भोजपुर, बिहार. जून – जुलाई किसानी जीवन का महत्वपूर्ण महीना होता है. यह उम्मीदों का महीना होता हैं. लेकिन मौसम के बेरुखी के कारण किसानों का होश उड़ गया है. अभी तक धान के बिजड़ा खेतों में लह-लहना चाहिये और रोपनी शुरू हो जाना चाहिए था. लेकिन स्थिति यह है कि अभी तक खेतों में बिजडा हीं नही डाला पाया है और किसी तरह कर्ज लेकर कुछ किसान बीज डाल भी दिए तो पानी के अभाव में सूखने के कगार पर चला गया है.
एक रिपोर्ट के अनुसार अगर पूरे राज्य के बात करे तो बहुत कम रकबे में अभी तक बिजड़ा डाला गया है और भोजपुर में तो धान आच्छादन का 1 लाख 15 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 1 प्रतिशत हेक्टेयर भी नही हो पाया है. जिला में अभी तक 42.4% वर्षा हुई है और सभी नहरे सुखी हुई है जिससे जिले के किसानों का होश उड़ा हुआ है अकाल के आहट से रोंगटे खड़े हो गए हैं.
कई नहरों में वर्षों से पानी नही मिलता है. कुछेक नहरों में पानी आता है वो भी इतना कम की निचले छोर तक नहीं पहुंच पाता है. पानी कम होने से किसान ऊपरी छोर पर ही नहर को बांध कर (गास लगाकर) कर अपने खेतों को पटाते हैं और निचले छोर के किसान नहर बांध लगाने वाले किसानों से बांध खोलने के सवाल पर लड़ाई कर देते हैं.
नहर में निचले छोर तक पानी नहीं पहुँचने से किसान को निजी बोरिंग से खेत पटाना पड़ता है या मशीन से अगर बिल्कुल पानी नहीं है तो मशीन भी नहीं चला पाते और बिजड़ा और फसल जल कर राख हो जाता है. पानी वाला बोरिंग चलाने से पानी का लेवल कम हो जाता है और गांवों में पेयजल का संकट पैदा होता है.
स्थिति को देखते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा ने भोजपुर के अगिआंव प्रखंड के नारायणपुर नहर को डिलियाँ लख से जोडते हुए नहर के निचले छोर तक पानी , जिससे डिलियाँ से सिचाईं- चवरी, बहुआरा, अमरूआ, कोसीयड़, भीखमपुर, गोरपा, डिलियाँ, मदनपुर, सितुहारी, कमलटोला, बघुआई, नारायणपुर, बरुणा, भलुनी, सेवथा, मुरादपुर, बाघी, बनटोला, डिहरा ,कुर्मिचक गांवों में पानी पहुंचेगा- मांग उठाई.
सेवथा नहर में जो पिछले 20 वर्षों से पानी नही आ रहा है को उड़ाही कर उसके निचले छोर तक पानी पहुंचाने जिससे धवरी, हाथी टोला, सखुआना, पेराहाप, चक्के, चनरगढ़, अनुआ, एकवारी, इनुरुखी, हनुमान छपरा, बरुणा, सेवथा, बाघी गावँ तक पानी पहुंचेगा और पवार लाइन जिसमे भी लगभग 20 वर्षों से पानी नही आया है को उड़ाही करते हुए पानी छोड़ने जिसके कारण पवार , नारायणपुर, छपरापुर, मेहंदी चक, बनैवली, केशवरपुर, ओसावा, एसपुरा, धोबहा, खनेट, पवार, एकौनि टोला सहित कई और गांवों को लाभ पहुंचेगा-के लिए अनिश्चितकालीन सड़क जाम का घोषणा किया।
इस आंदोलन की मांगे पूरी हो जाये तो लगभग पचास गांव के सैकड़ों किसानों का अच्छी फसल तो होंगी ही सैकड़ों बेरोजगरों को रोजगार भी मिलेगा.
आंदोलन के सफलता के लिए भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य मनोज मंजिल के नेतृत्व में गांव-गांव के हर वर्ग, विभिन्न राजनीतिक दलों के किसानों के बीच मीटिंग – बैठक का दौर चला. बैठक के बाद डुगडुगी पीटते हुए जुलूस निकाल कर किसानों को जानकारी दी गई।
5 जुलाई को सुबह से ही विभिन्न गांवों से सैकड़ों की संख्या में किसान अपने हाथों में लाल झंडा व पारम्परिक हथियार लिए अपने मांगों के समर्थन में नारे लगते हुए मार्च निकाल कर नारायणपुर बाज़ार पहुँच रहे थे. किसानो ने ठीक 11 बजे बीच सड़क पर ही टेंट व कुर्सी बेंच लगा कर सड़क को जाम कर दिया. देखते हैं देखते जाम से नारायणपुर के दोनों ओर लगभग दस किलोमीटर जाम लग गया. आन्दोलन के प्रति अधिकारियों को बेरुखी व्यवहार से आम किसान आक्रोशित हो रहे थे और उनकी संख्या में लगतार बढ़ोतरी हो रही थी.
इस जाम को आम किसानों व अन्य राजनीतिक दल से संबंधित किसानों का भी समर्थन मिल रहा था।
जाम के लगभग 5 घंटे बाद जिला प्रशासन व नहर विभाग के अधिकारियों का एक दल आंदोलनकारियों से वार्ता करने पहुंचा, लेकिन अधिकारियों ने ठोस करवाई करने से हाथ खड़े कर दिए और वार्ता विफल हो गई.
आंदोलन जारी रहा और रातभर किसान सड़क पर ही जमे रहे और वहीं पर अगल बगल गांवों के किसान- मजदूर , छात्र- नौजवानों ने उन्हें घर – घर से एकत्रित किया हुआ खाना खिलाया।
अगल दिन सड़क जाम चलते रहा किसानों कि संख्या बढ़ती रहे तब जा कर लगभग तीन बजे नहर विभाग के एसडीओ चन्दन कुमार सहित अगिआंव इस्पेक्टर बूंदी मांझी सहित पांच थाना के पुलिस , स्पेशल जवान , महिला पुलिस आंसू गैस गोले के साथ जाम स्थल पर पहुंचे. वार्ता के बीच मे ही नेताओ और किसानों के मांग पर अधिकारियों को नहर का निरीक्षण करने जाना पड़ा तब जा कर अगले दिन से नहरों का उड़ाही और पानी देने के लिखित आस्वाशन पर जाम समाप्ति की घोषणा की गई.
आंदोलन को बाज़ार के सभी दुकानदार, आम जनता सहित जाम में फसे चालकों के समर्थन व सहयोग मिल रहा था और चालकों ने आंदोलनकारियों के साथ रात का खाना भी खाया.
इस आंदोलन मे जिले के सांसद, विधायक व जनप्रतिनिधयों से भी अपील की गई थी लेकिन एक भी जनप्रतिनिधि नही पहुंचे.
आंदोलन के बीच – बीच मे व रातों को लोकल सांस्कृतिक टीम जिसमे जनकवि निर्मोही, सखिचंद, वकील पासवान जनगीत गा कर आंदोलनकारियों का उत्साह बढ़ा रहे थे.
भाकपा माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य मनोज मंज़िल ने अपनी बातों को रखते हुए किसानों से अपनी ज़मीन , जीविका , ज़िन्दगी और खेती बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार नहरों में पानी नहीं देकर , डीज़ल , खाद , बीज और कीटनाशक दवा महंगा कर पहले से संकटग्रस्त किसानों को और गहरे संकट में डाल रही है . आज़ादी के 71 साल बाद भी हमारे देश में अपने ख़ून से रोटी उगाने वाला किसान आज आत्महत्या करने को बेबस है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वायदे के मुताबिक अपने फसलों के डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य और कर्ज़ माफी की माँग कर रहे किसानों धोखा दे रहें हैं और ऊपर से उनके के छाती पर भाजपा सरकारें गोली चला रही हैं ।
भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य व किसान नेता राजू यादव ने कहा कि सरकार के सात निश्चय योजना में इसे जगह नहीं दी गई है, नहरों के आधुनिकीकरण पर सरकार कुछ नहीं कर रही है, तमाम नहरों में फ्लाई ओवर या सडक बनाने का काम शुरू किया गया है, सिचाई एवं लघु सिंचाई विभाग को समाप्त कर दिया गया है, सभी सरकारी ट्यूबवेल बंद पडे हैं, आखिर इसका जिम्मेदार कौन है क्या इसके लिए भी मध्य प्रदेश को दोषी ठहराया जाएगा। असल में सरकार कधवन जलाशय से पानी नहीं मिलने का बहाना बना रही है ताकि उसके किसान विरोधी नीतियों के तरफ लोगों का ध्यान नहीं जाये। एक तरफ किसानों को खेती करने के लिए पानी नही दे रही है और अगर किसान किसी तरह खेती कर भी लेटें है तो इनके फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नही दे रही है।
आंदोलन में भाकपा माले नेता मनोज मंज़िल, प्रखंड सचिव रघुवर पासवान, किसान नेता विमल यादव, आइसा राज्य अध्यक्ष शिवप्रकाश रंजन, एसबी कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष सुधीर कुमार, चंदेश्वर पासवान, हसबुदिन अंसारी, जितेंद्र पासवान, नवीन कुमार, बलिराम यादव , चंदन यादव ,रामजी रवानी ,कन्हैया सिंह ,लक्षमण सिंह सहित सैकड़ों किसान शामिल थे.
अगल दिन सुबह से ही नहरों में पानी आना शुरू हुआ और नहरों के उड़ाही के लिए जेसीबी का साथ अधिकारी नहरों में पहुंचे। नहरों में पानी देख किसानों के चेहरे खिल उठे और अखिल भारतीय किसान महासभा व भाकपा माले के प्रति सकारात्मक संदेश गया लेकिन एक दिन बाद आन्दोलन का नेतृत्व कर रहें मनोज मंज़िल सहित 40 किसानों पर सरकार ने मुकदमा दर्ज कर अपनी किसान विरोधी चेहरा को उजागर कर दिया।
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