समकालीन जनमत

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कविताजनमत

वीरेनियत 4: सन्नाटा छा जाए जब मैं कविता सुनाकर उठूँ

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पंकज चतुर्वेदी ‘वीरेनियत-4’ के अन्तर्गत इंडिया हैबिटेट सेण्टर, नयी दिल्ली में शुभा जी का कविता-पाठ सुना। उनकी कविताएँ समकालीन परिस्थितियों से उपजे इतने गहन तनाव...
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वीरेनियत 4: अनसुनी पर ज़रूरी आवाज़ों का मंच

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अदनान कफ़ील ‘दरवेश’ कल ‘वीरेनियत’ के चौथे संस्करण में जाने का मौक़ा मिला। दिल्ली की आब-ओ-हवा में इस वक़्त ज़हर की तासीर घुली हुई है।कुहेलिका...
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वीरेनियत 4: जहाँ कविता के बाद का गहन सन्नाटा बजने लगा

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आशुतोष कुमार दिन वैसे अच्छा नहीं था। दिल्ली आसपास का दम काले धुंए में घुट रहा था। छुट्टियों के कारण बहुत से दोस्त शहर से...
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