समकालीन जनमत
ख़बर

महात्‍मा गाँधी विश्‍वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति ने पीएच.डी. डिग्री के बारे में गलत जानकारी दी

 

पीएच.डी. की राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय से लेकिन दिखाया हेडलबर्ग विश्‍वविद्यालय का

शिक्षक संघ ने कुलपति को बर्खास्त करने और एफआईआर दर्ज करने की मांग की

नई दिल्ली. महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय,  मोतिहारी के शिक्षक संघ ने कुलपति प्रो. अरविन्द अग्रवाल पर पीएच.डी. के बारे में गलत जानकरी देने का आरोप लगाया है. शिक्षक संघ ने कहा है कि कुलपति प्रो. अरविंद ने अपनी पीएच.डी. उपाधि जर्मनी के प्रतिष्ठित विश्‍वविद्यालय हेडलबर्ग से दिखाई थी जबकि इनकी पीएच.डी. राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय से है.

शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार को यह जानकारी देते हुए अपनी पीएच.डी. विषयक महत्‍वपूर्ण जानकारियाँ छिपाने और गलत सूचना मंत्रालय और यूजीसी में देने के लिए कुलपति प्रो. अरविन्द अग्रवाल को अविलंब बर्खास्‍त करने और पुलिस व अदालत में उनके विरुद्ध मामला दर्ज़ कराने की मांग की है.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद मीणा, उपाध्‍यक्ष भानुप्रताप व डॉ. बबिता मिश्रा, महासचिव डॉ. अवनीश कुमार, संयुक्‍त सचिव सुश्री प्रेरणा भादुली व मृत्‍युंजय कुमार यादवेंदु तथा कोषाध्‍यक्ष विधुभूषण मिश्रा ने आज एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्‍च शिक्षा विभाग के डिप्‍टी सेक्रेटरी के यहाँ प्रो. अग्रवाल ने विश्‍वविद्यालय के कुलपति पद हेतु जो आवेदन (File No. 51 – 1/2015 – Desk U) जमा किया था, उसकी पृ. संख्‍या 107 पर इन्‍होंने अपनी पीएच.डी. उपाधि जर्मनी के प्रतिष्ठित विश्‍वविद्यालय हेडलबर्ग से दिखाई थी जबकि इनकी पीएच.डी. राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय से है. राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय में इनकी पीएच.डी. का विषय था, वही हेडलबर्ग वाली कथित पीएच.डी. का विषय इन्‍होंने इस आवेदन में दिखाया है – ‘मैक्‍स वेबर एंड मॉडर्न पॉलीटिकल थ्‍योरीज’। राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय में इन्‍होंने यह पीएच.डी. शोधप्रबंध जुलाई 1992 में जमा कराया था जबकि कुलपति वाले आवेदन पत्र में इन्‍होंने हेडलबर्ग से पीएचडी प्राप्ति की तिथि 1989 बताई है.

शिक्षक संघ ने कहा कि कुलपति महोदय ने महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय की 2016 वाली विवरणिका में और अपने नाम पट्ट तक में अपनी स्‍नातकोत्‍तर उपाधि को इस तरह दर्शाया है कि मानो उन्‍होंने देश के सबसे उत्‍कर्ष विश्‍वविद्यालयों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से एम.ए. किया हो. पाखंड देखिए कि सरकार का कृपापात्र बनने के लिए एक तरफ ये कुलपति महोदय सार्वजनिक मंचों और अवसरों पर जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय और उससे आये शिक्षकों को अपमानित करते पाये गये हैं जबकि दूसरी तरफ देश के एक बदनाम विश्‍वविद्यालय राजस्‍थान से प्राप्‍त अपनी एम.ए. की उपाधि को छिपाते फिरते हैं. मॉब लिंचिंग की भेट चढ़ाये गये डॉ. संजय कुमार भी इनके जेएनयू द्वेष का शिकार हुए हैं.

विश्‍वविद्यालय का शिक्षक संघ ने कुलाध्‍यक्ष (राष्‍ट्रपति) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस पूरे भ्रष्‍टाचार का स्‍वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे आपराधिक कृत्‍य के लिए आवेदन प्रपत्र की पृष्‍ठ संख्‍या 115 पर दर्ज़ घोषणा अनुसार कुलपति पर अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करते हुए उन्हें अविलंब बिना किसी नोटिस के सेवामुक्‍त करने की मांग की है. संघ ने देश के नागरिक समाज, शिक्षक संघों, विद्यार्थी संघों और बुद्धिजीवी वर्ग से इस मुद्दे पर विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों का सहयोग करने की अपील की है.

शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षक संघ और विद्यार्थियों के साथ डॉ. संजय कुमार भी चूंकि इस मुद्दे पर बहुत सक्रिय थे अत: उनकी आवाज़ कुचलने के लिए ही उनकी मॉब लिंचिंग की गई है. आज जब यह विषय राष्‍ट्रीय मीडिया में छा चुका है तो उन्‍हें देशद्रोह के मुकदमे में फंसाने की साजिशें की जा रही हैं.

 

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion