समकालीन जनमत

Tag : लोकतंत्र

पुस्तक

कोमिंटर्न के इतिहास का खाका

1996 में मैकमिलन प्रेस से केविन मैकडर्मट और जेरेमी एग्न्यू की किताब ‘द कोमिंटर्न: ए हिस्ट्री आफ़ इंटरनेशनल कम्युनिज्म फ़्राम लेनिन टु स्तालिन’ का प्रकाशन...
पुस्तक

रक्तनदी की यात्रा: पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण

गोपाल प्रधान
2023 में परिकल्पना से प्रकाशित बजरंग बिहारी तिवारी की किताब ‘हिंसा की जाति: जातिवादी हिंसा का सिलसिला’ किसी के भी रोंगटे खड़े करने में सक्षम...
पुस्तक

संस्थाओं की स्वायत्तता और लोकतंत्र

गोपाल प्रधान
सभी जानते हैं कि हमारे देश में जो भी लोकतंत्र है उसके पीछे संस्थाओं की स्वायत्तता की प्रमुख भूमिका है । न केवल न्यायपालिका, कार्यपालिका...
ख़बर

मुक्तिबोध स्मृति दिवस पर  फासीवाद के खिलाफ एकता व प्रतिरोध का संकल्प

समकालीन जनमत
मुक्तिबोध के स्मृति दिवस के अवसर पर केसरबाग स्थित इप्टा कार्यालय में  ‘फासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध, आजादी और लोकतंत्र की संस्कृति के लिए” विषय पर...
ज़ेर-ए-बहस

जनविरोधी और असंवैधानिक क़ानून निरस्त हो

समकालीन जनमत
जाहिद खान सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सुनवाई करते हुए राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी है। अदालत...
ज़ेर-ए-बहस

भारतीय समाज की विविधता के बारीक तंतुओं पर पर टिका लोकतंत्र ही बड़ी प्रतिरोधी ताकत है

जयप्रकाश नारायण  गुजरात के बड़गांम के विधायक जिग्नेश मेवानी को यह पता नहीं था, कि कोई प्रशिक्षित दस्ता उनके दरवाजे पर रात्रि के 11:30 बजे...
ज़ेर-ए-बहस

‘ प्रजातांत्रिक स्वतंत्रताएं सिकुड़ रही हैं ’

राम पुनियानी
 स्टेंडअप कामेडियन मुनव्वर फारूकी बंगलौर में एक परोपकारी संस्था के लिए अपना शो करने वाले थे. पूरे टिकट बिक चुके थे. फिर आयोजकों को यह...
सिनेमा

जाति आधारित राज्य की हिंसा बयान करती है ‘जय भीम’

नितिन राज
“गणतंत्र को बचाने के लिए कभी-कभी तानाशाही की जरूरत पड़ती है।” यह टीजे गानवेल की फिल्म जय भीम में एक पुलिस अधिकारी के शब्द है,...
कविता

धूमिल की ‘नक्सलबाड़ी’

गोपाल प्रधान
धूमिल की यह कविता उनके पहले काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ में कुल चार पृष्ठों में प्रकाशित है । संग्रह से पहले 1967 में...
पुस्तक

मार्क्सवाद की समझ

गोपाल प्रधान
2019 में डेमोक्रेसी ऐट वर्क से रिचर्ड डी वोल्फ़ की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग मार्क्सिज्म’ का प्रकाशन हुआ । पतली सी इस किताब में लेखक का कहना...
ख़बर

बिहार की जनता बदलाव चाहती है

सत्ता की भूखी भाजपा जिसने 2015 के भाजपा विरोधी स्पष्ट जनादेश का अपहरण करके 2017 में नीतीश कुमार के साथ साजिश कर बिहार की कुर्सी...
पुस्तक

विश्व पूंजीवाद और लोकतंत्र का अधिग्रहण

गोपाल प्रधान
(सदी की शुरुआत में प्रकाशित इस किताब को पढ़ते हुए लग रहा था कि वर्तमान भारत की कथा पढ़ रहा हूं।) 2001 में द फ़्री...
ज़ेर-ए-बहस

जब कवि के गीत अस्त्र बन जाते हैं

वरवर राव तेलगु भाषा में कविता करते हैं. वे पी.एच.डी हैं. उनके पी.एच.डी. थीसिस का विषय था- तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष और इतिहास. 40 साल तक...
शिक्षा

गुनता है गुरु ज्ञानी

डॉ.अंबरीश त्रिपाठी माता-पिता की महती इच्छा और महत्वाकांक्षाओं के साथ बच्चा पाठशाला में प्रवेश करता है । परीक्षा में अव्वल आने की प्रेरणा से वह...
ज़ेर-ए-बहस

महाजनी सभ्यता और महामारी के सबक

समकालीन जनमत
डॉ. दीना नाथ मौर्य सभ्यता के विकासक्रम में मानव जाति पर समय-समय पर आयी प्राकृतिक आपदाओं के ऐतिहासिक अनुभव से यह सीख ली जा सकती...
ज़ेर-ए-बहस

‘हम देखेंगे’: सृजन एवं विचार के हक़ में

लेखकों एवं कलाकारों का कन्वेन्शन 1 मार्च 2020, जंतर मंतर, दिल्ली सुभाष गाताडे दिल की बीरानी का क्या मज़कूर है यह नगर सौ मर्तबा लूटा...
ज़ेर-ए-बहस

सीएए-एनपीआर-एनआरसी के विरोध में लेखकों और कलाकारों के अखिल भारतीय कन्वेंशन “हम देखेंगे” में अरुंधति रॉय का बयान

समकालीन जनमत
1 मार्च, 2020 प्यारे दोस्तों, साथियों, लेखकों और फ़नकारों ! यह जगह जहाँ हम आज इकठ्ठा हुए है, उस जगह से कुछ ज़्यादा फ़ासले पर...
ज़ेर-ए-बहस

ध्रुवीकरण और दंगेः स्वस्थ लोकतंत्र के लिये बातचीत एक निर्णायक तत्व

समकालीन जनमत
सागरिका घोष मज़हबी हिंसा की तस्वीरों ने दिल्ली को दहला दिया है। हंगामेदार और ध्रुवीकृत चुनाव अभियानों में शीर्ष नेताओं  के सी0ए0ए0 विरोधी प्रदर्शनों को निशाना...
ख़बर

रौशनबाग में CAA, NRC, NPR विरोधी आंदोलन को मिला वकीलों का भी समर्थन

समकालीन जनमत
प्रयागराज, 27 जनवरी  रोशन बाग़ स्थित मंसूर पार्क में धरने पर बैठे लोगों के खिलाफ करेली व खुल्दाबाद थाने द्वारा 149 दण्ड प्रक्रिया संहिता के...
ज़ेर-ए-बहस

सरकार संविधान विरोधी नहीं तो जनता कैसे ?

देवेन्द्र आर्य
फीस बढ़ोत्तरी, कानून-व्यवस्था में बेतहाशा गिरावट, स्वास्थ्य सेवाओं का लगातार मंहगा होते जाना, किसानों बेरोज़गारों की बढ़ती आत्महत्याएं, पहले गाय और अब देशभक्ति के नाम...
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