शिवानी पाण्डेय
दिल्ली विधानसभा के चुनाव के ठीक एक सप्ताह पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अलग अलग क्षेत्रों में 350 से 450 के बीच में है।
खराब हवा का यह स्तर दुनिया के सबसे खराब प्रदूषित शहरों में से एक है। ये जहरीली हवा ना केवल लोगों को बीमार कर रही है बल्कि कई दूसरी बिमारियों को बढ़ाने में भी योगदान दे रही है।
इस जहरीली हवा पर मिडिया और आम लोगों के बीच केवल सर्दियों में और दिवाली के त्यौहार के आस पास ही होती है जबकि ऐसा नहीं है कि साल के दूसरे महीनों में हवा साफ रहती है।
हर साल खराब हवा के आंकड़े बढ़ते जिस रफ़्तार से बढ़ रहे है, उसी रफ़्तार में खराब हवा से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।
बाजार में हवा को साफ करने वाली कई तरह की मशीनें आ गयी है, जो अब राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आ गया है। लेकिन क्या हवा साफ करने वाली ये मशीने इस समस्या का समाधान है? क्या सभी लोग 24 घंटे, 365 दिन इस मशीन के आगे बैठे रह कर साफ हवा ले सकते है?
दिसम्बर 2024 में द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 10 प्रमुख भारतीय शहरों में प्रतिदिन होने वाली 7 प्रतिशत से अधिक मौतें पीएम 2.5 की सांद्रता के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सुरक्षित सीमा से बहुत अधिक है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हर साल जहरीली हवा से संबंधित लगभग 12,000 मौतें दर्ज की जाती हैं, जो कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा नवम्बर 2023 में प्रकाशित शोध के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण भारत में प्रति वर्ष लगभग 2.18 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है, जबकि शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, उत्तर भारत में रहने वाले 510 मिलियन से अधिक लोग – जो भारत की जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत है – औसतन अपने जीवन के 7.6 वर्ष खोने के “रास्ते पर” हैं।
इन अध्ययनों का हवाला देने की आवश्यता केवल यह जाहिर करना है कि वायु प्रदूषण केवल हवा-हवाई की बात नहीं है बल्कि लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण बिंदु है।
लोगों की सांसों को हर सेकंड प्रभावित करने वाले इस विषय पर राजधानी दिल्ली के राजनीतिक दल क्या सोचते है? क्या उनके लिए भी इन शोधों की तरह ये जरुरी विषय है जिस से उनका चुनाव परिणाम प्रभावित होगा? आखिर ये राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्रों में जहरीली हवा को कितनी जगह देते है और जगह देते भी है या नहीं? क्या पर्यावरण और जहरीली हवा राजनीतिक दलों के चुनावी भाषणों और मुख्य बहसों में शामिल है?
हर एक दिन गुजरने के साथ दिल्ली में सत्ता हासिल करने की लड़ाई तेज़ होती जा रही है, आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस तीनों मुख्य राजनीतिक दल 5 फ़रवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं का दिल जीतने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली में 27 वर्षों से सत्ता से दूर रही भाजपा, 2015 से सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी से राजधानी का नियंत्रण छीनने के लिए आतुर है।
2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को क्रमशः केवल तीन और आठ सीटें मिलीं, जबकि आम आदमी पार्टी ने 67 और 62 सीटों की भारी जीत से दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार चलायी। आम आदमी पार्टी पिछली दो जीतों का ये सिलसिला बरकरार रखना चाहती है। तो वही कांग्रेस, पिछले दोनों चुनावों में एक भी सीट जीतने में विफल रही, और उसका वोट शेयर लगातार घटता गया – 2008 में 40.3% (जब उसने 43 सीटें जीती थीं) से 2020 में सिर्फ 4.3% रह गया।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस वोट शेअर के साथ-साथ अपने पुराने गढ़ में एक बार फिर से वापसी की कोशिश कर रही है।
8 फरवरी को इन चुनावों का परिणाम आएगा और जनता तय करेगी कि अगले 5 साल उसके लिए कौनसा राजनीतिक दल नीतियाँ बनाएगा? लेकिन क्या इन राजनीतिक दलों के चुनावी एजेंडे में दिल्ली की बद से बदत्तर होती जा रही हवा शामिल है?
पिछले दो बार से दिल्ली में सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल की गारंटी’ शीर्षक वाले इस घोषणापत्र में 15 वादे किए गए हैं, जिनमें रोजगार सृजन, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार, महिलाओं के लिए नकद धन राशि, 24 घंटे साफ पानी की गारंटी, किरायदारों को मुफ्त बिजली-पानी आदि शामिल हैं।
अन्य प्रमुख वादों में यमुना नदी की सफाई करना और विदेश में पढ़ने वाले दलित छात्रों के लिए सभी खर्चों को कवर करने वाली छात्रवृत्ति प्रदान करना शामिल है।
इसके अलावा, आप ऑटो चालकों को इंश्योरेंस, छात्रों के लिए मुफ्त बस और मेट्रो में आधे किराये के साथ यात्रा की पेशकश करने और सड़कें यूरोपीय स्टैण्डर्ड की बनाने की योजना बना रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने घोषणापत्र का शीर्षक ‘विकासशील दिल्ली संकल्प पत्र’ है, 8 मुख्य बिन्दुओं में विभाजित इस संकल्प पत्र में महिला समृद्धि योजना, आयुष्मान भारत योजना का विस्तार, वरिष्ठ नागरिकों और आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के लिए 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा शामिल है।
अन्य वादों में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी, जिसमें होली और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान मुफ्त सिलेंडर शामिल है।
जबकि, कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के लिए भाजपा के नकद हस्तांतरण की बराबरी करते हुए प्यारी दीदी योजना के तहत 2,500 रुपये प्रति माह देने की पेशकश की है।
स्वास्थ्य सेवा के लिए, कांग्रेस जीवन रक्षा योजना के तहत सभी निवासियों के लिए 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करती है। पार्टी ने आप और भाजपा की योजना से आगे बढ़कर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का भी वादा किया है। इसके अतिरिक्त, कांग्रेस ने 500 रुपये में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के वादे को भी शामिल किया है, जो भाजपा के समान ही है।
कांग्रेस ने शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं को एक साल तक के लिए 8,500 रुपये प्रति माह देने की योजना बनाई है।
ये वो बिंदु है जो राजनीतिक दलों के मुख्य बहस के बिंदु है जिन को केंद्र में रखकर राजनीतिक दलों ने अपना चुनावी अभियान केन्द्रित किया है। इन बिन्दुओं में साफ हवा मुख्य बिंदु के रूप में जगह नहीं बना पायी है।
हवा और इस से सम्बन्धित विषयों को विस्तृत घोषणा पत्रों के अंतिम पन्नों में जगह दी गयी है।
स्वच्छ और हरित दिल्ली का वादा कर भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वायु प्रदूषण और यमुना नदी को जगह दी है।
भाजपा ने दिल्ली क्लीन एयर मिशन की शुरुआत कर औसत एक्युआई को 2030 तक आधा करना और खराब एक्युआई वाले दिनों को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जबकि कांग्रेस ने वायु, जल और भूमि प्रदूषण के शीर्षक के साथ यमुना और कूड़े के प्रबन्धन के सवाल को जगह दी है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही यमुना की सफाई के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की बात की है। भाजपा, आप और कांग्रेस तीनों ही मुख्य दलों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने की बात अपने अपने घोषणा पत्रों में दोहराई है।
इन तीनों ही मुख्य दलों ने दिल्ली की खराब होती हवा को हवा के झोखे जैसी ही जगह अपने मुख्य वादों में दी है। जबकि खराब हवा दिल्ली के लिए केवल सर्दियों के कुछ महीनों का विषय नहीं रह गया है। साल भर खराब हवा से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाली हवा चुनावों में न राजनीतिक दलों के लिए बहस का विषय बन पाया है और ना ही लोग अपने इस जरुरी विषय को राजनीतिक मुद्दा बना पाए है।
चुनावी घोषणा पत्र किसी राजनीतिक दल के लिए बहुत जरुरी और आम लोगों के बीच पहुँचने का माध्यम होता है। सभी राजनीतिक दल कोशिश करते है कि उन सभी बिन्दुओं को घोषणा पत्रों में शामिल किया जाय जो जनता को प्रभावित करते है।
तीनों मुख्य दलों ने इस विषय को जगह दी लेकिन मुख्य विषय के रुप मे नहीं| जबकि अभी वायु प्रदुषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह राजनीतिक दलों और मतदाताओं दोनों के लिए मुख्य विषय होना चाहिए था।
वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए ठोस योजना की जरुरत है जिसे बनाने से राजनीतिक दल अभी भी बहुत दूर है।
यमुना नदी का प्रदूषण तीनों दलों के लिए बहस का विषय बन रहा है लेकिन उसके पीछे पर्यावरणीय से ज्यादा धार्मिक कारण है। और भारतीय चुनावी राजनीति के इतिहास को देखते हुए समझा जा सकता है कि धार्मिक कारण, वोटों के ध्रुवीकर के लिए सबसे आसान रास्ता होता है जिसे दिल्ली में भी सभी दल भुनाने की कोशिश कर रहे है।
ये बिलकुल जरुरी नहीं है कि घोषणा पत्र में किसी विषय के आ जाने से उसका समाधान भी हो जायेगा। क्योंकि अगर ऐसा होता तो आप के 2020 के दिल्ली विधानसभा के घोषणा पत्र में साफ यमुना का वादा था और भाजपा और कांग्रेस दोनों ही निर्मल गंगा और नमामि गंगे के नाम से गंगा की सफाई का वादा कई सालों से करते रहे है।
न गंगा साफ हुई और न ही, यमुना नाली से नदी बन पायी। साफ हवा का सवाल जब तक गंभीरता से बहसों के केंद्र में नहीं आएगा, तब तक इसके समाधान की तरफ हम नहीं बढ़ पाएंगे!
(शिवानी पाण्डेय, पर्यावरण के विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं)
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