राइट टू फ़ूड कैंपेन
पिछले कुछ वर्षों में भूख से मौतों की खबरें लगातार आती रही हैं. इनमें से झारखंड की 11-वर्षीय संतोषी कुमारी की मृत्यु खास कर दुखद थी. संतोषी 28 सितम्बर 2017 को अपनी माँ को भात-भात कहते-कहते चल बसी. बाद में पता चला कि आधार से लिंक न होने के कारण उसके परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था (मई-जुलाई 2017 में झारखंड सरकार ने व्यापक पैमाने पर बिना आधार से जुड़े राशन कार्डों को रद्द किया था).
संतोषी की पुण्यतिथि पर हम लोगों ने 2015 से लेकर अभी तक भूख से हुई मौतों (जिनकी जानकारी उपलब्ध है) की सूचि समेकित की है. हमारे हिसाब से अगर कोई व्यक्ति, घर में खाना या पैसा न होने के कारण, लम्बे समय से भूखा रहता है एवं उसकी मृत्यु होती है और उसे अगर समय से खाना या पैसा मिलता, तो शायद उसकी मृत्यु नहीं होती, तो उसे भूख से मौत मान सकते है. अंग्रेजी व हिंदी खबरों के गूगल सर्च पर आधारित यह एक आंशिक सूची है.
पिछले चार वर्षों में कम-से-कम 56 भुखमरी से मौतें हुई हैं. इनमें से 42 मौतें 2017 व 2018 में हुई हैं. यह भारत के गरीबों के जीवन में अनिश्चितता की स्थिति को दर्शाता है. अनेक गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन और जन वितरण प्रणाली जीवन रेखा समान है. अधिकांश मौतें पेंशन या जन वितरण प्रणाली से राशन न मिलने के कारण हुई हैं. भुखमरी के शिकार हुए अधिकांश व्यक्ति वंचित समुदायों – आदिवासी, दलित व मुसलमान हैं.
2017 और 2018 में जो 42 मौतें हुई, उनमें से 25 आधार सम्बंधित समस्याओं के कारण हुई थी. इनमें से कम-से-कम 18 मौतों के लिए सीधे तौर पर आधार ज़िम्मेदार था (सूचि में पीले व बोल्ड हाइलाइट्स देखें). मुख्य कारण हैं – आधार से न जुड़े होने के कारण राशन कार्ड रद्द हो जाना या पेंशन सूची से नाम कट जाना व आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था की विफलता. अनेक राज्यों में जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था अनिवार्य समान है. इनके अलावा 7 मौतें संभवतः आधार के कारण ही हुई हैं (सूची में केवल पीले हाइलाइट्स को देखें). इनमें से अधिकांश व्यक्ति अपने राशन या राशन कार्ड से वंचित थे, जिसके लिए आधार ज़िम्मेवार हो सकता है.
भूख से मौतों की संख्या | आधार-सम्बंधित मृत्यु | जन वितरण प्रणाली / पेंशन में आधार लागू? | |
2015 | 7 | 0 | नहीं |
2016 | 7 | 2 | कुछ राज्यों में |
2017 | 14 | 11 | हाँ |
2018 | 28 | 14 | हाँ |
भूख से मौतों की सूचनाएं झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगातार आती रही हैं. अभी तक इन दोनों राज्यों से 16-16 व्यक्तियों की मृत्यु की सूचनाएं मिली हैं. झारखंड में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था लगभग हर राशन दुकान में अनिवार्य है. उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को देर से व अव्यवस्थित तरीके से लागू किया है.
एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र में भूख से मौतें बड़ी खबर होनी चाहिए व इस पर गंभीर चर्चा और सक्रीय प्रतिक्रिया होना चाहिए. चंद मौतें कुछ हद तक चर्चित तो हुई हैं. लेकिन उस चर्चा से ऐसा निरंतर दबाव नहीं बन सका जिससे भूख से मौतों को रोकने के लिए सरकार को कार्यवाई करने के लिए विवश किया जा सके. इनमें से अधीकंश मामलें ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के दौर में मुख्य समाचार का हिस्सा भी नहीं बन पाई. जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था से व्यापक पैमाने पर हो रही समस्याओं के बावज़ूद केंद्र सरकार इसे पूरे देश में अनिवार्य करने पर लगी हुई है.
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