समकालीन जनमत

Tag : उपन्यास

पुस्तक

रेत समाधि: मृत्यु भी जीवन का हिस्सा है! 

जनार्दन
“बरसात का पानी बूँद-बँद बढ़ता हुआ दरार के आखिरी मुकाम पर पहुँचकर ठहर जाता, बूँद की एक थैली बना पीछे से बढ़ती आती बूँदों को...
शख्सियत

हमारे जीवन की इस अदम्य नायिका को हमारा सलाम !

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1929 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में हुआ, और अब दिनाँक-15 नवंबर 2021 को वे इस दुनिया...
शख्सियत

प्रेमचंद और भारतीय किसान: सुधीर सुमन 

प्रेमचंद की कृतियों में भारतीय समाज के विस्तृत चित्र मिलते हैं। उनका साहित्य ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है। शायद ही ऐसा कोई चरित्र या सामाजिक...
शख्सियत

हिंदुत्व की राजनीति और प्रेमचंद: डाॅ. अवधेश प्रधान

समकालीन जनमत
(आजादी के पचास साल पूरा होने के बाद डाॅ. अवधेश प्रधान ने यह लेख लिखा था, जो समकालीन जनमत, अप्रैल-जून 1998 में छपा था। 2016...
पुस्तक

जंग के बीच प्रेम और शांति की तलाश का आख्यान है ‘अजनबी जज़ीरा’

जनार्दन
आग में खिलता गुलाब? अपने अंतिम दिनों में सद्दाम हुसैन जिन सैनिकों की निगरानी में रहते रहे उन सैनिकों को ‘सुपर ट्वेल्व’ कहा जाता था।...
साहित्य-संस्कृति

नागार्जुन की आलोचना

गोपाल प्रधान
नागार्जुन कवि थे, उपन्यासकार थे। थोड़ा ध्यान देकर देखें तो अनुवादक भी थे। लेकिन आलोचक ? और वह भी तब जब खुद उन्होंने आलोचक के...
पुस्तक

चोटी की पकड़ः देशी सत्ता-संस्कृति, औपनिवेशिक नीति और स्वदेशी आन्दोलन की अनूठी कथा

दुर्गा सिंह
चोटी की पकड़ निराला का महत्वपूर्ण उपन्यास है। यह उपन्यास 1946 ईस्वी में किताब महल, इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ था। हालांकि इसे लिखकर पूरा करने...
शख्सियत

‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की याद

मृत्युंजय
फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
शख्सियत

प्रेमचंद और किसान संकट : गोपाल प्रधान

समकालीन जनमत
(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत जश्न-ए-प्रेमचंद का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर 30-31 जुलाई को समकालीन...
शख्सियत

हिन्दी साहित्य का जातिवाद और प्रेमचंद: रामायन राम

समकालीन जनमत
(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत 30-31 जुलाई ‘जश्न-ए-प्रेमचंद’ का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर समकालीन जनमत...
पुस्तक

टिकटशुदा रुक्का: अंत ही शुरुआत है

समकालीन जनमत
ममता सिंह नवीन जोशी द्वारा लिखित टिकटशुदा रुक्का उपन्यास पर बात करने के लिए जाने क्यों पहले अंत की बात करने का मन होता है,...
स्मृति

‘ गोरा ’ में खचित जटिल समय

उन्नीसवीं सदी की आखिरी चौथाई की समूची हलचल का साक्ष्य इस उपन्यास से हासिल होता है. समय को रवींद्रनाथ ने केवल तारीख के रूप में...
पुस्तक

‘अस्थि फूल’: यात्रा एक अंधी सुरंग की

कैलाश बनवासी
 ‘अस्थि फूल ’ उपन्यास पूरा पढ़ लेने के बाद, बल्कि पूरा पढ़ने के दौरान,पृष्ठ-दर-पृष्ठ एक बात का तीव्र से तीव्रतर अहसास होता रहा कि इसे...
ख़बरसाहित्य-संस्कृति

जन संस्कृति मंच ने प्रसिद्ध कथाकार स्वयंप्रकाश को दी श्रद्धाजंलि

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच दुर्ग-भिलाई इकाई द्वारा दिनांक 8 दिसंबर 2019 को नेहरू सांस्कृतिक भवन, सेक्टर-1, भिलाई में प्रसिद्ध कथाकार के आकस्मिक निधन पर भावभीनी श्रद्धाजंलि...
साहित्य-संस्कृति

नागार्जुन के उपन्यासों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

समकालीन जनमत
आत्माराम सनातन धर्म महाविद्यालय, जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि तथा रज़ा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 16 अक्टूबर को ‘नागार्जुन के उपन्यास : विविध आयाम’...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

महाअरण्य की माँ- महाश्वेता देवी

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र वर्षों पहले ‘दैनिक हिंदुस्तान’ में प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर का एक साप्ताहिक कॉलम आया करता था, जिसमें वो सांप्रदायिकता, राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता आदि विषयों...
नाटक

आरा में चार दिन ‘राग दरबारी’

सुधीर सुमन
आरा की नाट्य संस्था ‘भूमिका’ द्वारा 24 दिसंबर से 27 दिसंबर तक चार दिवसीय नाट्य मंचन का सिलसिला 2015 में मोहन राकेश के नाटक ‘आषाढ़...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

पठनीयता का संबंध वास्तविकता से होता है

समकालीन जनमत
(प्रेमचंद की परंपरा को नये संदर्भ और आयाम देने वाले हिंदी भाषा के कहानीकारों में अमरकांत अव्वल हैं। अमरकांत से शोध के सिलसिले में सन्...
जनमत

नफरत के खिलाफ अदब का प्रोटेस्ट है ‘मै मुहाजिर नहीं हूं ’ – शारिब रुदौलवी

समकालीन जनमत
कथाकार-उपन्यासकार बादशाह हुसैन रिजवी के उपन्यास ‘मै मुहाजिर नहीं हूं’ के उर्दू संस्करण का 9 जून को यूपी प्रेस क्लब में विमोचन हुआ. इस उपन्यास...
Fearlessly expressing peoples opinion