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भारत बंद :  यूपी में माले कार्यकर्ता सड़क पर उतरे, राज्य सचिव सहित सैकड़ों गिरफ़्तार

लखनऊ। मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों व बिजली बिल 2000 के खिलाफ आंदोलनरत किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान को लागू कराने के लिए भाकपा (माले) के कार्यकर्ता मंगलवार को पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरे और गिरफ्तार किए गए।
राजधानी लखनऊ में पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव सहित कई नेताओं को पुलिस ने परिवर्तन चौक से बंद के समर्थन में मार्च निकालते हुए गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ माले के जिला प्रभारी रमेश सेंगर, राज्य कमेटी सदस्य राधेश्याम मौर्य, ऐपवा नेता कामरेड मीना, आइसा राज्य सचिव शिवा रजवार, आरवाईए नेता राजीव गुप्ता, ऐक्टू जिला संयोजक मधुसूदन मगन, एडवोकेट कामिल सहित दर्जनों कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। सभी को पुलिस गाड़ियों में भरकर ईको गार्डेन ले गयी।
प्रयागराज (इलाहाबाद) में उत्तर मध्य रेलवे के डीआरएम कार्यालय के सामने से मार्च निकालते भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड रामजी राय, जिला प्रभारी डा. कमल उसरी, प्रदीप ओबामा व अन्य कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
आजमगढ़ में वरिष्ठ माले नेता व किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण, पार्टी की राज्य स्थायी समिति (स्टेट स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य ओमप्रकाश सिंह व अन्य नेता बंद समर्थक जुलूस की अगुवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिये गए।
बलिया के सिकंदरपुर में माले नेता व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, पार्टी जिला सचिव लाल साहब सहित दर्जनों कार्यकर्ता बंद में भाग लेते हुए गिरफ्तार किये गए।
गाजीपुर में माले की राज्य स्थायी समिति के सदस्य व जिला सचिव रामप्यारे सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता बंद की अपील करते हुए मार्च निकालने पर गिरफ्तार कर लिये गए।
गोरखपुर में माले जिला सचिव राजेश साहनी, ऐपवा जिलाध्यक्ष जगदम्बा, सचिव मनोरमा सहित वाम दलों के नेता पुलिस लाइन के सामने स्थित माले जिला कार्यालय से बंद के समर्थन में जुलूस निकालते हुए गिरफ्तार कर लिये गए।
मथुरा में भारत बंद के समर्थन में जिला मुख्यालय पर सड़क जाम करने पर भाकपा (माले) जिला प्रभारी नसीर साह एडवोकेट व अन्य वामपंथी नेता पुलिस से झड़प के बाद गिरफ्तार कर लिये गए। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
मिर्जापुर के मड़िहान तहसील मुख्यालय के निकट सैकड़ों की संख्या में बंद समर्थक माले कार्यकर्ताओं के जुलूस को प्रशासन ने रोक दिया। कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर सभा की और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन अधिकारियों को सौंपा। जुलूस का नेतृत्व माले नेता शशिकांत कुशवाहा, राज्य कमेटी सदस्य जीरा भारती व अन्य नेताओं ने किया।
कानपुर में मार्च में शामिल माले व वाम दल के कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए।
इसके अलावा, बंद के समर्थन में रायबरेली, देवरिया, सीतापुर, जालौन, मऊ, लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, महराजगंज, बस्ती, बांदा, अयोध्या (फैजाबाद), मुरादाबाद आदि जिलों में भी माले सहित वाम दलों ने धरना-प्रदर्शन व सभा की।
इसके पहले, भारत बंद के मद्देनजर कई जिलों में प्रशासन ने आधी रात से ही माले नेताओं की गिरफ्तारी व घर पर ही नजरबंद करने की कार्रवाई शुरू कर दी।
मंगलवार सुबह 11 बजे तक बनारस, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, सीतापुर, गोरखपुर व पीलीभीत में पार्टी व जनसंगठनों के कई नेताओं को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया और कइयों को हाउस अरेस्ट कर लिया गया।
इनमें अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा (जमानिया, गाजीपुर), केंद्रीय कमेटी सदस्य मो0 सलीम (मिर्जापुर), अनिल पासवान (जिला सचिव, चंदौली), अर्जुनलाल (जिला सचिव, सीतापुर), राजेश वनवासी (राज्य कमेटी सदस्य, गाजीपुर), ओमप्रकाश पटेल, भक्त प्रकाश श्रीवास्तव (किसान महासभा, मिर्जापुर), हरिद्वार प्रसाद (गोरखपुर), कामरेड नगीना (पीलीभीत) व गौरव सिंह (जौनपुर) शामिल हैं।
बनारस के पार्टी जिला सचिव का. अमरनाथ को पुलिस ने आधी रात हिरासत में लिया और सिंधौरा (बनारस) थाने लाकर बैठा दिया।
पार्टी राज्य सचिव कामरेड सुधाकर ने इन नेताओं को उनके घर या कार्यालय से हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की और इसे मोदी-योगी सरकार की दमनकारी व लोकतंत्र-विरोधी कार्रवाई बताया। उन्होंने सभी की बिना शर्त रिहाई की मांग की।
इसके साथ ही, माले की राज्य इकाई ने उत्तर प्रदेश में भारत बंद को सफल बताया और इसके लिए प्रदेशवासियों व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) को धन्यवाद दिया। पार्टी ने कहा कि आज सरकार फेल हुई है और जनता पास।
माले ने कहा कि भारत बंद को यूपी समेत देशभर में मिले जोरदार समर्थन ने दिखा दिया है कि पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। केंद्र सरकार को तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द करना ही होगा। प्रस्तावित बिजली बिल 2000 को वापस लेना होगा। फसल खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी करनी होगी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को किसान हित में लागू करना होगा। सर्वोपरि, मोदी सरकार को कारपोरेट की पैरोकारी छोड़कर किसानों के पक्ष में खड़ा होना होगा। पार्टी ने कहा कि उपरोक्त मांगें माने जाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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