समकालीन जनमत
ख़बर

अवैध बालू खनन के खिलाफ आवाज उठाने पर गिरफ्तार किसान महासभा नेता कमलेश राय को जमानत मिली

लखीमपुर खीरी। शारदा नदी से अवैध बालू खनन के खिलाफ आवाज उठाने पर गिरफ्तार किए गए अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य कमलेश राय को आज अदालत से जमानत मिल गयी। उन्हें छह लोगों के साथ उस समय गिरफतार किर लिया गया जब वे पलिया कला की एसडीएम को अवैध बालू खनन के सम्बन्ध में ज्ञापन देने गये थे।

लखीमपुर खीरी जिले के पलिया कला क्षेत्र में शारदा नदी से अवैध बालू खनन जोरों पर है। स्थानीय नागरिक, भाकपा माले, अखिल भारतीय किसान महासभा इसके खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे। नदी किनारे के गांवों के लोग यदि अपनी जरूरत के लिए बजरी या बालू लेते हैं तो प्रशासन उनके खिलाफ कार्यवाही करता है जबकि ठेकेदार, नेताओं और प्रशासन से मिलकर सैकड़ों टाली बालू का रोज खनन कर रहे हैं। बालू खनन रोकने के लिए जब एक पुलिस अधिकारी ने कार्यवाही की तो उसका तबादला कर दिया गया।

शारदा नदी से अवैध बालू खनन के खिलाफ 12 जून को ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया था

किसान महासभा नेता कमलेश राय सहित विभिन्न संगठनों के लोग 12 जून को पलिया कला की एसडीएम को ज्ञापन देने गए। अवैध खनन से नाराज कई गांवों के ग्रामीण भी एसडीएम कार्यालय पहुंच गए थे। ग्रामीण कोविड-19 के मद्देनजर शारीरिक दूरी बनाते हुए हाथों में तख्तियां लिए अवैध बालू खनन का विरोध कर रहे थे।

एसडीएम ने प्रतिनिधिमंडल से ज्ञापन लेने से मना कर दिया और पुलिस बुला लिया। पुलिस ने कमलेश राय, संजीव कुमार मुन्ना, अजय तिवारी, कमलेश राय, मधु, मिथलेश कुमार, बलदेव सिंह, संतोष अनीता, दिव्या सहित 12 लोगों  को हिरासत में ले लिया। बाद में पुलिस ने महिलाओं सहित छह लोगों को छोड़ दिया लेकिन कमलेश राय सहित छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जेल भेज दिया।

किसान महासभा के नेता कमलेेश राय की गिरफतारी के खिलाफ भाकपा माले और किसान महासभा ने 14 जून को पूरे जिले में प्रदर्शन किया और मांग की कि गिरफतार लोगों को तुरन्त रिहा किया जाय, ग्रामीणों को अपनी जरूरत के लिए बालू व बजरी लेने की छूट दी जाए, खनन माफियाओं केा पकड़ा जाय और उनको संरक्षण देने वालो नेताओं व अफसरों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

भाकपा माले की केन्द्रीय कमेटी की सदस्य कृष्णा अधिकारी ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे लेकर लगातार आंदोलन करेगी।

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion