समकालीन जनमत

Month : January 2021

कविता

अभिनव निरंजन की कविताएँ एक घर्षण हैं जिसके ताप से कवि अपने समय का बुख़ार नापता है

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय युवा कवि अभिनव निरंजन अपनी कविताओं में रूपकों, स्थितियों एवं दृश्यों का विभेदन कर उसमें से कविता अर्जित करते हैं। उनके लिए ये...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

दिल्ली की सीमा पर इतिहास रचता किसान आंदोलन

ओंकार सिंह
( सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच पाँच दिन रह कर लौटे गोरखपुर के पत्रकार ओंकार सिंह की डायरी ) दिल्ली से...
जनमत

किसान आंदोलन को मिली नई ऊर्जा व नई धार

पुरुषोत्तम शर्मा
किसान आंदोलन के दमन के लिए सत्ता की साजिशों पर किसान नेता राकेश टिकैत का पलटवार भारी पड़ा है। राकेश टिकैत की 28 जनवरी को...
चित्रकला

भारतीय चित्रकला परंपरा और अमृता शेरगिल  

अशोक भौमिक
अमृता शेरगिल का भारतीय कला इतिहास में सबसे बड़ा अवदान यही है कि उन्होंने पहली बार आम जन को चित्र में स्थान देते हुए चित्रों...
साहित्य-संस्कृति

‘ एक तख्तनशीं आज भी इतराया हुआ है , वो ही खुदा है सबको ये समझाया हुआ है ’

समकालीन जनमत
गोरख स्मृति आयोजन के दूसरे दिन सत्रह कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया पटना. ‘‘ किसान की मेहनत के महत्व का सम्मान...
शख्सियत

कविता की मुक्ति और मुक्ति की कविताः गोरख पाण्डेय का काव्य

प्रणय कृष्ण
(सन् 2005 में ‘ समय का पहिया ‘ शीर्षक से प्रकाशित गोरख पाण्डेय की चुनिंदा कविताओं के संकलन की भूमिका के रूप में लिखे इस...
जनमत

गोरख पाण्डेय की कविता ‘समझदारों का गीत’

समकालीन जनमत
  समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी कविता ‘समझदारों का गीत’ वीडियो सम्पादन और आवाज़:...
कविता

गोरख पाण्डेय की कविता ‘बन्द खिड़कियों से टकराकर’ 

समकालीन जनमत
समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी कविता ‘बन्द खिड़कियों से टकराकर’         ...
कविता

गोरख पाण्डेय की ग़ज़ल ‘ रफ़्ता-रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है ’

समकालीन जनमत
समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी ग़ज़ल ‘रफ़्ता रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है’...
साहित्य-संस्कृति

किसान की आंखों से दुनिया को देखते हैं बलभद्र

गोरख स्मृति आयोजन के पहले दिन बलभद्र के कविता संग्रह ‘समय की ठनक’ पर परिचर्चा आयोजित हुई पटना। 5वें गोरख स्मृति आयोजन के पहले दिन...
ख़बर

‘ किसान आन्दोलन संविधान, लोकतंत्र और जन अधिकारों की रक्षा के लिए जनता के संघर्ष की आधारशिला ’

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर परेड की सफलता पर किसानों को बधाई देते हुए आन्दोलन पर आन्दोलन पर दमन...
ख़बर

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर माले ने निकाला मशाल जुलूस, तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग

पटना। भाकपा-माले के राज्यव्यापी आह्वान पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग पर सोमवार को पूरे राज्य में...
साहित्य-संस्कृति

लखनऊ में प्रतिभा कटियार की ‘ मारीना ’ : विमोचन और चर्चा

कौशल किशोर
‘ मारीना ’ कवि-कथाकार-पत्रकार प्रतिभा कटियार की हिन्दी के पाठकों के लिए खोज है। यह उस कवि की तलाश है जो अपने देश रूस से...
सिनेमा

The Social Dilemma : नए बाज़ार और शोषण के आधुनिकीकरण को उजागर करती फ़िल्म

समकालीन जनमत
' The Social Dilemma' वर्तमान समय में सोशल मीडिया की लत, सर्विलांस कैपिटलिज़्म, data-mining, सोशल मीडिया का राजनीतिक ध्रुवीकरण में इस्तेमाल, बढ़ते मानसिक रोग, आत्महत्याओं...
कविता

उम्मीद की दूब के ज़िंदा रहने की कामना से भरी ज्योति रीता की कविताएँ

समकालीन जनमत
कुंदन सिद्धार्थ   “जब धरती पर सारी संवेदनाएँ समाप्ति पर होंगी तब बचा लेना प्रेम अपनी हथेली पर कहीं जब धरती बंजरपन की ओर अग्रसर...
ज़ेर-ए-बहस

किसानों का साथ देने सड़कों पर उतरे लेखक और बुद्धिजीवी

सुशील मानव
आज किसान आंदोलन को दो महीने (60 दिन) पूरे हो गये। इत्तेफाक से आज स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ सशस्त्र जंग छेड़ने वाले...
सिनेमा

पाताललोकः सत्ता के षड्यंत्रकारी चरित्र को लक्षित करती वेब श्रृंखला

दुर्गा सिंह
‘पाताललोक‘ अमेज़न प्राइम वीडियो पर आयी वेब श्रृंखला है। पिछले वर्ष मई में प्रसारित हुई यह श्रृंखला अपराध की छिपी हुई दुनिया और उसकी हकीकत...
ज़ेर-ए-बहस

सांप्रदायिक राजनीतिक अभियान का हिस्सा है बाबा खान की याद में बने अस्पताल का नाम बदलना

राम पुनियानी हाल में हरियाणा के मुख्यमंत्री एम.एल. खट्टर की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद के खान...
चित्रकला

‘ आ रहा फावड़ा लिए समय का यह किसान , जो तुझे काटकर मुझे पाटकर भर देगा ’

समकालीन जनमत
तुम देखोगे सामने तुम्हारे आँखों के, खलता की खेती हरी तुम्हारी डूबेगी/आ रहा फावड़ा लिए समय का यह किसान, जो तुझे काटकर मुझे पाटकर भर...
दुनिया

पूंजीवाद के उदय और विकास की कहानी हदास थिएर की जुबानी

गोपाल प्रधान
सबसे पहले वे इस झूठ का भंडाफोड़ करती हैं कि पूंजीवाद कोई स्वाभाविक या शाश्वत चीज है । जो भी लोग ऐसा मानते हैं उनका...
Fearlessly expressing peoples opinion