सरकार द्वारा अंतर-विभागीय बैठक बुलाए जाने के बाद प्रतिरोध मार्च स्थगित
कर्नाटक में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण 12 वर्षों में 70 सफाई कामगारों की जान गई है
कर्नाटक में हाथ से मैला उठाने (मैनुअल स्कैवेंजिंग) को ख़त्म करने के प्रति सरकार की उदासीनता के विरोध में बुधवार को बेंगलुरु में जोरदार प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन में शामिल महिला सफाई कामगारों का कहना था कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को भारत में प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन पूरे देश में यह बेरोक टोक चल रहा है. कानून को लागू करने के लिए सरकार कोई कोशिश नहीं कर रही है जिससे इस काम को प्रोत्साहन मिल रहा है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्रमुख सचिव एल.के. अतीक को प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन सौंपा . उनके द्वारा इस मुद्दे को हल करने के लिए एक अंतर-विभागीय बैठक बुलाने पर सहमति के बाद प्रदर्शनकारियों ने फिलहाल प्रतिरोध मार्च को स्थगित कर दिया गया. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने दो सप्ताह में जवाब नहीं दिया तो वे फिर से आंदोलन शुरू कर देंगे.
प्रदर्शनकारियों में सफाई कामगारों के अलावा कॉलेज के छात्र, कार्यकर्ता, बीबीएमपी और बीडब्ल्यूएसबीबी अनुबंध कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मानवाधिकार संगठन भी शामिल थे.
बीडब्ल्यूएसएसबी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के सतीश ने इस मौके पर कहा कि बीडब्ल्यूएसएसबी द्वारा स्थापित 37 एसटीपी में मल-मूत्र साफ करने के लिए सफाईकर्मी कैसे मजबूर हैं, इसका सरकार को जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि एक शिकायत सफाई कर्मचारी आयोग में दर्ज की गई है और उसने कार्रवाई की सिफारिश भी की है, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अकेले कर्नाटक में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण पिछले 12 सालों में 70 से ज्यादा लोग मारे गए। इनमें से 15 से अधिक मौतें पिछले दो सालों में ग्रेटर बेंगलुरु में हुईं।
वकील-कार्यकर्ता और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के राज्य सचिव क्लिफटन डी रोज़ारियो ने कहा कि सरकार मैनुअल स्कैवेंजर्स को पहचानने और पुनर्वास के बारे में सुस्त रही है .
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में पुलिस विभाग की भी मिलीभगत है क्योंकि इन मामलों में दोषी अभियुक्तों की गिरफ्तारी इरादतन हत्या के बजाय लापरवाही के आरोप में की गई.
मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के राज्य अध्यक्ष एस. बालान ने कहा कि मुख्यमंत्री 70 लाख की हब्लोट की घड़ी पहनने में मस्त हैं, मैनुअल स्कैवेन्जिंग में हुई 70 से ज्यादा हत्याओं को रोकने के लिए कुछ भी करने के बारे तत्पर नहीं हैं .”
उन्होंने कहा, “ये मौत येदियुरप्पा और कुमारस्वामी के शासनकाल के दौरान हुई है और वे इस मुद्दे के प्रति बेहद उदासीन हैं।” उन्होंने कहा कि इन तीनों मुख्य राजनीतिक दलों में से कोई भी इस मुद्दे को हल करने का इरादा नहीं रखता है और कहा है कि इस अभ्यास को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है.
प्रदर्शनकारियों की ज्ञापन लेने आये प्रमुख सचिव से मैनुअल स्कैवेंजिंग में लगे सभी लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उपयुक्त बजट आवंटित करने, बीडब्लूएसएसबी, क्यूडब्ल्यूएस और डीबी अभियंताओं, अपार्टमेंट प्रबंधन, मैनहोल सफाई ठेकेदार और अन्य जो कर्मचारियों को मैनुअल स्कैवेंजिंग करने के लिए मजबूर करते हैं, के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 II के तहत मामला दर्ज कर, उन्हें तत्काल गिरफ्तार करने, इस कार्य के दौरान मरे लोगों के परिवार वालों को 50 लाख रू मुआवजा और नौकरी देने, समस्या के समाधान के लिए नियम, कानून, दिशानिर्देश तैयार करने के लिए सफाई कामगारों के साथ काम करने वाले बीडब्ल्यूएसएसबी / यूडीडी / डीएमए और ट्रेड यूनियनों की एक समिति का गठन करने और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत निर्मित शौचालयों में हाथ से मैला सफाई करने की आवश्यकता न हो ।
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