पटना. ‘‘चिलचिलाती धूप है और मंच भी खुला है. जनता यदि धूप में है तो नेता क्यों छांव में रहेंगे ? अंतर बस इतना है कि नेताओं के लिए प्लास्टिक कुर्सिंयां हैं और जनता घास पर. मैंने घूम-घूम कर लोगों से बातें की. जनवितरण प्रणाली, स्कूल, स्वास्थ्य आदि मुद्दों पर बातें की. मोदी और नीतीश का बाजार भाव जानना चाहा. जनता में बेहद गुस्सा है. यह गुस्सा समाज के सबसे निचले हिस्से का है. ये गरीब-गुरबे हैं, सर्वहारा हैं. इनका गुस्सा मतलब रखता है. दिन रात जाति की राजनीति कर रहे पेशेवर राजनेता और पत्रकार इस गुस्से को नहीं समझना चाहेंगे. मुझे उन हजारों-लाखों चेहरों और आंखें को पढ़ने मेें दिलचस्पी थी, जो मलिन कहे जा सकते हैं, वे फटेहाल थे, बदहाल थे लेकिन उदास नहीं थे. उनकी आंखों में एक सपना था. बेहतर जीवन, बेहतर भविष्य का सपना. दिल्ली और पटना की धारा-सभाओं में जुगाली कर रहे तथाकथित नेताओं से भी वे अधिक राजनीतिक थे. वे हिंदुत्व और इसलाम के लिए नहीं आए थे बल्कि अपने भारत के लिए चिलचिलाती धूप में बैठे या खड़े थे’’.
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भाकपा-माले द्वारा 27 सितंबर को आयोजित भाजपा भगाओ-लोकतंत्र बचाओ रैली के समापन के बाद बिहार के चर्चित सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार मणि की यह टिप्पणी अपने आप में रैली के अंतर्य को व्याख्यायित करने के लिए पर्याप्त है.
उसी तरह बिहार का एक चर्चित अखबार रैली पर टिप्पणी करते हुए लिखता है – गलेे में माला हाथ में लाल झंडा – चिलचिलाती धूप लाखों लोगों के संकल्प को डिगा न सकी. गांधी मैदान में लोग नेताओं का भाषण सुनते रहे और बीच-बीच में लाल सलाम का नारा लगाते रहे. जब माले के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य भाषण देने के लिए खड़े हुए तब कई मिनटों तक गांधी मैदान लाल सलाम के नारों से गूंजता रहा.
औरंगाबाद के दाउदनगर के शत्रुघ्न सिंह के ललाट पर टीका है, गले में फूल की माला व हाथ में लाल झंडा है. वे भाजपा भगाओ-लोकतंत्र बचाओ रैली में आए हैं. कहते हैं – मैं आस्तिक हूं. भगवान में भरोसा है लेकिन भाजपा धर्म की राजनीति कर रहा है इसके खिलाफ रैली में आया हूं. गरीबों पर ढाए जा रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ता रहूंगा. बेगूसराय राजौड़ा से आईं सुमिया देवी का पिछले तीन वर्षों से पेंशन बंद है. कहती हैं – कहां है सरकार, मेरा पेंशन क्यों बंद कर दिया ?
गरीबों का यह ऐतिहासिक जुटान भाजपा के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश की अभिव्यक्ति थी. आम तौर पर भाकपा-माले पर राजनीतिक बयान देने से परहेज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को भी बोलना पड़ गया. रैली में वाम दलों के अलावा राष्ट्रीय जनता दल व शरद यादव के नेतृत्व वाले लोजद को भी आमंत्रित किया गया था. भाकपा-माले ने पहली बार अपनी रैली में राजद को आमंत्रित किया था, जिसने भाजपा खेमे में और बेचैनी पैदा कर दी है. लेकिन बिहार में मामला भाजपा के खिलाफ किसी प्रकार का गठबंधन बना लेने भर की नहीं है, असली सवाल यह है कि कैसा गठबंधन बनाया जाए. माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में इसका जवाब दिया.
उन्होंने कहा कि कम्युनिस्टों व समाजवादियों की एकता आज वक्त की मांग है लेकिन किसी अवसरवादी गठबंधन से भाजपा को हराया नहीं जा सकता है. अतीत में बिहार में ऐसा प्रयोग हुआ था. हमने देखा कि नीतीश जी ने गद्दारी कर दी. आंदोलन की ताकतों पर भरोसा करना होगा. हमें भाजपा के खिलाफ वाम व समाजवादी ताकतों और फिर विपक्ष की बड़ी एकता पर जोर देना होगा. उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि भाजपा जैसी ताकतों का सबसे अधिक हमला गरीबों पर है, गरीबों की पार्टी भाकपा-माले पर है. हमने ऐसी ताकतों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया है. इसलिए भाजपा के खिलाफ बनने वाले गठबंधन में वाम दलों के साथ सम्मानजनक समझौता होना चाहिए. मोदी सरकार को पराजित करने के लिए भरोसेमंद व कारगर गठबंधन बनना चाहिए. हमें भाजपा के खिलाफ तालमेल के रास्ते बढ़ने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन यह गरीबों के स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इसी गांधी मैदान में 2013 में नरेन्द्र मोदी ने अपने सत्ता में आने का ऐलान किया था. आज उसी जगह से हम मोदी को 2019 में सत्ता से हटाने की घोषणा कर रहे हैं.
अपने संबोधन में माले महासचिव ने कहा कि मोदी का साढ़े चार साल तबाही का काल है. मोदी ने कहा था कि बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार, लेकिन मोदी के राज में महंगाई आसमान छू रही है. पेट्रोल व डीजल के दाम ने पुराने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं. राफेल विमानों की खरीद में अबतक का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है. कर्ज में डूबे अनिल अंबानी को मोदी ने राफेल खरीद का ठेका दे दिया, जो जनता के साथ विश्वासघात है. आश्चर्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर मोदी संसद में नहीं बोल सकते हैं, लेकिन अमित शाह तथा अंबानी-अडानी के साथ बैठक कर बातचीत कर सकते हैं. मोदी राज में किसानों और गरीबों को कर्ज नहीं मिल रहा है लेकिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों को लगातार छूटें मिल रही हैं. पूंजीपति हजारों करोड़ रुपये लेकर भाग रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नरेन्द्र मोदी के ही रास्ते चल रहे हैं. अपरहण, बलात्कारियों और भ्रष्टाचारियों के संरक्षक की सरकार चल रही है. उप मुख्यमंत्री अपराधियों पर कार्रवाई करने की बजाए उनके सामने गिडगिड़ा रहे हैं. यह भी कहा कि ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव होना चाहिए. ईवीएम की विश्वसनीयता घटी है. कहा कि दलितों-गरीबों के नाम वोटर लिस्ट से गायब करने की कोशिश की जा रही है. सरकार गरीबों की मजबूरी का मजाक उड़ा रही है. इन तमाम मसलों पर 30 नवंबर को संसद का घेराव किया जाएगा.
राष्ट्रीय जनता दल की ओर से शिवचंद्र राम ने रैली को संबोधित किया. कहा कि सामाजिक न्याय की ताकतों में एकता होनी ही चाहिए. देश की जनता को भाजपा से मुक्ति दिलाना है. आज संविधान पर खतरा है और बाबा साहेब के सपने का चकनाचूर किया जा रहा है. बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व लोजद नेता उदय नारायण चैधरी ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में सरकार नाम की कोई भी चीज नहीं रह गई है. मोदी सरकार ने पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छोड़कर किसी को नहीं बख्शा है. देश में अघोषित आपातकाल लागू हो गया है. खाने, पीने और लिखने-पढ़ने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.
भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो सदस्य व देश की चर्चित महिला नेत्री कविता कृष्णन ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार में महिलाओं पर अत्याचार काफी बढ़ गए हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर सहित कई बालिका सुधार गृहों में यौन शोषण की घटना घटी है. नीतीश सरकार पर बलात्कारियों को बचाने का आरोप है. यह सरकार तो बालिका सुधार गृह में हुए संस्थागत यौन उत्पीड़न की जांच सीबीआई से कराना भी नहीं चाहती थी लेकिन महिला संगठनों और वामपंथी दलों के दबाव में सीबीआई जांच को मंजूरी देनी पड़ी.
जेएनयू छात्र संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि हमने एबीवीपी को जेएनयू में हराया है, आप सब मुहल्ले-मुहल्ले भाजपा को हरायें. जिसको कागज का भी प्लेन बनाने नहीं आता है, इस मोदी सरकार ने उसे राफेल विमान बनाने का ठेका दे दिया है. मोदी राज में दलितों-अल्पसंख्यकों व महिलाओं पर हमले बढ़े हैं. मोदी जी हिंदुस्तान को लिंचिंगस्तान बनाना चाहते हैं जिसे हम पूरा नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि मोदी ने प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन रोजगार देने की बजाए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बंद की जा रही हैं. लोगों के रोजगार छीने जा रहे हैं.
सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह व सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने भी संबोधित किया. वाम नेताओं ने कहा कि हम वामपंथियों का गठबंधन छोटा ही सही लेकिन वैचारिक तौर पर बहुत मजबूत है. आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 40 सीटों पर भाजपा की हार तय है. यदि देश को बचाना है तो 2019 में मोदी को हटाना ही होगा.
रैली को इन नेताओं के अलावा अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह, पूर्व सासंद व खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य मो. सलीम, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, केंद्रीय कमिटी के सदस्य मनोज मंजिल आदि नेताओं ने भी संबोधित किया.
सभा का संचालन पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा ने की जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ कामरेड केडी यादव ने की. इसके पूर्व भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने सभी अतिथियों व नेताओं का रैली के मंच पर स्वागत किया और रैली के परिप्रेक्ष्य को रखा. हिरावल के साथियों द्वारा शहीद गीत के गायन के साथ रैली की विधिवत शुरूआत हुई. इन नेताओं के अलावा मंच पर पार्टी के सभी केंद्रीय कमिटी के सदस्य, झारखंड के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, काॅमरेड रामजी राय, बंगाल से काॅमरेड कार्तिक पाल, दिल्ली से उमा राग सहित बड़ी संख्या में बिहार के बाहर के भी काॅमरेड शामिल हुए.
भाजपा भगाओ – लोकतंत्र बचाओ रैली की साज-सज्जा आकर्षण व चर्चा का विषय बना. खुला मंच और पूरा गांधी मैदान लाल झंडे से पटा हुआ था. नारों से संबधित बड़े-बड़े फैस्टून व पोस्टर लटक रहे थे. मंच के बगल में ही कार्ल माक्र्स, लेनिन, भगत सिंह, अंबेदकर, चंदेशेखर, रामनरेश राम, डीपी बख्शी आदि नेताओं के बड़े कटआउट लगे थे. रैली में पटना शहर के बुद्धिजीवियों की भी भागीदारी हुई. एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर, पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की शिक्षिका प्रो. डेजी नारायण, शिक्षाविद् मो. गालिब, डाॅ. अलीम अख्तर, निवेदिता झा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, पत्रकार व पटना के बुद्धिजीवी शामिल थे.
रैली में पारित 9 सूत्री प्रस्ताव
1. संगठित व संस्थानिक घोटाले मोदी राज की चारित्रिक विशिष्टता बन कर उभरे हैं. भाजपा राज देशी-विदेशी कंपनियों और कारपोरेट घरानों के लिए स्वर्ण काल साबित हुआ है. व्यापम, पनामा, नोटबंदी, कच्चे तेल, बैंकों का लगातार बढ़ता एनपीए और अब अनिल अंबानी को पफायदा पहुंचाने के लिए किया गया राफेल डील में भारी भ्रष्टाचार ने मोदी सरकार की हकीकत को उजागर कर दिया है. पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतें और रुपये का भारी अवमूल्यन ने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. बिहार में भी सृजन से लेकर शौचालय निर्माण में घोटालों की लंबी पफेहरस्ति है. मोदी-नीतीश राज में घटित संस्थागत भ्रष्टाचार व कमर तोड़ महंगाई के खिलापफ आज की रैली आम लोगों से व्यापक संघर्ष खड़ा करने का आह्वान करती है.
2. फासीवादी भाजपा राज में लोकतंत्र और पूरा देश खतरे में है. दाभोलकर-पानसरे-कलबुर्गी-गौरी लंकेश जैसे विद्वानों की हत्याओं के बाद सुधा भारद्वाज, वर्नोन गौंजाल्विस, गौतम नवलखा, वरवरा राव सरीखे सामाजिक-मानवाध्किार कार्यकर्ताओं, कवियों-वकीलों-बुद्धिजीवियों को जेल में ठूंसा जा रहा है और उन्हें ‘अर्बन नक्सल ’ कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है. यह सब आपातकाल के कुख्यात दिनों की याद ताजा कर दे रहा है. संविधन की प्रतियां भी खुलेआम जलाई जा रही हैं. भाजपा-आरएसएस द्वारा देश में तानाशाही थोपने के ऐसे प्रयासों का मुंहतोड़ जवाब देने और संविधन व लोकतंत्रा की रक्षा का दायित्व हम सबके कंधों पर है. हम इस रैली के माध्यम से अपने इस दायित्व को पूरी कर्मठता से लागू करने का आज एक बार पिफर संकल्प लेते हैं.
३.संघ गिरोह साम्प्रदायिक आधर पर देश को विभाजित करने, समाज पर मनुवादी-पितृसत्तात्मक वर्चस्व को स्थापित करने और वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने का का हर संभव प्रयास कर रहा है. माॅब लिंचिंग की घटनाओं ने हाल के दिनों में देश में आतंक का माहौल पैदा किया है. अपफवाहों को हवा देकर निर्दोष लोगों की हत्याएं की जा रही हैं. इस प्रवृति के खिलापफ हमें कारगर प्रतिरोध् खड़ा करना होगा. हम आज की रैली से मांग करते हैं कि सांप्रदायिक उपद्रव में जिस किसी की भी प्रत्यक्ष भागीदारी हो वैसे असमाजिक और अपफवाह पफैलाने वाली ताकतों पर सरकार कठोर से कठोर कार्रवाई करे.
4. बिहार में सत्ता के संरक्षण में बालिका गृहों में संगठित यौन अपराध् और आम तौर पर महिलाओं पर बढ़ रही जघन्य हिंसा बेहद चिंता के विषय है . ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार आज महिला उत्पीड़न का केंद्र बन गया है. दिल्ली-पटना की सरकारें नारा ‘बेटी बचाओ’ व ‘महिला सशक्तीकरण’ का देती हैं लेकिन हर रोज महिलाओं पर हिंसा-बलात्कार-अपमान की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. आज राज्य में अपराधी बेलगाम हैं. हिंसा, घृणा, उन्माद को मिल रहे सरकारी संरक्षण के कारण बिहिया जैसी माॅब लिंचिंग की घटना घट रही है. यह बेहद शर्मनाक है. आज की इस विशाल रैली में हम एक बार फिर बालिका गृह कांड के लिए बिहार के मुख्यमंत्राी व उपमुख्यमंत्राी को जवाबदेह मानते हुए उनके इस्तीफे की मांग करते हैं.
5. बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए नीतीश-मोदी राज में शहरों से लेकर गांवों तक गरीब उजाड़ो अभियान चल रहा है. जिस जमीन पर गरीब बरसो-बरस से बसे हैं, वहां से भी उन्हें बेदखल किया जा रहा है. भूमि आयोग की अनुशंसा लागू करने की बजाए खेती की जमीन से भी बेदखली जारी है. दूसरी ओर शराबबंदी कानून की आड़ में लाखों दलित-गरीबों को जेल में डाल दिया गया है. सरकार हर दिशा से दलित-गरीबों पर हमला कर रही है. सरकार की इन घोर दलित-गरीब विरोधी कार्रवाईयों की आज की रैली कड़ी निंदा करती है और वास-चास की जमीन से बेदखली पर तत्काल रोक की मांग करती है.
6. किसानों के सभी प्रकार के कर्जों की मापफी, बटाईदार किसानों सहित सभी किसानों को सरकारी सहूलियतें प्रदान करने, पफसल की लागत का ड्योढ़ा दाम आदि मांगों पर किसानों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन का यह रैली समर्थन करती है. बिहार में भी किसानों की आत्महत्याएं शुरू हो गई है. मकई आदि पफसलों की खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य की तो बात ही छोड़िए, अब तो बिहार सरकार ने किसानों से धन-गेहूं भी खरीदना करीब-करीब बन्द ही कर दिया है. हम मांग करते हैं कि किसानों तमाम पफसलों की सरकार खरीद की गारंटी करे.
7. प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार मोदी सरकार का एक प्रमुख वादा था लेकिन आज भारत बेराजगार युवाओं का सबसे बड़ा देश बन गया है. जो कुछ रोजगार है भी वहां अपमानजनक शर्र्ताें पर काम करना पड़ता है. आज की रैली युवाओं के सम्मानजनक रोजगार की गारंटी की मांग का समर्थन करती है. साथ ही यह भी मांग करती है कि जब तक रोजगार न मिले प्रत्येक युवा को 5 हजार रुपया प्रति महीना बेराजगारी भत्ता दिया जाए.
8. आज की रैली विद्यालय रसोइया के 5-9 अक्टूबर के पांच दिनों की हड़ताल का समर्थन करती है. दिल्ली-पटना की सरकारों ने आशाकर्मियों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं और अन्य कामकाजी हिस्से के प्रति बेहद अपमानजनक रवैया अपना रखा है. हम इन तमाम तबकों के लिए सम्मानजनक वेतन व समान काम के लिए समान वेतन की मांग करते हैं.
9. भाजपा के खिलापफ कारगर व भरोसेमंद गठबंध्न आज वक्त की मांग है. आज वामपंथी आंदोलनों को मजबूत करने के साथ ही दलित व सोशलिस्ट आंदोलनों के साथ मिलकर काम करने और एक बड़ी विपक्षी एकता के निर्माण की संभावनाएं मौजूद हैं. यह रैली इन पहलुओं को और पुख्ता व मजबूत बनाने का संकल्प लेती है तथा देश व बिहार की जनता से अपील करती है कि आने वाले चुनावों में वे भाजपा को सबक सिखायें और अपना एक-एक वोट भाजपा के खिलापफ दें. हम आज की रैली में देश से पफासीवाद की विचारधरा को पूरी तरह नेस्तानाबूद कर देने, लोकतंत्रा को मजबूत करने तथा भगत सिंह-अंबेदकर के सपनों का भारत बनाने के संकल्प के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं.