समकालीन जनमत

Month : January 2021

चित्रकला

तस्वीरों में किसान आंदोलन (टिकरी बॉर्डर)

समकालीन जनमत
भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू, नई दिल्ली में अध्ययनरत आमिर ने किसान आंदोलन के ये चित्र टिकरी बार्डर पर लिए हैं और इसे विशेष तौर पर...
कविता

उस चाँद पर अब ख़ून के धब्बे हैं ..

समकालीन जनमत
(आलोचना पत्रिका में प्रकाशित फ़रीद ख़ाँ की कविताओं पर एक नज़र) मोहम्मद उमर इस बार की हिंदी त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ के ‘अक्टूबर-दिसम्बर 2020’ के अंक...
ख़बर

रीगा चीनी मिल नहीं चलने से 40 हजार किसानों और 700 मिल कामगारों के सामने खड़ी हो गई रोजी-रोटी की समस्या

भाकपा माले ने चीनी मिल को अविलंब चालू करने की मांग  की, माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने मुख्यमंत्री व गन्ना मंत्री को लिखा पत्र...
शख्सियत

दुबले-पतले शरीर में एक मजबूत और क्रांतिकारी शख्सियत का नाम है ‘ नितिन राज ’

समकालीन जनमत
नितिन राज इस कड़ी सर्दी में जेल में हैं। पिछले वर्ष भी आज के दिन वे जेल में ही थे। नितिन राज सच्चे अर्थों में...
ज़ेर-ए-बहस

लव जिहाद ,धर्म परिवर्तन और धार्मिक स्वातंत्र्य पर हमला

समकालीन जनमत
  राम पुनियानी पिछले दिनों  (27 नवंबर 2020) उत्तर प्रदेश सरकार ने “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020” लागू किया. उसके बाद मध्यप्रदेश...
ख़बर

आइसा ने मनाया रोहित वेमुला स्मृति दिवस, दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एकजुटता का संकल्प

लखनऊ। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की लखनऊ इकाई ने 17 जनवरी को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या को...
ख़बर

‘ किसानों ने सरकार और व्यवस्था की कमजोर नस पकड़ ली है ’

इलाहाबाद। संवाद की ओर से 17 जनवरी को ‘ कृषि कानून-2020 ‘ सामूहिक चर्चा का योजन किया गया जिसमें कवि, पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुशील...
कविता

मिथिलेश के नए कविता संग्रह से गुजरना ग्रामीण भारत की आत्मा को पढ़ना है

समकालीन जनमत
आलोक कुमार मिश्रा कवि मिथिलेश कुमार राय अपने पहले काव्य संग्रह- ‘ओस पसीना बारिश फूल’ से ही समकालीन कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान बना...
कविता

राही डूमरचीर आदिवासी समाज और जीवन के गहरे कंसर्न के कवि हैं

समकालीन जनमत
विनय सौरभ राही डूमरचीर की कविताएँ पढ़ते हुए कुछ साधारण चीज़ें असाधारण तरीक़े से उनकी कविताओं में आती दिखती हैं। जैसे उनकी कविताओं के विषय।...
पुस्तक

पूंजीवाद क्या है

गोपाल प्रधान
2020 में हेमार्केट बुक्स से हदास थिएर की किताब ‘ ए पीपुल’स गाइड टु कैपिटलिज्म: ऐन इंट्रोडक्शन टु मार्क्सिस्ट इकोनामिक्स ’ का प्रकाशन हुआ ।...
ख़बर

लखनऊ के लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई

लखनऊ। प्रगतिशील शायर कैफ़ी आज़मी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर लखनऊ के लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीन कृषि कानूनों की प्रतियों को...
ख़बर

कानूनों के स्थगन का आदेश किसानों और जनता के लिए भरोसेमंद नहीं : भाकपा माले

किसान आन्दोलन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर भाकपा(माले) का वक्तव्य नई दिल्ली। जिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग किसान...
जनमत

आइसा राज्य उपाध्यक्ष नितिन राज की 5वीं बार गिरफ़्तारी से जन संगठन नाराज

समकालीन जनमत
लखनऊ। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) उत्तर प्रदेश के राज्य उपाध्यक्ष नितिन राज की आज गिरफ्तारी की कई संगठनों ने कड़ी निंदा की है। घंटाघर...
जनमत

‘ वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने में प्रभावोत्पादकता आंकड़ों की जरूरत को दरकिनार किया गया है ’

समकालीन जनमत
( विषाणु विज्ञानी गगनदीप कांग से आर. प्रसाद की बातचीत पर आधारित यह लेख  ‘द हिन्दू’ से साभार लिया गया है। ‘द हिन्दू’ में यह...
ज़ेर-ए-बहस

कृषि क्षेत्र के लिये कोई तुरंता इलाज़ बेमानी है

( मानव विकास संस्थान के दिल्ली चेयर के प्रोफेसर सारथी आचार्य और ‘ रिवाइविंग जाॅब्स : ऐन एजेन्डा फाॅर ग्रोथ’ के सम्पादक हैं, सन्तोष मेहरोत्रा...
कविता

प्रदीपिका की कविताएँ मानवीय आकांक्षाओं की तरफ़ खुली हुई खिड़कियाँ हैं

समकालीन जनमत
सिद्धार्थ गिगू प्रदीपिका की कविताएँ किसी एक सांचे-ढांचे में नहीं बंधती. दूसरे शब्दों में कहें तो यहां उनकी भावनाओं में पर्याप्त विविधता और उतना ही...
पुस्तक

गुलामी के प्रतिरोध में स्त्री

गोपाल प्रधान
2020 में वर्सो से स्टेला दाज़्दी की किताब ‘ए किक इन द बेली: वीमेन, स्लेवरी ऐंड रेजिस्टेन्स’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका ने नौ साल...
चित्रकला

समकालीन कला का विस्तार और उमेश सिंह की कलाकृतियां

नई पीढ़ी के कलाकारों में उमेश सिंह एक महत्वपूर्ण प्रयोगधर्मी रचनाकार के रुप में उभर कर सामने आए हैं | नई पीढ़ी के कलाकारों की...
ज़ेर-ए-बहस

हर गाँव में हो सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय

समकालीन जनमत
(अग्रेसर में  में स्थापित सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय के तीन बरस पूरे होने के अवसर पर युवा सृजन संवाद के फेसबुक पेज पर ममता सिंह से...
कविता

रोज़ी कामेई की कविताएँ सभ्यता को स्त्री की नज़र से देखने का प्रस्ताव हैं

समकालीन जनमत
बसंत त्रिपाठी रोज़ी की कविताओं का संसार एक स्त्री की असंख्य उलझनों, सपनों और उम्मीदों में डूबते-उतराते निर्मित हुआ है. प्रेम इन कविताओं के केन्द्र...
Fearlessly expressing peoples opinion