनगर, झूंसी में उनका आवास था। नीलकांत प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय के छोटे भाई थे।
जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने उन्हें याद करते हुए कहा कि नीलकांत जी अपने प्रखर विचारों के लिए ख्यात थे। इलाहाबाद और उसके बाहर उन्हें चाहने वालों का बड़ा समाज है। अपने विचार और कृतियों के माध्यम से वे हमारे बीच रहेंगे। उन्होंने कहानियां लिखी हैं। ‘महापात्र’, ‘अजगर बूढ़ा और बढ़ई’, ‘हे राम’, ‘मटखन्ना’ शीर्षक से कहानी-संग्रह हैं। वहीं ‘बंधुआ रामदास’, ‘एक बीघा गोंइड़’, ‘बाढ़ पुराण’ उपन्यास हैं। उनकी आलोचना-पुस्तकें हैं ‘सौन्दर्यशास्त्र की पाश्चात्य परंपरा’, ‘रामचन्द्र शुक्ल’, ‘राहुल: शब्द और कर्म’। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।
जसम की बैठक में ईरान पर इजराइली हमले की निंदा की गई। उसकी ओर से जारी बयान में कहा गया कि फिलिस्तीन पहले ही इजराइल के जुल्मो-सितम से गुजर रहा है और अब ईरान को बेवजह तबाहो-बर्बाद किया जा रहा है। इन हमलों में बड़ी तादाद में बच्चे, औरतें और आम नागरिक मारे जा रहे हैं। पश्चिम एशिया को जंग की इस नयी आग में झोंकने का जिम्मेदार अमेरिका है, जिसकी शह पर इजराइल काम कर रहा है। भारत सरकार का इजराइल की निंदा से बचना और ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने से जुड़े प्रस्ताव पर अलग रहना, दुखद है। जसम मांग करता है कि भारत इजराइल-मोह छोड़कर इंसाफ और इंसानियत के हक में खड़ा हो।