समकालीन जनमत

Category : स्मृति

स्मृति

‘ कमला अब तारों के साथ नाच रही होंगी और उन्हीं की झंकार से नए गीत बना रही होंगी ’

कविता कृष्णन
मेरे लिए कमला से सबसे बड़ी चीज सीखने वाली ये थी कि नारीवादी और प्रगतिशील आंदोलनों को कैसे इतने सहज शब्दों में कहें, अभिव्यक्त करें...
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महिला आंदोलन की अगुआ के रूप में हमारी स्मृतियों में हमेशा रहेंगी कमला भसीन

उमा राग
कमला भसीन का जाना समूचे नारीवादी आंदोलन और मानवाधिकार आंदोलन के लिए एक कभी न भरे जा पाने वाले वैक्यूम की तरह है। कमला भसीन...
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‘ रचना, विचार और आन्दोलन के साथी थे सुरेश पंजम ’

समकालीन जनमत
लखनऊ। नागरिक परिषद व पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यकार, शिक्षक व सामाजिक चिंतक डा. एस. के. पंजम की याद में 19 सितम्बर...
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‘ जब भी समाज में अंधेरा गहराता है, विचार के गर्भ से उठती है आंधी ’

समकालीन जनमत
 काॅ. बृजबिहारी पांडे की स्मृति सभा में जुटे देश के विभिन्न हिस्सों के वामपंथी नेता पटना। भूमिहीन गरीब किसानों के ऐतिहासिक नक्सलबाड़ी उभार के दौर के...
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भविष्य के समाज की ताबीज

गोपाल प्रधान
नहीं जानता कि महान व्यक्ति किस तरह के होते हैं लेकिन कामरेड बृजबिहारी पांडे बिना शक महान थे। उनका अहैतुक स्नेह मुझे समय समय पर...
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 ‘ डेजी नारायण लोकतंत्र की लड़ाई में सामूहिक ऊर्जा की स्रोत हैं ’

समकालीन जनमत
पटना. आइसा, इनौस, एआइपीएफ व ऐपवा की ओर से आज माले विधायक दल कार्यालय में प्रो. डेजी नारायण की याद में  श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन...
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मानवाधिकार कार्यकर्ता, इतिहासविज्ञ प्रो. डेजी नारायण का निधन अपूरणीय क्षति

समकालीन जनमत
पटना । भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी ने देश की जानी मानी इतिहासविज्ञ, पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता, पीयूसीएल की...
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बेमिसाल अभिनेत्री थीं सुरेखा सीकरी

समकालीन जनमत
पटना। जन संस्कृति मंच और हिरावल ने रंगमंच, फिल्म और टीवी की मशहूर अभिनेत्री सुरेखा सीकरी के निधन पर गहरा शोक जाहिर किया है। जसम...
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गरीबों, मजदूरों के अगुवा नेता थे कामरेड अलाउद्दीन शास्त्री -रामजी राय

पीलीभीत। पूरनपुर के पंचम दास इंटर कालेज में भाकपा माले द्वारा आयोजित कामरेड अलाउद्दीन शास्त्री की श्रद्धांजलि सभा में भाकपा माले और विभिन्न धाराओं से...
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 जनवादी धारा के अग्रगामी चेतना के कवि थे विजेन्द्र

समकालीन जनमत
लखनऊ।  हिन्दी के शीर्षस्थ कवि व गद्यकार विजेन्द्र के रचनात्मक अवदान पर सार्थक एवं बेहद जरूरी परिचर्चा 27 जुलाई को जूम पर हुई । बीते...
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फिल्म निर्माण की प्रक्रिया से जुड़े लोगों के लिए संघर्ष करने वाले बेहतरीन अभिनेता थे चंद्रशेखर

सुधीर सुमन
फिल्म अभिनेता चंद्रशेखर को जन संस्कृति मंच की श्रद्धांजलि ! फिल्म अभिनेता चंद्रशेखर के निधन पर जन संस्कृति मंच ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा...
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सूरजपाल चौहान ने ब्राह्मणवादी अंधआस्थाओं के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया : जन संस्कृति मंच

राम नरेश राम
जन संस्कृति मंच ने प्रसिद्ध दलित साहित्यकार सूरजपाल चौहान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनका आज नोएडा के एक अस्पताल में 66...
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वरिष्ठ कन्नड़ दलित साहित्यकार सिद्धलिंगय्या को विदाई सलाम

समकालीन जनमत
हीरालाल राजस्थानी वरिष्ठ कन्नड़ दलित साहित्यकार माननीय सिद्धलिंगय्या (1954 से 11 जून 2021) का जाना एक युग का बीत जाना है. कन्नड़ के जाने माने...
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अज़ीम कवि एवं फ़िल्मकार बुद्धदेव दासगुप्ता

समकालीन जनमत
प्रशांत विप्लवी जब फ़िल्मों का बहुत ज्यादा इल्म नहीं था तब भी बहुत सारी महत्त्वपूर्ण फिल्में देखने की क्षीण स्मृति है। विकल्पहीनता कई बार वरदान...
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दीघा घाट पर नम आंखों से कॉमरेड रामजतन शर्मा को अंतिम विदाई 

समकालीन जनमत
पटना। भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी व पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य, केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के पूर्व चेयरमैन और बिहार समेत कई राज्यों के पूर्व राज्य सचिव...
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शुक्ला चौधुरी : प्रकृति से प्रेम करने वाली रचनाकार का जाना

समकालीन जनमत
मीता दास कवि व कथाकार शुक्ला चौधुरी नहीं रहीं। उनका जाना एक ऊर्जावान रचनाकार का जाना है। कोरोना से जंग थी। उनका इसे न जीत...
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शक़ील अहमद ख़ान: होठों पर हँसी, आँखों में प्यार बसा था जिसके…

फ़िरोज़ ख़ान
  शक़ील अहमद ख़ान को सुपुर्द-ए-आग कर दिया गया। जी हाँ, ठीक सुना- सुपुर्द-ए-ख़ाक नहीं। लखनऊ के इलेक्ट्रिक शव दाह गृह में उनकी करीब 30...
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मेरी मातृभूमि का कोई मुआवज़ा नहीं हो सकता: सुंदरलाल बहुगुणा

समकालीन जनमत
मई 1995 में वर्तमान में उत्तराखण्ड में शिक्षक नवेंदु मठपाल टिहरी बांध आंदोलन और वहाँ के डूब क्षेत्र के गाँवों की स्थितियों को नज़दीक से...
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प्रो. लाल बहादुर वर्मा: वे एक साथ अध्यापक और दोस्त दोनों थे

समकालीन जनमत
धर्मेंद्र सुशांत लाल बहादुर वर्मा नहीं रहे.. करीब 20–21 साल पहले पटना में उनसे पहली बार मुलाकात हुई थी गोकि जान उन्हें पहले चुका था....
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प्रो. लाल बहादुर वर्मा: एक प्रोफ़ेसर जिसने विविधता का मतलब बताया

समकालीन जनमत
सविता पाठक ये माना जिन्दगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारों ये चार दिन भी -फ़िराक़  प्रो लालबहादुर वर्मा नहीं रहे। ये ख़बर...
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