कोलम्बिया एक छोटा सा देश है, आबादी महज़ 5 करोड़। पर उसके राष्ट्रपति गुस्तावों पेट्रो के पास रीढ़ की हड्डी भी है। एक तरफ ट्रम्प तथाकथित प्रवासियों को भारत भेजते हैं तो मोदी और उनके चट्टे-बट्टे शर्मनाक तरीके से चुप्पी साध लेते हैं तो दूसरी तरफ पेट्रो दहाड़ते हैं,
“कोलम्बिया किसी कोलम्बियाई पुरुष या महिला को हथकड़ियों में स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि प्रवासी अपराधी नहीं हैं।“
देखिये इस छोटे से देश के राष्ट्रपति ने ट्रम्प को कैसे चुनौती दी है।
“ट्रम्प, मुझे वैसे ही अमेरिका आना नापसंद है, क्योंकि यह जरा उबाऊ है, पर मैं मानता हूँ की कुछ अच्छी चीजें भी वहाँ हैं। मैं वॉशिंगटन के अश्वेत इलाकों में जाना पसंद करूंगा जहां मैंने अमेरिकी राजधानी में अश्वेतों और लैटिन अमरीकियों को बैरिकेड्स से जूझते देखा है, यह मुझे एकदम वाहियात लगता था, क्योंकि उन्हें तो एक साथ होना चाहिए था। मैं मानता हूँ कि मुझे वाल्ट व्हिटमैन और पॉल साइमोन और नोम चोम्स्की और मिलर पसंद हैं। मैं मानता हूँ कि साक्को और वैनजेट्टी, जिनमें वही खून है जो मुझमें है, अमेरिकी इतिहास में यादगार नाम हैं और मैं उनका अनुसरण करता हूँ। लेबर नेताओं ने उन्हें बिजली की कुर्सी में बैठा कर मार डाला, ऐसे फासीवादी, अमेरिका में तो हैं ही, मेरे देश में भी हैं।
मुझे तुम्हारा तेल पसंद नहीं है, ट्रम्प, तुम लालच में मानव जाति का ही सत्यानाश करने पर तुले हो। हो सकता है कि किसी दिन एक गिलास व्हिस्की पर, जिसे अपने गैस्ट्राइटिस के बावजूद मैं स्वीकार कर लूँगा, हम इस मुद्दे पर खुलकर बातें कर सकें, पर यह तो मुश्किल है क्योंकि तुम मुझे नीचा समझते हो और न तो मैं और न कोई दूसरा कोलम्बियाई ही नीचा है। तो अगर तुम किसी हठी को जानते हो तो वह मैं हूँ। तुम अपनी दौलत और अहंकार की ताकत से यहाँ तख़्ता-पलट की कोशिश कर सकते हो, जैसा कि अलेन्दे (चिली) के साथ हुआ था। लेकिन मैं मरूँगा अपने ही कानून में, मैंने यातनाओं का सामना किया है और मैं तुम्हारा भी सामना करूंगा। मैं कोलम्बिया के बगल में किसी दास-प्रथा के समर्थक को देखना नहीं चाहता, पहले भी ऐसी ताक़तें रही हैं और हमने खुद को उनसे आज़ाद कराया है। मुझे कोलम्बिया के पड़ोस में स्वतन्त्रता-प्रेमी चाहिए। यदि तुम मेरा साथ नहीं दे सकते तो मैं कहीं और चला जाऊंगा।
कोलम्बिया दुनिया का दिल है और तुम्हें यह समझ में नहीं आया, यह पीली तितलियों की धरती है, रेमेडिओस (स्पेनी पेंटर) की खूबसूरती है, पर यह कर्नल औरेलियानो बुएंदिया की भी धरती है, मैं भी इसी धरती का हूँ, शायद आखिरी आदमी। तुम मुझे मार डालोगे मगर मैं ज़िंदा रहूँगा, मेरे लोगों में, यहीं तुम्हारी आँखों के सामने, इसी (लातीनी) अमेरिका में। हम हवाओं के, पहाड़ों के, कैरेबियन सागर के और आज़ादी के लोग हैं।
तुम्हें हमारी आज़ादी पसंद नहीं है, ठीक है। मैं भी श्वेत दास-प्रथा के समर्थकों से हाथ नहीं मिलाता। मैं लिंकन के वारिस स्वातंत्र्यप्रेमियों और अमेरिका के उन श्वेत और अश्वेत किसानों के बेटों से हाथ मिलाता हूँ, कोविड से बच-बचा कर इटालियन टसकैनी पहाड़ियों को लांघते हुए युद्धभूमि में जिनकी कब्रों पर पहुँच कर मैं रोया हूँ और दुआएं की हैं। वे ही संयुक्त-राज्य हैं और उनके सामने ही मैं घुटने टेकता हूँ, और किसी के सामने नहीं।
मुझे उठाकर फेंक दो प्रेसिडेंट, और जवाब तो अमेरिका और मानवता देगी।
कोलम्बिया ने अब उत्तर की ओर देखना बंद कर दिया है, वह अब पूरी दुनिया की ओर देखता है, हमारा खून अपने वक़्त की तहजीब, भूमध्य सागर के रोमन लातीनी, और कोरोडोबा के खलीफा से आता है, जिसने एथेंस में लोकतान्त्रिक गणराज्य की स्थापना की थी, हम में उन अश्वेत लड़ाकों का खून है जिन्हें तुमने दास बना लिया था।
कोलम्बिया में वॉशिंगटन से भी पहले, पूरे अमेरिका से पहले बना आज़ाद भूखंड है जहाँ के अफ्रीकी गीतों के बीच मैं रहता हूँ। मेरा देश सुनारों का देश है, उन्होंने मिश्र के फराओ और शिरिबिकेते (कोलम्बिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान) के दुनिया के पहले कलाकारों के जमाने में काम किया है। तुम हमारे ऊपर कभी हुक्म नहीं चला सकते। वो लुटेरे जो आज़ादी का नारा लगाते हुए हमारी ज़मीन पर चढ़ आए थे, जिन्हें बोलिवार कहा जाता है, हमारे दुश्मन हैं।
हमारे लोग थोड़े डरपोक, थोड़े संकोची हैं पर वे भोले और दयालु हैं, प्यारे हैं, लेकिन वे जान जाएंगे कि जो पनामा नहर तुमने हथियार के बल पर हमसे छीन लिया था उसे कैसे वापस जीता जा सकता है। जिन दो सौ लातीनी अमेरिकी नौजवानों की तुमने हत्या कर दी थी वे वहीं बोकास दे तोरो (कोलम्बिया का एक पर्यटन-स्थल) में दफ्न हैं, वही जो पहले कोलम्बिया था आज का पनामा है।
अमेरिका में आप्रवासी मिस्टर प्रेसिडेंट, मैं झण्डा उठा रहा हूँ और जैसा कि गायतान ने कहा था, अगर कोई अकेला भी बच जाएगा तब भी लातीनी अमेरिकी अभिमान के साथ इसका उठना जारी रहेगा, वही अमेरिका का अभिमान है जिसे तुम्हारे दादा-परदादा नहीं जानते थे और मेरे दादा-परदादा जानते थे।
तुम्हारी पाबंदियों से मुझे डर नहीं लगता, क्योंकि कोलम्बिया सौन्दर्य का देश होने के साथ ही दुनिया का दिल भी है। मैं जानता हूँ कि सुंदरता तुम्हें भी उतनी ही प्रिय है जितनी कि मुझे, तो तुम इसका अपमान नहीं करोगे और इसको अपनी मिठास प्रदान करोगे।
तो आज से कोलंबिया पूरी दुनिया के लिए खुल गया है, हमारी बाहें फैली हुई हैं, हमीं आज़ादी, जीवन और मानवता के निर्माता हैं।
हमें पता है कि हमारे लोगों के परिश्रम से उगाये गए फलों को संयुक्त राज्य में प्रवेश पर तुम 50% टैरिफ लगा रहे हो, तो हम भी वैसा ही कर रहे हैं। आओ हमारे लोगों, कोलम्बिया में ही खोजा गया मक्का उगाओ और सारी दुनिया का पेट भर दो।
मनीष आज़ाद की फेसबुक वाल से साभार अनुवाद: दिनेश अस्थाना
मूल-स्रोत: डीडबल्यू बुलेटिन