समकालीन जनमत

Tag : durga singh

कविता

रूपम की कविताएँ पितृसत्ता की चालाकियों की बारीक़ शिनाख़्त हैं

समकालीन जनमत
दुर्गा सिंह हिंदी समाज एक ऐसी कालावधि से गुजर रहा है, जिसमें एक तरफ निरंतरता की ताकतें, सामाजिक वर्ग- समूह आजादी के बाद के सबसे...
स्मृति

मार्कण्डेय की कहानियों में भूख और अकाल के चित्र

दुर्गा सिंह
मार्कण्डेय के जन्मदिन 2 मई पर यूँ तो भारत में उदारीकरण की नीतियों को स्वीकार करने के बाद से ही कृषि सर्वाधिक तबाही झेलने वाला...
पुस्तक

अवधेश त्रिपाठी की आलोचना पद्धति में लोकतंत्र के मूल्य प्राण की तरह है

दुर्गा सिंह
  किसी भी आलोचक के लिए जरूरी होता है, कि वह बाह्य जगत के सत्य और रचना के सत्य से बराबर-बराबर गुजरे। आलोचना के लिए...
पुस्तक

लोकतंत्र का मर्सिया हैं ‘सुगम’ की ग़ज़लें

दुर्गा सिंह
  हिंदी ग़ज़ल में महेश कटारे ‘सुगम’ जाना-माना नाम है। ‘सुगम’ हिंदी ग़ज़ल की उसी परंपरा से आते हैं, जिसे दुष्यंत, अदम गोंडवी, शलभ श्रीराम...
कहानी

एक कहानी : पाठ और प्रक्रिया

दुर्गा सिंह
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में एक मामला आया, जिसमें भारत के उत्तर-पूर्व की एक छात्रा ने कहा; कि उसे ‘कोरोना’ कहा गया। यह मानवीय...
जनमतशख्सियत

मार्कण्डेय की कहानियों में बनते हुए राष्ट्र की तस्वीर

दुर्गा सिंह
मार्कण्डेय (2 मई 1930 – 18 मार्च 2010) हिंदी के जाने-माने कहानीकार थे। आज उनके जन्मदिवस पर अपने एक लेख के माध्यम से उन्हें याद कर रहे हैं...
जनमतसाहित्य-संस्कृति

निराला की कहानियाँ- आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना की प्रबल अभिव्यक्ति

समकालीन जनमत
दुर्गा सिंह निराला के कहानी लेखन का समय 1920 ई के बाद का है। लेकिन पहली ही कहानी में आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

गांव की साझी सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन गति और उसके संकट को केन्द्र में रखती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’

(हाल ही में ‘पल-प्रतिपल’ में प्रकाशित हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ को हमने समकालीन जनमत पोर्टल पर प्रकाशित किया , जिस पर पिछले दिनों...
Fearlessly expressing peoples opinion