गोरखपुर और महराजगंज जिले में जनवरी महीने में माइक्रो फाइनेंस के कर्ज जाल में फंस कर दो और महिलाओं ने आत्महत्या कर ली। पिछले वर्ष पूर्वांचल के कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, गोरखपुर आदि जिलों में माइक्रो फाइनेंस कर्ज जाल के कारण कई महिलाओं-पुरुषों द्वारा खुदकुशी करने की घटनाएं सामने आयीं। कुशीनगर जिले में एक गरीब मजदूर दम्पत्ति ने तो कर्ज में फंस कर 20 हजार रुपए में अपने बच्चे को बेच दिया था। गांव-गांव में माइक्रो फाइनेंस कर्ज जाल में फंसे लोग वसूली की प्रताड़ना से बचने के लिए घर छोड़कर निर्वासित जीवन जी रहे हैं। कर्जों के कारण घर-घर में कलह मची है और इसकी वजह से हत्या की घटनाएं भी हो रही हैं।
ये घटनाएं देश में माइक्रो फाइनेंस के जरिए सात करोड़ से अधिक महिलाओं को सफल व्यवसाय से जोड़ स्वाभिमान भरा जीवन का आधार बनाने के सुनहरे दावों पर गहरे सवाल खड़े करती हैं।
माइक्रोफाइनेंस कर्ज जाल ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में नए तरह का आर्थिक, सामाजिक संकट उत्पन्न कर दिया है। सरकार, रिजर्व बैंक और माइक्रोफाइनेंस उद्योग से जुड़ी संस्थाएं इस हालात से चिंतित होने और कदम उठाने के बजाय चुप हैं।
सरकार-प्रशासन तो माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के समर्थन में कर्ज के सवाल को उठाने वाले राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न व दमन पर उतर आए हैं। जनवरी महीने की 12 तारीख को कुशीनगर के दुदही में इन सवालों को लेकर सम्मेलन करने वाले भाकपा माले के कई नेताओं के घर छापे मारे गए, उन्हें हिरासत में लिया गया और पुलिस के दम पर सम्मेलन को रोक दिया गया। अक्टूबर महीने गोरखपुर में दलित नेता अम्बेडकर जन मोर्चा के संस्थापक मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला के खिलाफ दो थानों में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें डेढ़ माह बाद हाईकोर्ट इलाहाबाद से जमानत मिल पायी।
माइक्रोफाइनेंस उद्योग के दायरे में आठ करोड़ लोग
भारत में माइक्रो क्रेडिट/माइक्रो फाइनेंस उद्योग की शुरुआत 1990 के दशक में बांग्लादेश में प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के ग्रामीण मॉडल से प्रेरित होकर हुई थी। निजी पूंजी के प्रवेश के बाद पिछले एक दशक में इसका तीव्र विस्तार हुआ है।
माइक्रोफाइनेंस के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बनायी गयी स्वनियामक संस्था माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री नेटवर्क (एमएफआईएन) की रिपोर्ट के अनुसार जून 2024 तक 4,24,444 करोड़ का त्रण वितरित किया गया है। इस समय तक 14.6 करोड़ एक्टिव लोन एकाउंट और 8.1 करोड़ उधारकर्ता हैं। पूरे देश में करीब 200 माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं कार्य कर रही हैं।
एमएफआईएन का दावा है कि वर्तमान में सात करोड़ से अधिक महिलाओं को दिए गए कर्ज का प्रभाव 30 करोड़ परिवारों पर पड़ा है और उनकी जिंदगी बेहतर हुई है। आज बैंकिंग सुविधा से वंचित बड़ी आबादी के पास भारत के सबसे दूरदराज के जिलों में भी औपचारिक ऋण तक पहुँच है।
पिछले एक दशक में माइक्रोफाइनेंस उद्योग बहुत तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2012-13 में जहां 17264 करोड़ का कर्ज वितरण था जो 12 वर्ष में 4.24 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है। इस गगनचुंबी छलांग कहा जा रहा है।
माइक्रोफाइनेंस उद्योग के बारे में देश में एक दशक से बहुत सुनहरी तस्वीर पेश की जा रही है। कहा जा रहा है कि इसके जरिए गरीबों को देश के विकास में भागीदार बनाया गया है। इसने उद्यमशीलता को बढ़ाया है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। उनका आत्मसम्मान बढाया है। उनका जीवन बेहतर हुआ है। भारत की गरीब और वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाने में मदद मिली है। यह भी कहा जा रहा है कि गरीबों की स्थानीय साहूकारों पर निर्भरता कम हुई हैं और गरीबों को सुरक्षा जाल मिल गया है। माइक्रो फाइनेंस ग्रामीण इलाकों में एक गेम चेंजर बन गया है। ऋण के आर्थिक प्रभाव के अलावा, सामाजिक या गैर-आर्थिक लाभ भी हुए हैं जिसका एक प्रमुख क्षेत्र महिला सशक्तिकरण है।
यह सुनहरी तस्वीर धरातल की वास्तविकताओं से एकदम उलट है। ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों का कर्ज जाल अब गरीबों के लिए फंदा बनता जा रहा है। इसके जरिए पहले से निचुड़े हुए गरीबों का बचा-खुचा खून पर चूस लेने का काम हो रहा है।
खून चुसवा बनता माइक्रोफाइनेंस, सुरक्षा जाल नहीं कर्ज जाल
गोरखपुर के अजवैनिया गांव की 25 वर्षीय ज्योति निषाद की 25 जनवरी की दोपहर मौत हो गई। भाकपा माले की जांच टीम द्वारा की गई फैक्ट फाइंडिंग से पता चला कि ज्योति के परिजन सामाजिक अपमान व अन्य दुश्वारियों के अंदेशे में खुदकुशी की बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। परिजन यह जरूर कह रहे हैं कि ज्योति ने तीन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से 2,58,000 रुपए कर्ज लिया था और इस कारण वह गहरे तनाव में थी।
भाकपा माले के उत्तर प्रदेश के राज्य स्थायी सदस्य कामरेड राजेश साहनी के अगुवाई में अजवैनिया गांव गई फैक्टफाइडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 25 जनवरी को गोरखपुर महानगर से बिल्कुल सटे ग्राम अजवैनिया में 25 वर्षीय ज्योति निषाद पत्नी श्री आकाश निषाद की रात्रि में 11 बजे मृत्यु हो गई। उसकी जेठानी संजू उसको लेकर सदर अस्पताल गई जहां डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल लाने के पहले ही ज्योति की मौत हो चुकी थी। ज्योति का पति आकाश बेंगलुरू में मजदूरी करता है जहां उसे 600 रूपए रोज दिहाड़ी मिलती है। ज्योति-आकाश के दो बच्चे हैं। ज्योति ने उत्कर्ष माइक्रो फाइनेंस कंपनी से 75,000, बंधन बैंक से 30,000 व एक लाख,तथा सोनाटा फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से 53,310 रुपए कर्ज लिया था। मृत्यु के एक दिन पहले उत्कर्ष कंपनी से लिए गए कर्ज की किश्त जमा की थी। उसे बंधन बैंक व सोनाटा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का 1310 तथा 1510 रुपए की किश्त हर पखवाड़े देनी होती थी।
ज्योति की जेठानी संजू व गांव की कुंती ने बताया कि गांव की अधिकतर महिलाएं माइक्रोफाइनेंस के कर्ज में हैं। ज्योति व उन्होंने आवास बनाने के लिए उत्कर्ष, सोनाटा व बंधन बैंक से कर्ज लिया है। संजू और कुंती के पति भी मजदूरी करने बड़े शहरों में गए हैं। वे घर का खर्च चलाने के लिए चौका बर्तन का काम करती हैं। संजू ने बताया कि ज्योति की मौत के बाद माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्मचारी उनके घर आए और कहा कि ज्योति का कर्ज तो माफ हो जाएगा लेकिन अन्य सबको तो कर्ज देना ही होगा। एक माइक्रोफाइनेंस कम्पनी के कर्मचारी ने ज्योति के पति से कहा कि उसे 1,30,000 हजार रुपए जमा करने होंगे।
इसके पहले महाराजगंज जिले में कोठीभार थाना क्षेत्र के बेलभरिया गांव में माइक्रो फाइनेंस के में कर्ज के दबाव में 27 वर्षीय अंगिरा ने नौ जनवरी को खुदकुशी कर ली। अंगिरा ने एक फाइनेंस कम्पनी से 45 हजार का कर्ज लिया था जिसकी 14 किस्त जमा की थी। गरीबी व ससुर के इलाज के कारण वह कुछ समय से किश्त नहीं जमा कर पा रही थी। माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारी रोज उसके घर पहुंच रहे थे। कर्मचारियों के दबाव व धमकी से अंगिरा अवसाद में आ गयी। नौ जनवरी को जब उसका पति मुकेश लकवाग्रस्त पिता को इलाज कराने के लिए अस्पताल गया तो उसने घर में रस्सी से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। अंगिरा और मुकेश के दो छोटे बच्चे हैं। परिवार के पास मात्र तीन डिसमिल जमीन है। पुलिस ने अंगिरा का पोस्टमार्टम कराया लेकिन उसको परेशान करने वाले माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की। सांत्वना के दो शब्द कहने के लिए भी कोई नहीं आया।
कुशीनगर जिले के कसया थाना क्षेत्र के चकदेइयां गांव में हरिशंकर वर्मा का शव एक सितम्बर 2024 की शाम को अपने घर में छत के कुंडे से लटका पाया गया था। वे आर्थिक तंगी, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्जे से वे अवसाद में थे। हरिशंकर वर्मा परिवहन निगम में अनुबंधित बस चालक थे। हरिशंकर के बेटे अमन वर्मा ने बताया कि परिवार पर चार माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का कर्ज था जिसका किश्त करीब दस हजार आती थी। हरिशंकर वर्मा के परिजन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज के कारण आत्महत्या से इंकार कर रहे थे लेकिन पुलिस और गांव के लोगों ने बताया कि कर्ज की वसूली से बचने के लिए पूरा परिवार दिल्ली चला गया था। हरिशंकर वर्मा अपने ही घर में मुख्य दरवाजे पर ताला बंद कर छिपकर रहते थे ताकि वसूली करने वाले कर्मचारियों से उनका सामना न हो।
कुशीनगर जिले के जंगल खिरकिया गांव के गरीब मुसहर नौजवान शैलेश की 17 सितम्बर 2024 को माइक्रोफाइनेंस कर्ज के चलते गांव के ही एक परिवार से झगड़ा हो गया। कुछ लोगों ने उसे पीट दिया। रात में उसकी मौत हो गयी। 35 वर्षीय शैलेश बेंगलुरु में मजदूरी कर रहा था। गर्भवती पत्नी माला की देखभाल के लिए छह महीने पहले वह गांव लौट आया। शैलेश और माला बेहद गरीबी में जी रहे थे। उनको दो जून की रोटी मुहाल थी। इसी समय माला गांव के स्वयं सहायता समूह के सम्पर्क में आयी और उसने एक-एक कर छह माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से 2.30 लाख रुपए का कर्ज ले लिया। एक कर्ज की किस्त चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लिया गया, फिर तीसरा लिया गया। इस तरह वे कर्ज जाल में फंसते गए।
छह कर्जों की किश्त हर महीने नौ हजार देनी पड़ रही थी। वे पिछले चार महीनों से कोई भी किश्त नहीं चुका पा रहे थे। किश्त चुकाने के चक्कर में उन्होंने आखिरी 30 हजार का कर्ज गांव के ही एक व्यक्ति को दे दिया। उस व्यक्ति ने कहा कि वह मकान बनवा रहा है। उसे पैसे की जरूरत है। वह उसका किश्त चुका देगा। लेकिन उस व्यक्ति ने किश्त जमा नहीं किए जिससे कारण माइक्रोफाइनेंस कम्पनी के एजेंट शैलेश का उत्पीड़न करने लगे क्योंकि कर्ज उसी के नाम पर था।
माला की भाभी मीरा देवी ने शैलेश ने दो पैसे कमाने के लिए गांव में एक गुमटी खोल ली थी और उसमें सब्जी और रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं बेचने लगा था लेकिन उसकी यह कोशिश भी विफल हो गई। कर्ज की किस्त नहीं देने पर माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के एजेंट ने गुमटी बेचवा दिया और किश्त की रकम वसूल कर ली। माला ने कपड़े सिलाई कर गुजर बसर करने की कोशिश की। वह एक सिलाई मशीन ले आई थी। कर्ज की किस्त जमा नहीं करने पर माइक्रो फाइनेंस कम्पनी का एजेंट उसकी सिलाई मशीन उठा ले गया। मीरा ने बताया कि शैलेश और माला सभी कर्जों की चार-पांच किश्त ही जमा कर पाए थे। चार महीने से कोई भी किश्त जमा नहीं हो रही थी। माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के एजेंट लगातार उस पर किस्त जमा करने का दबाव बना रहे थे।
मीरा के अनुसार शैलेश ने जिस परिवार को अपना एक कर्ज दिया था, उससे पैसा वापस मांगने लगा ताकि कुछ राहत पा सके। 17 सितम्बर को दोपहर में शैलेश फिर पैसा मांगने गया। वहां उस परिवार के लोगों ने उसे पीट दिया। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गयी।
कुशीनगर जिले में ही दुदही क्षेत्र के दसहवां गांव के मजदूर लक्ष्मीना-हरेश पटेल ने पांच सितम्बर 2024 को माइक्रो फाइनेंस के कर्ज जाल में फंसने पर दो वर्ष के बेटे को 20 हजार रूपए में बेच दिया था। मजदूर दम्पत्ति पर माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों का दो लाख रूपए का कर्ज था। उन्हें हर महीने आठ हजार से अधिक रूपए किस्त देने पड़ रहे थे। मई महीने के बाद से हरेश किसी की किश्त नहीं चुका पाया। माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के एजेंट उस पर दबाव बनाने लगे। भुखमरी का संकट अब बढ़ते हुए कर्ज जाल के महासंकट में तब्दील हो चुका था जिससे निकलने के लिए उसे बेटे को बेचने के अलावा उन्हें और कोई रास्ता नहीं सूझा। इसकी विस्तृत रिपोर्ट समकालीन जनमत के अक्टूबर 2024 अंक में छपी है।
कुशीनगर जिले के सेवरही क्षेत्र के मिश्रौली गांव में 14 दिसंबर 2023 को मजदूर धर्मनाथ यादव की पत्नी 30 वर्षीय आरती ने जहर खाकर जान दे दी। उस पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का दो लाख से अधिक का कर्ज था। कर्ज देने वाली माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एजेंट कर्ज की वसूली के लिए 14 दिसम्बर की सुबह ही महिला के घर पहुंच गए और फिर उसके मायके पहुंच कर दबाव बनाने लगे थे। उत्पीड़न से तंग आकर महिला घर से निकल गयी और जहर खाने के बाद अपने पति को फोन कर कहा कि कर्ज की किश्त न दे पाने के कारण बेईज्जत हो रही है। इसलिए अपनी जान दे रही है।
मिश्रौली सहित कई गांवों में सैकड़ों गरीब महिलाएं माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों के कर्जजाल में फंस चुकी हैं। हर महिला को पांच-छह माइक्रोफाइनेंस कम्पनियां ने दो-दो लाख से अधिक कर्ज बांट दिए है। कर्ज चुकाने के लिए महिलाओं को अपने जेवर गिरवी रखने पड़े। खेत बेचना पड़ा।
अत्यधिक ब्जाय दर, कर्ज के लिए कर्ज, वसूली के लिए उत्पीड़न
विस्तृत पड़ताल में पता चला कि कर्ज देने और कर्ज वसूली के लिए माइक्राफाइनेंस कम्पनियां रिजर्व बैंक आफ इंडिया की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रही हैं। रिजर्व बैंक की गाइड लाइन कहती है कि माइक्रोफाइनेंस तीन लाख रुपये तक की वार्षिक घरेलू आय वाले परिवार को दिया जाता है। ग्राहकों के अति-ऋणग्रस्तता से बचने के लिए किस्त उनके मासिक घरेलू आय के अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा के अधीन होगा। यह भी तय किया गया कि एक महिला को चार से अधिक माइक्रो फाइनेंस कंपनियां ऋण नहीं दे सकती। अब यह संख्या चार से कम कर तीन कर दी गई। एक महिला को दो लाख से अधिक माइक्रोफाइनेंस ऋण नहीं दिया जा सकता। यह भी तय किया गया है कि तीन हजार से अधिक का किस्त बकाया पर कर्ज लेने वाले को कोई और कर्ज न दिया जाय। इसके अलावा, प्रोसेसिंग फीस और क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस के अलावा, स्वीकृत ऋण राशि से कोई अन्य शुल्क नहीं काटा जाएगा।
गाइडलाइन के विपरीत माइक्रो फाइनेंस कंपनियां गरीब ग्रामीणों को कर्ज देते समय 22 से 28 फीसदी ब्याज वसूल रही हैं। साथ ही प्रोसेसिंग फीस भी लेती हैं। इन कर्जों पर सरकार जीएसटी भी वसूलती है। इस कारण प्रोसेसिंग फीस अधिक आती है। कर्ज के दस्तावेज देखने पर पता चलता है कि प्रक्रिया शुल्क के अलावा अपफ्रंट शुल्क आदि के नाम पर भी शुल्क लिए जाते हैं और दिए जाने वाले कर्ज से इसकी कटौती कर दी जाती है।
अत्यधिक ब्याज दरों के बारे में कोई स्पष्ट नीति नहीं है। हाल में जब इसको लेकर बात उठी है तो कहा गया है कि ब्याज दरों की समीक्षा बारीकी से की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दक्षता लाभ क्लाइंट को दिया जा सके।
गरीबों को कर्ज देते समय उनकी आय अधिक दिखाई जाती है। जिस हरीश पटेल ने तंगहाली और कर्ज के कारण अपने बच्चे को 20 हजार में बेच दिया था उसे कर्ज देते हुए एक माइक्रोफाइनेंस कम्पनी ने उसकी वार्षिक आय तीन लाख रुपए दिखायी थी।
रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार कर्ज की वसूली के लिए उधारकर्ता को धमकी नहीं दी जा सकती और न ही अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा सकता है। उधारकर्ता को लगातार कॉल नहीं किया जा सकता। सुबह नौ बजे के पहले और शाम छह बजे के बाद उधारकर्ता को कॉल नहीं किया जा सकता। कर्ज वसूली के लिए रिश्तेदार, दोस्त व सहकर्मियों को परेशान नहीं किया जा सकता लेकिन माइक्रो फाइनेंस कंपनियां इन नियमो का खुले रूप से उल्लंघन कर रही हैं।
मिश्रौली गांव की महिलाओं ने बताया कि माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के एजेंट छह-सात लोगों के साथ घर पर आ धमकते हैं और जब तक पैसे नहीं मिल जाते घर पर जमे रहते हैं। रिश्तेदारों के घर पहुंच जाते हैं। घर का सामान बेच कर कर्ज चुकाने का दबाव बनाते हैं। कर्ज की कुछ किस्तों को चुकाने के बाद उसी पर नया कर्ज भी दे देते हैं। इस तरह से हर महिला को चार से पांच माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने कर्ज देकर उन्हें कर्ज जाल में फांस दिया है। हालत यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए कर्ज लिए जा रहे हैं। नाते-रिश्तेदारों से उधारी ली जा रही है और जेवर-जमीन गिरवी रखी जा रही है।
आवाज उठाने पर सम्मेलन नहीं होने दिया, चलाया दमन चक्र
भाकपा माले और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा द्वारा 12 जनवरी को दुदही के सुराजी बाजार में माइक्रोफाइनेंस के कर्जों की वसूली के लिए उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के सवाल को लेकर आयोजित सम्मेलन को पुलिस और प्रशासन ने बल प्रयोग कर रोक दिया। प्रशासन ने 11 जनवरी की शाम से भाकपा माले नेताओं के घर छापे मारने शुरू कर दिए और सुबह सुराजी बाजार में सम्मेलन में प्रतिभाग करने पहुंचे लोग को बल प्रयोग कर हटा दिया। दुदही रेलवे स्टेशन की घेराबंदी कर लोगों को सम्मेलन में नहीं जाने दिया गया। गोरखपुर से सम्मेलन को सम्बोधित करने जा रहे भाकपा माले राज्य स्थायी समिति के सदस्य राजेश साहनी, किसान नेता शिवाजी राय और जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह को पुलिस ने गुरूवलिया के आगे रोक दिया और उन्हें हिरासत में लेकर तमकुही उपजिलाधिकारी कार्यालय ले गई जहां घंटों बाद शाम को उन्हें जाने दिया गया।
गोरखपुर के दलित नेता एवं अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला को 16 अक्टूबर 2024 को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें गोरखपुर के गोरखनाथ और महराजगंज के फरेंदा थाने में माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) के अधिकारियों द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अफवाह फैलाई कि महिलाएं माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का कर्ज जमा नहीं करें। लेकिन सचाई दूसरी थी।
दरअसल माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों से कर्ज लेने वाली सैकड़ों महिलाएं 13 और 14 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गोरखनाथ मंदिर पहुंच गयी। उनका कहना था कि उन्हें बताया गया है कि उनके कर्ज माफ होने वाला है और इसके लिए वे अपना आवेदन देने यहां आयी हैं। गोरखनाथ मंदिर पहुंची महिलाओं में अधिकतर महराजगंज जिले की थीं। अधिकारियों ने महिलाओं को समझा बुझा कर वापस किया और बताया कि कर्ज माफ करने की बात अफवाह है।
इसके बाद अधिकारियों ने अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला को निशाना बनाया। श्री निराला उस समय अपने संगठन के माध्यम से माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के अत्यधिक ब्याज दर, कर्ज वसूली के लिए रिजर्व बैंक की गाइड लाइन का उल्लंघन करते हुए उत्पीड़न करने की कार्यवाही के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। निराला डेढ महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट इलाहाबाद से जमानत मिलने पर छूटे। हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक वर्मा ने जमानत देते हुए कहा कि न्यायालय प्रथम दृष्टया पाता है कि इस स्तर पर आवेदक को अपराध से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।
( यह रिपोर्ट समकालीन जनमत पत्रिका के फरवरी अंक में प्रकाशित हुई है)