पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई ने वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और अन्य पत्रकारों पर राजनीतिक रूप से समर्थित गुंडो द्वारा किये गये घातक हमले की कड़ी निन्दा की है और आरोपियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्यवाही की मांग की है।
पीयूसीएल की की छत्तीसगढ़ इकाई की अध्यक्ष डिग्री चौहान और सचिव शालिनी गेरा द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पत्रकार कमल शुक्ला के नेतृत्व में संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून के लिये एक प्रभावशाली आन्दोलन किया था और कांग्रेस पार्टी ने वादा भी किया था कि वे पत्रकार सुरक्षा कानून को पारित करेंगे। यह बहुत बड़ी विडम्बना की बात है कि कांग्रेस पार्टी के सत्ता ग्रहण करने के लगभग एक साल बाद भी यह कानून नहीं बना है और आज उन्हीं कमल शुक्ला पर इसी पार्टी के समर्थित तत्त्वों द्वारा भयानक हिंसा की जा रहा है।
शनिवार की दोपहर, कांकेर में नदी किनारे स्थित होटल से एक पत्रकार साथी, सतीश यादव, को सरकार समर्थित गुंडे मार-मार कर 200 मीटर दूर पुलिस थाने ले गये, जहाँ उनके साथ और भी मारपीट हुई। इस के विरोध में कमल शुक्ला और 20-25 अन्य पत्रकार साथी कांकेर थाने पहुँचे । वहाँ उसी समय लगभग 300 से अधिक असामाजिक तत्त्व एकत्रित हो गये और थाना परिसर के भीतर एवं उसके ठीक बाहर, पुलिस के समक्ष, उन्होंने कमल शुक्ला व अन्य पत्रकारों से भीषण मारपीट की। दिन दहाड़े, खुलेआम, पुलिस की मौजूदगी में ऐसी हिंसा करना दर्शाता है कि हमलावरों को सरकारी प्रशासन और पुलिस से पूर्ण संरक्षण प्राप्त था।
कमल शुक्ला अपने लेखों द्वारा लगातार सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और अवैध रेत खनन का खुलासा कर रहे थे। उन्हें इस से पहले भी जान से मारने की धमकियाँ मिली हैं ।उन पर यह कोई सहज, स्वतःस्फूर्त हमला नहीं था, अपितु एक सुनियोजित, पूर्वकल्पित हमला था। इस प्रहार से उनके सर और गर्दन पर गम्भीर चोटें आई हैं । कमल शुक्ला एवं अन्य साक्षियों ने बताया कि हमलावरों में कांकेर विधायक के प्रतिनिधि गफूर मेमन, पूर्व नगर पालिका के अध्यक्ष जितेन ठाकुर, वर्तमान नगर पालिका के उपाध्यक्ष मकबूल खान, और गणेश तिवारी शामिल हैं।
पीयूसीएल ने इस घटना की तीव्र निन्दा करते हुए कांकेर प्रशासन तुरन्त कमल शुक्ला, सतीश यादव और अन्य पत्रकारों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने, हमले की पूर्ण निष्पक्ष जाँच करने और हमलावरों को कड़ी सज़ा देने, कांकेर पुलिस थाने की निष्क्रियता और पक्षपाती रवैये की जाँच करने और छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र पारित किया जाने की मांग की है।