( तस्वीरनामा में आज रूसी चित्रकार इलिया एफिमोविच रेपिन द्वारा 1870 में बनाये गए चित्र ‘ वोल्गा पर जहाज खींचने वाले लोग ‘ (Barge Haulers on the Volga) के बारे में जानकारी दे रहे हैं मशहूर चित्रकार अशोक भौमिक )
चित्रकला के इतिहास में मेहनत करते हुए लोगों पर कम ही चित्र हमें देखने को मिलते हैं। इलिया एफिमोविच रेपिन का ‘ वोल्गा पर जहाज खींचने वाले लोग ‘ मेहनतकश लोगों पर बना एक अत्यंत मार्मिक और महत्वपूर्ण चित्र है । वैसे तो उनके कई और उल्लेखनीय कृतियाँ हैं पर शायद ‘ वोल्गा पर जहाज खींचने वाले लोग ‘ कई महत्वपूर्ण बातों को अपने में समाये हुए हैं ,जो ऐतिहासिक या सामाजिक महत्व के साथ साथ कलात्मकता की कसौटी पर भी इसे एक कालजयी चित्र बनाता है।
इलिया रेपिन ने यह चित्र तीन वर्षों (1870 से 1873) के अथक परिश्रम से बनाया था। यह चित्र उन मेहनतकशों को केंद्र मे रख कर बनाया गया है, जिन्हें रूसी ‘ बर्लक ‘ ( हिन्दी मे जिसका अर्थ ‘बेघर लोग ‘ है ) कहा जाता है। रूस में बर्लकों द्वारा जहाज खींचने का तरीका सत्रहवीं शताब्दी में शुरू हुआ था जो पिछली सदी तक भी जारी रहा ।
‘ वोल्गा पर जहाज खींचने वाले लोग ‘ चित्र रेपिन ने रूस के प्रसिद्ध नदी वोल्गा के किनारे स्थित छोटे से कस्बे में छुट्टियाँ बिताते समय बनाया था । इस दौरान युवा चित्रकार रेपिन पूरी तन्मयता के साथ नदी, आकाश , और प्रकृति की अन्य तमाम सुन्दर उपस्थितियों का अध्ययन कर रहे थे पर इसके साथ साथ वे उन मेहनत करने वाले लोगों के जीवन को भी बेहद करीब से समझने की कोशिश कर रहे थे ।
‘ वोल्गा पर जहाज खीचने वाले लोग ‘ चित्र में रेपिन के दोनों अनुभवों की उपस्थिति देखी जा सकती है। इस चित्र को लैंड स्केप की पारंपरिक शैली के अनुसार हम तीन हिस्सों में बाँट सकते है। ऊपरी हिस्सा नीले आकाश का है, जो बादलों की मौजूदगी के बावजूद इतना स्वच्छ है।
दूसरे हिस्से में हम विशाल वोल्गा नदी को बहते हुए पाते है, जबकि चित्र का तीसरा हिस्सा बालू का असमतल तट है। यहाँ गौर तलब है कि जहाँ आसमान लगभग आयताकार है वहीं नदी, चित्र के बाएँ हिस्से में चौड़ी और दाहिने हिस्से में संकरी है। इसके ठीक विपरीत बालू का असमतल तट चित्र के बाएँ संकरा है और दाहिने हिस्से मे चौड़ा। रेपिन इस प्रयोग के माध्यम से इस चित्र में नदी की विशालता को दिखाने के लिए एक नायाब परिप्रेक्ष्य (पर्सपेक्टिव) का निर्माण करते है।
एक क्षण के लिए अगर हम इस चित्र की कल्पना जहाज खींचने वाले लोगों के बगैर करें तो यह वोल्गा नदी का एक बेहद खूबसूरत और आदर्श दृश्य चित्र या लैंडस्केप लग सकता है। पर यहाँ इस खूबसूरत पृष्ठभूमि के सामने धूप और गर्मी से बेहाल थक कर चूर बदरंग बर्लकों के समूह की उपस्थिति एक अत्यन्त प्रभाव शाली सापेक्षता (रिलेटिविटी) को प्रस्तुत करती है जो इस चित्र का एक सार्थक पक्ष है।
चित्र में ग्यारह लोगों को यदि हम अलग-अलग देखें तो वे हर एक अपने आप में स्वतंत्र पृष्टभूमि से आये लोग के रूप में पहचाने जा सकते हैं।
इलिया एफिमोविच रेपिन (1844 -1930) को उन्नीसवीं सदी के सबसे बड़े रूसी चित्रकार के रूप में जाना जाता है। इलिया रेपिन के चित्रों ने वास्तव में यूरोप की चित्रकला की मूल धारा के साथ रूसी चित्रकला को जोड़ा । रेपिन की आरंभिक शिक्षा सेंट पीटर्सबर्ग आर्ट अकादेमी में हुई थी और उन्हें बहुत कम समय में ही एक कुशल चित्रकार होने की ख्याति मिली l 1917 के रूसी क्रांति का उन्होंने न केवल समर्थन किया बल्कि उन्होंने तमाम मज़दूर और किसानों के चित्रों के साथ साथ सोविएत रूस के प्रसिद्ध लेखकों , कवियों, चित्रकारों और नेताओं के चित्र भी बनाये।
इलिया रेपिन अपने चित्रों की तैयारी में सैकड़ों रेखाचित्र बनाते थे और चित्र में सूक्ष्म बारीकियों पर विशेष ध्यान देते थे। रेपिन के चित्रों में उनका अध्ययन और श्रम दोनों ही स्पष्ट दिखता है जो उन्हें, उनके समकालीन यूरोपीय चित्रकारों से अलग भी करता है।
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