वीभत्स- पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’

वीभत्स पांडेय बेचन शर्मा  ‘उग्र’ शौच-फरागत से निपटकर सुमेरा जाट घर की ओर लौटा आ रहा था। अब सबेरा और खुल गया था। पास-पड़ोस के लोग आलस्‍य त्‍याग, शीघ्रता से, दिन के अपने-अपने आरंभिक कर्मों से फुर्सत पाने की चेष्‍टा कर रहे थे। कोई बैलगाड़ी के पहियों की जाँच कर उनमें तेल डाल रहा था, कोई बैलों के कलेवा के लिए घर के भीतर से खाँचों में भूसा बाहर कर रहा था। औरतें बड़े-बड़े घनघोर घाँघरे लहराती हुई, घड़े दबाए या माथे पर टेढ़ा उठाए, कुएँ की ओर जा रही थीं। किसी-किसी जाट के दरवाजे पर मलिना, दरिद्रा, कुरूपा जाट-महिलाएँ … Continue reading वीभत्स- पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’