समकालीन जनमत

Tag : Ashish Mishra

ज़ेर-ए-बहस

घरेलू महिलाओं के श्रम की ‘अनुत्पादकता’ पर एक नज़र

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र   औरतें यहाँ नहीं दिखतीं हमारी सामाजिक व्यवस्था का केन्द्र परिवार है। और स्त्री-जीवन का केन्द्र इस परिवार का रसोई घर! इसे यहाँ...
कविता

चंदन सिंह की कविताएँ अपने प्राथमिक कार्यभार की ओर लौटती कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र चन्दन सिंह कविता से प्राथमिक काम लेने वाले कवि हैं। इस दौर में जब कविता के मत्थे ही सारी जिम्मेदारियाँ थोपी जा रही...
कविता

प्रतिरोध को बयां करती है कवि कौशल किशोर की “नयी शुरुआत”

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र जब हम जवानी के दौर में परवाज़ भर रहे होते हैं तो उस वक्त देश और समाज को लेकर उसके भीतर मौजूद तमाम हलचलों...
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