समकालीन जनमत
जनमत

तूफ़ान में हलकान

स्टैनली जाॅनी

( लेखक -पत्रकार स्टैनली जाॅनी यह लेख ‘द हिन्दू’ से साभार लिया गया है जो 2 मार्च को प्रकाशित हुआ था। हिन्दी अनुवाद दिनेश अस्थाना का है)

दिसम्बर 2022 में अमेरिकी कांग्रेस को सम्बोधित करते हुये जेलेेंस्की ने कहा था, ‘‘इस युद्ध में हम दोनों देश दोस्त हैं। हमें क्रेमलिन को हराना है।…..इस युद्ध से यह तय होगा कि हमारे बच्चे और पोते-परपोते कैसी दुनिया में रहेंगे।…..’’ उस समय यूक्रेन के इस राष्ट्रपति का वाशिंगटन डी0सी0 में एक हीरो की तरह स्वागत किया गया था और बायडन प्रशासन के अधिकारियों और सांसदों दोनों  ने कीव के लिये समर्थन की घोषणा की थी। उसी साल की शुरुआत में लन्दन की लोकसभा को सम्बाधित करते हुये जेलेंस्की ने बिना सीधे-सीधे नाम लिये अपनी तुलना ब्रिटेन के युद्धकालीन प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल से यह कहते हुये की थी कि, ‘‘हम हार नहीं मानेंगे और हम हारेंगे भी नहीं’’। कई लोगों ने ‘‘आधुनिक चर्चिल’’ कहते हुये उन्हें आसमान पर उठा लिया था। रूस के ‘‘अचानक’’ हमले के खिलाफ़ उन्हें एक मजबूत प्रतिरोध का ‘‘बहादुर चेहरा’’ माना गया। अमेरिका और उसके यूरोपीय दोस्तों ने कहा था कि वे यूक्रेन का समर्थन करते रहेंगे ‘‘युद्ध चाहे जितना लम्बा खिंचे’’। जेलेंस्की ने उनका भरोसा कर लिया था।

अब आते हैं आज के हालात पर। यूक्रेन और अमेरिका के बीच खनिजों के एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिये 28 फरवरी को जेलेंस्की व्हाइट हाउस गये। उपराष्ट्रपति जे0डी0 वेन्स समेत इन नेताओं के वार्ता में बैठने के पूर्व उनके अमेरिकी काउन्टरपार्ट, डोनाल्ड ट्रम्प ने ओवल ऑफिस  में उनका स्वागत किया। इसके बाद जो भी हुआ वह दोनों राष्ट्रपतियों के बीच हुआ एक गैरमामूली सड़कछाप बहसा-बहसी ही था, जिसे सारी दुनिया ने देखा। ट्रम्प ने मेहमान राष्ट्रपति से कहा, ‘‘ इस समय तुम अच्छे हालात में नहीं हो। तुम इसे (युद्ध) जीतने नहीं जा रहे हो…..इस समय तुम्हारे पत्ते ठीक नहीं हैं।’’ स्थितियों में इस तरह का उलटफेर यूक्रेन और उसके नेता के लिये भी विलक्षण था। यह हुआ कैसे?

उत्थान

1978 में एक यहूदी परिवार में जन्मे व्लादिमिर जेलेंस्की केन्द्रीय यूक्रेन के क्रीवी रीह शहर में एक रूसी वक्ता के रूप पले बढ़े। राजनीति में आना युवा जेलेंस्की की कल्पना में कहीं भी नहीं था। क्रीवी रीह के अर्थशास्त्र संस्थान से उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की जरूर पर उसे अपना पेशा कभी नही बनाया। उनकी रुचियाँ कहीं और थीं- मनोरंजन की दुनिया। उस दिन ट्रम्प ने उन्हें ‘‘एक औसत दर्जे़ का सफल काॅमेडियन’’ भी कहा था। पर जेलेंस्की एक अभिनेता और एक काॅमेडियन के रूप में बहुत सफल थे। 1977 में सिर्फ 19 साल की उम्र में उनकी टीम के के0वी0एन0 (मज़ाकिया और कल्पनाशील लोगों का क्लब) के काॅमेडी शो के फाइनल में पहुँच जाने पर उन्हें अपार प्रसिद्धि मिल गयी थी। इसका प्रसारण पूर्व सोवियत संघ के समस्त देशों में हुआ था। बाद में उन्होंने एक स्टूडियो क्वार्तल 95 की सह-स्थापना की और उसके बाद प्रसिद्ध ‘पापुलर 1$1’ नेटवर्क के मालिक यूक्रेन के बड़े धनिकों में से एक, इहोर कोलोम्वायस्की से हाथ मिला लिया। जेलेंस्की को सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल नामक टी0वी0 शो में भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति के रोल के लिये पूरे देश में सराहा गया। इसी प्रसिद्धि के साथ वह यूक्रेनी राजनीति के केन्द्र में आ गये।

2019 के राष्ट्रपति-चुनाव के दूसरे दौर में अपने चुनावी मुहिम के दौरान जेलेंस्की ने भ्रष्टाचार से लड़ने, व्यवस्था को सुधारने और रूस के साथ शान्ति बनाये रखने के वादे किये और निर्वतमान राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेन्को के खिलाफ़ लड़ते हुये 73.23 प्रतिशत वोट पाकर विजयी हो गये। पर इस जीत ने जेलेंस्की को एक अपरिहार्य स्थिति में  भी डाल दिया। उनके चुनाव के पाँच साल पहले रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। उसी समय से यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में एक अलगाव वादी गृहयुद्ध सिर उठा रहा था।

पद सँभालते ही जेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से फोन पर बात की और उसके बाद रूस समर्थित अलगाव वादियों से एक प्रारम्भिक समझौते की घोषणा कर दी। 2020 में उन्होंने युद्धविराम की औपचारिक घोषणा की। लेकिन इनमें से किसी भी प्रयास से डोनबास में लड़ाई खत्म नहीं हो सकी, नव-नाजी सम्बन्धी एजोव ब्रिगेड समेत यूक्रेनी पक्ष के धुर-दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी समूहोें ने अलगाव वादियों के साथ हुये समझौते को रद्द कर दिया था जबकि रूस ने अलगाव वादियों को समर्थन देना जारी रखा था।

सितम्बर 2020 में डोनबास संकट के बीच में ही जेलेंस्की ने एक नयी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत रूस को ‘‘हमलावर’’ घोषित करते हुये नाटो की सरस्यता को यूक्रेन की रक्षा एवं विदेश नीति का मूलाधार निर्धारित कर दिया। दो साल के अन्दर ही पुतिन ने डोनबास ओब्लास्ट्स (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) पर भी कब्जा कर लिया और यूक्रेन पर खुला हमला बोल दिया।

हो सकता है कि पुतिन अपने इस ‘विशेष सैन्य अभियान’ को कुछ दिनों में समाप्त कर देते। लेकिन यूक्रेन के प्रतिरोध के चलते रूसियों को त्वरित विजय न मिल सकी। युद्ध के शुरुआती दिनों में जेलेंस्की ने अपना देश नहीं छोड़ा और एक बंकर में चले गये। तत्कालीन इसराइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बैनेट ने बाद में बताया था कि जेलेंस्की के भविष्य को लेकर उन्होंने पुतिन से बात की थी।
मार्च 2022 में पुतिन से मिलने पर बैनेट ने पुतिन से पूछा था कि क्या उनका इरादा जेलेंस्की को मार देने का है तो इसके जवाब में रूसी नेता ने कहा था ‘नहीं’।

बैनेट ने दुबारा पूछा था, ‘‘क्या आप मुझे इस बात का वचन देते हैं कि आप जेलेंस्की को मारेंगे नही?’’
पुतिन का कहना था, ‘‘मैं जेलेंस्की को नहीं मारूँगा।’’

पुतिन के साथ इस तीन घंटे की बैठक के तुरंत बाद बैनेट ने यूक्रेनियाई नेता को फोन पर बताया कि, ‘‘मैं अभी-अभी पुतिन के साथ बैठक से बाहर आया हूँ- वह आपको मारेंगे नहीं ’’

जेलेंस्की ने बैनेट से पूछा, ‘‘क्या आप इस बात से आश्वस्त हैं? ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ 100 प्रतिशत।’’

प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद प्रसारित एक यू-ट्यब साक्षात्कार में बैनेट याद करते हैं कि उस बातचीत के दो घंटे बाद जेलेंस्की ने अपने कार्यालय में ही एक सेल्फी ली और उसे इस कैप्शन के साथ पोस्ट कर दिया ‘‘ मैं डरा नहीं हूँ। ’’

अधःपतन

इस युद्ध ने जेलेंस्की को एक तरह से हीरो बना दिया।  एक ऐसा योद्धा जो ‘‘ दुष्ट रूसी तानाशाह के सामने ताल ठोंक कर खड़ा हो।’’ मार्च 2022 में इस्तांबूल में वार्ता के बाद रूसी और यूक्रेनी दोनों, युद्ध को समाप्त कर देने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के बहुत करीब आ गये थे, पर ब्रिटेन और अमेरिका की शह पर आखिरी मौके पर यूक्रेन मुकर गया और उसने युद्ध को जारी रखने को तरज़ीह दिया (इस्तांबूल बैठक में शामिल विभिन्न लोगों के अनुसार)। जब रूसी फौजों को पहले खारकीव और फिर खेरसाॅन छोड़ने पर मज़बूर होना पड़ा तो जेलेंस्की ने इसे अपनी विजय घोषित किया और क्रीमिया सहित रूस द्वारा जब्त किये गये सारे क्षेत्रों को आजाद कराने का बीड़ा उठा लिया।

पश्चिमी देशों, खासतौर पर अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डाॅलर के हथियार मुहैया कराये। पर कुछ शुरुआती झटकों के बाद पुतिन ने एक दीर्घकालीन युद्ध के मद्देनज़र आंशिक रूप से ही अपनी सेना को आगे बढ़ाया। आनेवाले महीनों में यूक्रेन पूर्व में अपनी ज़मीन खोने लगा। 2023 में पश्चिम से प्राप्त विकसित हथियारों की सहायता से, रूस द्वारा कब्जायी गयी जमीन वापस पाने के लिये, कीव ने जबरदस्त जवाबी हमले किये, पर वह ‘टाँय टाँय फिस’ निकला। कुछ ही महीनों में यूक्रेन की किस्मत तय हो गयी, जवाबी हमला नाकामयाब हो चुका था।

लेकिन जेलेंस्की बहादुरी के साथ डटे रहे। उन्होंने एक विमर्श यह चलाया कि यदि यूक्रेन का पतन होगा तो रूसी पूर्व की ओर और आगे बढ़ेंगे जो यूरोप की सुरक्षा के लिये ख़तरा पैदा कर देगा। यही उनका प्लान ‘ए’ और ‘बी’ था। यह तभी तक कामयाब रहा जबतक व्हाइट हाउस में बायडन बैठे हुये थे। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता में आ गये, एक नये एजेन्डा और नयी विश्वदृष्टि के साथ। अमेरिकी हथियार आपूर्ति पर लगभग पूरी तरह निर्भर जेलेंस्की ऐसे हालात के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थे।

अब जेलेंस्की को ठेंगा दिखाकर ट्रम्प प्रशासन इस युद्ध को खत्म करने के लिये रूस के साथ सीधा समझौता करने पर आमादा है। वह अपने क्षेत्र का 20 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा गँवा चुके हैं। लड़ाई के मैदान में रूसी लगातार उनकी सेनाओं को पीछे धकेल रहे हैं। उनका देश नाटो का सदस्य नहीं बनेगा। उन्हें अमेरिका से कोई सुरक्षा-गारंटी नहीं मिलने वाली है। और, इस लड़ाई से खस्ताहाल यूक्रेन को अमेरिका ने जो मदद की है उसके बदले वह यूक्रेन के खनिज स्रोत में हिस्सेदारी चाहता है। इन सब के ऊपर यह कि ट्रम्प अब जेलेंस्की को शान्ति के लिये बाधक समझते हैं। शुक्रवार को उनके साथ हुयी बैठक के तुरंत बाद ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘ उन्होंने (जेलेंस्की) अमेरिका के प्रतिष्टित ‘ओवल ऑफिस ’ का अपमान किया है।’’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘जब वह शान्ति के लिये तैयार हो जाँय तो वापस आ सकते हैं। ’’

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