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लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा है मोदी सरकार : मो. सलीम

 

इंसाफ मंच ने औराई में ‘ लोकतंत्र बचाओ जन सम्मेलन ‘ का आयोजन किया

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की तरफदारी करने वाले आज अपने को देश का रक्षक बता राष्ट्रवाद का नारा लगा रहे हैं। अंग्रेजों की चापलूसी करने वाले लोग आज सत्ता हासिल कर कॉरपोरेट घरानों के साथ याराना कर देश के खजाने को लूट रहे हैं.  तिरंगा और वंदे मातरम के नाम पर समाज में हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव पैदा किया जा रहा है. दूसरी तरफ हक मांगने पर लोगों को देशद्रोही करार देकर जेल भेजा जा रहा है.

दलित व अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले की निंदा करते हुए मो. सलीम ने उपस्थित जनसमूह से आने वाले चुनाव में भाजपा सरकार के विरुद्ध बिगुल फूंकने की अपील की.

लंगट सिंह कॉलेज के सेवा निवृत प्रोफेसर अरविंद कुमार डे ने कहा कि संप्रदायवाद ने लोकतंत्र को खतरे में ला दिया है. हम सभी का कर्तव्य बनता है कि देश की एकता के लिए एकजुट होकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें.

एपवा कि राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि देश का समूचा धन महज कुछ लोगों के हाथों में है जो गरीबों का खून चूस रहे हैं.  एक तरफ गरीबों का खाता बैंक में खुलवाया जा रहा तो दूसरी तरफ घोटालेबाज हमारा धन लेकर विदेशों में फरार हो रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. सामप्रदायिक फासीवादी ताकतें हक मांगती हर आवाज को बंद करना चाहती है जिसके खिलाफ मजबूत संघर्ष आज की जरूरत है.

सम्मेलन की अध्यक्षता व संचालन करते हुए इंसाफ मंच के राज्य पार्षद आफताब आलम ने कहा कि लोकतंत्र के बचाव व औराई के विकास को लेकर वह लगातार क्षेत्र में लोगों को जागरूक करते रहेंगे.  धन्यवाद ज्ञापन करते हुए इंसाफ मंच के राज्य सचिव सूरज कुमार सिंह ने इंसाफ मंच के नौ एजेंडे  पर विस्तार से लोगों को बताते हुए संघर्ष करने की बात रखी.

सभा को राज्य अध्यक्ष मो इफ्तेखार आलम,  सचिव सुरज कुमार सिंह,  रामचंद्र राम, मो फहद जमा, असलम रहमानी, मो शक्कु, जावेद इकबाल, अकबर आजम, कमरे आलम तमन्ना, राकेश कुमार समेत कई लोगों ने संबोधित किया।

कार्यक्रम के अंत जेल मे बंद बेगुनाह मुस्लिम, दलितों की रिहाई, भीम आर्मी अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण पर रासुका हटा उन्हें रिहा करने, कासगंज में हिंसा के जिम्मेदार हिन्दू संगठनों के लोगों को गिरफ्तार कर निर्दोष लोगों को रिहा करने, आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए भीमा कोरेगांव में दलितों पर हमले, सेना पर मोहन भागवत के बयान की निंदा का प्रस्ताव पारित किया गया.

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