लखनऊ। हिंदी के वरिष्ठ कवि तथा साहित्यकार भगवान स्वरूप कटियार को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में उनके 75 साल का होने पर जन संस्कृत मंच (जसम) और आस इनिशिएटिव ने सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मान पत्र तथा प्रतीक चिन्ह दिया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि आजमगढ़ से आए वामपंथी विचारक कामरेड जयप्रकाश नारायण थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता वन्दना मिश्र ने की।
जयप्रकाश नारायण ने कटियार जी को बधाई देते हुए कहा कि कटियार जी का कविता संग्रह है ‘ हवा का रुख टेढ़ा है ‘ लेकिन आज तो हवा का रुख जहरीला है।
यह ऐसा राजनीतिक समय है जब मनुष्य विरोधी संस्कृति ने जनमानस को अपनी चपेट में ले रखा है। गांधी की हत्या हुई। बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखी गई। बाबरी मस्जिद गिराया गया। यह सब सुनियोजित था। ऐसा करने वाले अपराधियों को सजा न देना लोकतंत्र पर चोट है । आज सत्ता में जो हैं, उनके आदर्श हिटलर रहे हैं। वे कल हिटलर के साथ खड़े थे तो आज इसराइल के जीयन वादियों के साथ खड़े हैं। इन सब के बावजूद फिलिस्तीनियों के साहस और उम्मीद को ध्वस्त नहीं किया जा सका है। यही उम्मीद आज के समय में हमारे लिए जरूरी है । भगवान स्वरूप कटियार के लेखन में इसी बदलाव की उम्मीद है। इनके साहित्य में लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की चिंता है। यही चिंता उन्हें तमाम विचारकों के पास ले जाती है और वहां से अपने लिए वैचारिक ऊर्जा ले आते हैं।
वन्दना मिश्र ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कटियार जी राजनीतिक व्यवस्था से टकराते हैं। इनके साहित्य में मानव संबंधों, निजी अनुभूतियों तथा मनुष्य की आत्मीय और स्नेहिल दुनिया है। सरलता और कोमलता इनके व्यक्तित्व की खासियत है। इन्हें अभी बहुत लिखना है, करना है और यात्राएं करनी है।
भगवान स्वरूप कटियार की लंबी साहित्य यात्रा पर चर्चा करते हुए कवि कौशल किशोर ने कहा कि कटियार जी की यह तीसरी पाली है। उन्होंने जो जिया वही रचा। सृजन का कलश भरा हुआ है। कविता में परिंदे की उड़ान है । स्नेहिल दुनिया है। ये बेमकसद जिंदगी की जगह बामकसद जिंदगी के पक्षधर हैं। इनकी वैचारिकी का विस्तार कविता में मिलता है। यहां बदलाव की चेतना, प्रतिरोध की आग और निश्च्छलता की कला है। इनका सम्मान उस संघर्ष परंपरा का सम्मान है जिसमें गैरबराबरी के विरुद्ध समतामूलक समाज बनाने का स्वप्न है। कटियार जी इसी स्वप्न और संघर्ष को रचते हैं।
इस मौके पर प्रोफेसर रमेश दीक्षित, राकेश, शकील सिद्दीकी और अवधेश कुमार सिंह ने सृजन और व्यक्तित्व के विविध पहलुओं पर अनेक कोणों से विचार व्यक्त किए। यह बात आई कि भगवान स्वरूप कटियार का संघर्ष उस ‘भगवान’ से भी है, जो उनके नाम के साथ चस्पां है। बुद्ध, गांधी, रामस्वरूप वर्मा, डॉक्टर अंबेडकर, भगत सिंह से होते हुए ये लेनिन व मार्क्स तक आते हैं। रामस्वरूप वर्मा जैसे समाजवादी राजनीतिज्ञ व विचारक, जिन्हें लोगों ने भुला दिया है, उनके विचारों को किताब के रूप में कटियार जी ले आते हैं। यह उनका विशिष्ट काम है। इसी प्रक्रिया में एक वैचारिक लेखक के रूप में उनका रूपांतरण होता है।
कटियार जी के द्वारा दुनिया के अनेक देशों की यात्राओं पर भी चर्चा हुई। इस संदर्भ में चे ग्वेवारा तथा राहुल सांकृत्यायन की यात्राओं को भी संदर्भित किया गया कि किस तरह चे ने अपनी यात्रा के द्वारा क्यूबा की क्रांति में योगदान किया। इसी तरह राहुल ने बौद्ध मत को देश के अंदर ले आने का महती काम किया जिसे ब्राह्मणवादियों ने निष्कासित कर दिया था। यह भी सुझाव आया कि कटियार जी को अब देश के अंदर विशेषतः ग्रामीण अंचलों और दुर्लभ जगहों की यात्रा कर वहां के जीवन को सामने ले आना चाहिए।
कटियार जी के वैज्ञानिक चिंतन पर भी विचार हुआ। इस पर जसम लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष असगर मेहंदी ने अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि कटियार जी के कम से कम 15 ऐसे लेख हैं जो विज्ञान को परिभाषित करने के साथ अनेक घटनाओं और विज्ञान से जुड़े उन सिद्धांतों और परिकल्पनाओं की चर्चा करते हैं। चाहे बात डार्विन के सिद्धांत की हो या चार मौलिक बलों (फंडामेंटल फोर्सेस) की हो या फिर गॉड-पार्टिकल की ।इस संबंध में भारतीय जनमानस की जड़ता और मीडिया की धूर्तता को कटियार जी सामने लाते हैं। विज्ञान क्या है, इसके साथ यह भी समझना होगा कि विज्ञान क्या नहीं है? तभी समाज में ‘सायन्टिफ़िक टेम्परामेंट’ के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण हो सकेगा।
डॉ चंदेश्वर और सुभाष राय ने व्यक्तित्व और कविता पक्ष पर विशेष रूप से बात रखी। कहना था कि कटियार जी हिन्दी की समकालीन कविता के पूरे सफ़र के गवाह हैं जो कोई साढ़े पांच दशकों का रहा है। उन्होंने व्यक्ति चरित्रों पर सबसे ज़्यादा कविताएं लिखी हैं। वे सरल-सहज स्वभाव के इंसान हैं और उनकी कविताएं भी सादगी के वैभव को सामने लाती हैं। यह बात भी आई कि किसी कवि के लिए मनुष्य होना पहले जरूरी है। कटियार जी में मनुष्यता का पहलू प्रधान है। कविता में प्रतिरोध की आग है । वह आपको जलाती नहीं बल्कि चेतना संपन्न करती है।
किसी भी व्यक्ति की प्रगतिशीलता और लोकतांत्रिकता का पैमाना यह है कि वह अपने घर-परिवार और सदस्यों के प्रति उसका दृष्टिकोण क्या है? वह अपने बच्चों विशेष तौर से बेटियों को क्या अधिकार देता है? कटियार जी की बेटी कवि प्रतिभा कटियार ने बताया कि मेरे पापा अपने परिवार में भी बहस करते हैं। बच्चों को अपने विचार व्यक्त करने और असहमति जताने की स्वतंत्रता है। इस तरह घर में भी एक लोकतांत्रिक माहौल निर्मित हुआ। मम्मी-पापा हमारी जड़ें हैं जहां से हमें नमी मिली।
शुरुआती दिनों में कटियार जी अपने नाम के साथ ‘विद्रोही’ उपनाम भी जोड़ते थे। ‘विद्रोही गीत’ शीर्षक से उनका पहला संग्रह उन्हीं दिनों आया था। उनके साथी ‘लमही’ के संपादक विजय राय और आस इनिशिएटिव के सुहेल वहीद ने उनके विद्रोही चरित्र की चर्चा की जिसे सूचना विभाग में काम करते हुए देखा जा सकता है। वहां की अव्यवस्था, अनियमितता, अफसरशाही, भेदभाव के विरुद्ध इन्होंने संघर्ष किया। इसकी एक्टिविस्ट बनाने में भूमिका है।
सत्यप्रकाश चौधरी ने भगवान स्वरूप कटियार के अखबारी लेखन पर अपने विचार प्रकट किए । इस मौके पर कटियार जी की दो किताबों का विमोचन भी किया गया। एक कटियार जी की पेरिस कम्यून पर लिखी किताब है तो दूसरी कटियार जी के सृजन और विचार पर केन्द्रित है। इन किताबों पर इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश और अशोक चंद्र ने अपने विचार रखे।
अंत में भगवान स्वरूप कटियार ने सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि लिखना सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलाव के लिए जरूरी है।ह लेखन वैचारिक क्रांति रचती है जो बाद में जन आंदोलन का रूप लेकर राजनीतिक क्रांति में तब्दील होती है जैसे पेरिस कम्यून और अक्टूबर क्रान्ति आदि।
कार्यक्रम का संचालन जसम लखनऊ के सचिव फरजाना मेहंदी ने किया तथा आस इनिशिएटिव के आसिफ़ जाह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा, प्रलेस से शकील सिद्दीकी, जलेस से समीना खान, इप्टा से शहजाद रिज़वी, भाकपा माले से कामरेड रमेश सेंगर, आइसा से शांतम निधि, ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल से ओ पी सिन्हा, एक्टू से मधुसुदन मगन, इनौस से राजीव गुप्ता, जसम लखनऊ की सांस्कृतिक टीम मुस्कान, राही मासूम रजा एकेडमी आदि संस्थाओं तथा अनेक व्यक्तियों द्वारा पुष्प गुच्छ देकर भगवान स्वरूप कटियार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई। विविध क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।