समकालीन जनमत

Tag : कहानी

पुस्तक

मुक्तिबोध : सर्जक और विचारक

रामजी राय
पुस्तक-चर्चा सेवाराम त्रिपाठी की किताब ‘मुक्तिबोध : सर्जक और विचारक’ बहुत पहले ही मुझे मिली थी। फुरसत के क्षणों में उसके चैप्टर्स पलटता रहा हूँ।...
कहानी

‘ सहारे का सूर्यास्त ’ : गांव के बदलते यथार्थ की तस्वीर

डॉ विन्ध्येश्वरी उन कहानीकारों की सफ़ में दिखते हैं जो सुदूर गांव में रहकर चिकित्सारत रहते हुए वर्ग-वर्ण विभाजित गांव की कहानियां लिखते हैं। उनकी...
समर न जीते कोय

समर न जीते कोय-28

मीना राय
(समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
पुस्तक

रेत समाधि: मृत्यु भी जीवन का हिस्सा है! 

जनार्दन
“बरसात का पानी बूँद-बँद बढ़ता हुआ दरार के आखिरी मुकाम पर पहुँचकर ठहर जाता, बूँद की एक थैली बना पीछे से बढ़ती आती बूँदों को...
साहित्य-संस्कृति

गरीब-भूमिहीन किसानों के मौजूदा हालात को स्पष्टता से प्रस्तुत करती है हेमन्त कुमार की कहानी ‘धर्मदास की गाय’

समकालीन जनमत
ओमप्रकाश सिंह अपनी कहानी “धर्मदास की गाय” के जरिए कहानीकार हेमन्त कुमार ने मौजूदा दौर में गरीब भूमिहीन किसानों की सामाजिक आर्थिक स्थिति, उनके संकटों-समस्याओं...
कहानी

हेमंत कुमार की कहानी ‘धरमदास की गाय’

समकालीन जनमत
हेमन्त कुमार कातिक महीने की सांझ ढलने वाली थी। दीपावली बीत चुकी थी, छठ आने वाली थी। बहुत धीमी पुरवैया के चलते मौसम मे थोड़ी...
कहानी

श्रीमती गजानंद शास्त्रिणी: पितृसत्ता, जमींदारी और स्त्री

दुर्गा सिंह
निराला ने समाज में स्त्रियों की स्थिति पर कई कहानियाँ लिखी हैं। सभी स्त्रियाँ विचार और चेतना तथा सामाजिक रुप से एक ही स्तर पर...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

श्यामा: औपनिवेशिक भूमि-व्यवस्था, वर्णवाद के बीच अंतरजातीय प्रेम की कहानी

दुर्गा सिंह
निराला की कहानी ‘श्यामा’, हिंदी की एक महत्वपूर्ण कहानी है। यह कहानी  एक ब्राह्मण  लड़के और लोध जाति की लड़की के प्रेम की कहानी है।...
शख्सियत

मन्नू भंडारी: सुरंग के उस पार से आती रौशनी

समकालीन जनमत
अच्युतानंद मिश्र नई कहानी के दौर की अप्रतिम कथाकार मन्नू भंडारी नहीं रहीं. इस वाकये पर तथ्यात्मक तौर पर तो यकीन किया जा सकता है...
शख्सियत

त्रिलोचन के नामवर और नामवर के त्रिलोचन

समकालीन जनमत
(त्रिलोचन के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के पाठकों के लिए प्रस्तुत है त्रिलोचन की डायरी पर शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक की अवधेश प्रधान द्वारा लिखी गई...
शख्सियत

प्रेमचंद और भारतीय किसान: सुधीर सुमन 

प्रेमचंद की कृतियों में भारतीय समाज के विस्तृत चित्र मिलते हैं। उनका साहित्य ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है। शायद ही ऐसा कोई चरित्र या सामाजिक...
शख्सियत

हिंदुत्व की राजनीति और प्रेमचंद: डाॅ. अवधेश प्रधान

समकालीन जनमत
(आजादी के पचास साल पूरा होने के बाद डाॅ. अवधेश प्रधान ने यह लेख लिखा था, जो समकालीन जनमत, अप्रैल-जून 1998 में छपा था। 2016...
साहित्य-संस्कृति

नागार्जुन की आलोचना

गोपाल प्रधान
नागार्जुन कवि थे, उपन्यासकार थे। थोड़ा ध्यान देकर देखें तो अनुवादक भी थे। लेकिन आलोचक ? और वह भी तब जब खुद उन्होंने आलोचक के...
कहानी

मोहम्मद उमर की कहानी “बशीर”

(इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद उमर महादेवी वर्मा स्मृति महिला पुस्तकालय से जुड़े हैं . उमर की रिपोर्टिंग, लेख और समीक्षाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते...
शख्सियत

‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की याद

मृत्युंजय
फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
साहित्य-संस्कृति

अल्पना मिश्र की कहानी के बहाने कुछ बातें

समकालीन जनमत
निकिता यदि हम अल्पना मिश्रा की कहानी ‘सुनयना! तेरे नैन बड़े बेचैन’ को पढ़ते हैं, तो हमें उस कहानी में कई चीजें सामने आती दिखती...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

दुनिया में जो भी करुणा है, प्रेम है, मौलिकता है वह स्त्रियों के ही कारण है ! : कथाकार शिवमूर्ति

समकालीन जनमत
कोरस के फेसबुक लाइव में 20 सितंबर को हिंदी के प्रसिद्द कथाकार शिवमूर्ति जी तथा समता राय से दीपक ने बातचीत की । कार्यक्रम की...
साहित्य-संस्कृति

साहित्य का स्त्री स्वर और कृष्णा सोबती

कोरस द्वारा विगत दो वर्षों से महादेवी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला’ का आयोजन इलाहाबाद में होता रहा है |...
कहानी

दास्तानगोई परंपरा और स्त्रियों की भूमिका

समकालीन जनमत
बीते रविवार ‘कोरस’ के फेसबुक लाइव ‘स्त्री संघर्ष का कोरस’ में ‘दास्तानगोई परंपरा और स्त्रियों की भूमिका‘ विषय पर कोरस की साथी समता ने सुप्रसिद्ध...
शख्सियत

‘कोरस’ द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘मनोवृत्ति’ का नाट्य रूपांतरण

प्रेमचंद एक ऐसे रचनाकार हैं जो हर समय-समाज में समकालीन रहे हैं। उनकी कहानियां भारतीय समाज का एक जीता-जागता चित्र हैं। प्रेमचन्द की एक कहानी...
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