समकालीन जनमत
स्मृति

वैज्ञानिक दृष्टि और आलोचनात्मक यथार्थ वाले विचार संपन्न कवि थे विष्णु खरे: आलोक धन्वा

पटना. वरिष्ठ कवि, पत्रकार, अनुवादक और फिल्म समीक्षक विष्णु खरे की स्मृति में प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, हिरावल, अभियान, जनशब्द, दूसरा शनिवार और समन्वय की ओर से आईएमए सभागार, पटना में 21 सितम्बर को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।

श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत संस्कृतिकर्मी संतोष झा द्वारा विष्णु खरे की कविता ‘लापता’ के पाठ से हुई।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने कहा कि गंभीर मानवीय संकटों के इस दौर में विष्णु खरे की आवाज उन लोगों के साथ है, जो संघर्ष कर रहे हैं, बोल रहे हैं। उनके साथ चालीस वर्ष के संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विष्णु जी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, उनका लेखन काफी व्यापक है।

वरिष्ठ कवि आलोकधन्वा ने विष्णु खरे को वैज्ञानिक दृष्टि और आलोचनात्मक यथार्थ वाला विचार संपन्न कवि बताया। कथांतर के संपादक और आलोचक राणा प्रताप ने कहा कि रघुवीर सहाय के बाद विष्णु खरे दूसरे बड़े कवि हैं जो यथार्थ के विडंबनापूर्ण प्रसंगों को अपनी कविताओं में दर्ज करते हैं। वे जनता की लड़ाई के सहभागी कवि हैं।

आलोचक और संस्कृतिकर्मी संतोष सहर ने विष्णु खरे को पाठकों की संवेदना और चेतना का विस्तार करने वाला अप्रतिम कवि बताया। उनमें रुमानियत बहुत कम है। वे हमारे समाज के विद्रूप को सामने लाने वाले कवि हैं। कवि-कथाकार शिवदयाल ने कहा कि विष्णु खरे विश्व साहित्य को हिंदी पाठकों तक पहुंचाने वाले लेखक हैं। आलोचना उनका प्रधान गुण हैं। उनकी कविताएं भी इसका उदाहरण हैं। वे बहुआयामी रचनाकार हैं।

वरिष्ठ कवि श्रीराम तिवारी ने विष्णु खरे को जीनियस कवि कहा। पत्रकार और कवि निवेदिता ने कहा कि विष्णु खरे अपनी कविताओं की चिंताओं और संवेदना के कारण हमारे भीतर बसे हुए हैं।

आलोचक और संस्कृतिकर्मी सुधीर सुमन ने विष्णु खरे की एक कविता के हवाले से कहा कि वे जनता के आक्रोश के संगठित होने की कामना करने वाले कवि हैं। उनकी कविताएं जनसाधारण के जीवन के दृश्यचित्रों की तरह हैं। वर्णनात्मकता और संवेदना के साथ उनकी कविताएं विचार और तर्क के गहन सिलसिले की वजह से महत्वपूर्ण हैं। उनकी कविताएं हमारे संस्कारों और रूढ़ विचारों को बदलने की क्षमता रखती हैं।
श्रद्धांजलि सभा का संचालन सुशील कुमार किया। इस मौके पर वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज, सत्येंद्र कुमार, अनिल विभाकर, राजेश कमल, उमेश सिंह, कुमुद रंजन, सुनील सिंह, अनीश अंकुर, शशांक मुकुट शेखर, संतोष आर्या, कुमार परवेज, मृणाल, नवीन कुमार, अभ्युदय, रंजीव, अभिनव, सुमन कुमार, अरुण मिश्रा, प्रीति, समता राय, प्रकाश, कृष्ण समिद्ध आदि मौजूद थे।

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion