समकालीन जनमत

Tag : कहानी

शख्सियत

‘कोरस’ द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘मनोवृत्ति’ का नाट्य रूपांतरण

प्रेमचंद एक ऐसे रचनाकार हैं जो हर समय-समाज में समकालीन रहे हैं। उनकी कहानियां भारतीय समाज का एक जीता-जागता चित्र हैं। प्रेमचन्द की एक कहानी...
शख्सियत

आज भी किसान जीवन का यथार्थ है ‘पूस की रात’

समकालीन जनमत के आयोजन ‘जश्न-ए-प्रेमचंद’ में पीयूष कुमार की आवाज़ में प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’...
शख्सियत

जश्न-ए-प्रेमचंद: फ़रज़ाना महदी की आवाज़ में ‘बड़े भाई साहब’

समकालीन जनमत
31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत दो दिवसीय ‘जश्न-ए-प्रेमचंद’ का आयोजन कर रहा है। इस आयोजन के लिए फ़रज़ाना...
शख्सियत

प्रेमचंद और किसान संकट : गोपाल प्रधान

समकालीन जनमत
(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत जश्न-ए-प्रेमचंद का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर 30-31 जुलाई को समकालीन...
शख्सियत

हिन्दी साहित्य का जातिवाद और प्रेमचंद: रामायन राम

समकालीन जनमत
(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत 30-31 जुलाई ‘जश्न-ए-प्रेमचंद’ का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर समकालीन जनमत...
शख्सियत

मेरे जीवन में प्रेमचंद: शेखर जोशी

समकालीन जनमत
( नयी कहानी आंदोलन के प्रमुख कहानीकार शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलियागांव ग्राम में हुआ. अपनी माँ की असमय मृत्यु...
सिनेमा

वर्णव्यवस्था के विद्रूप को उघाड़ती सद्गति

मुकेश आनंद
(महत्वपूर्ण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों पर  टिप्पणी के क्रम में आज प्रस्तुत है हिंदी के मूर्धन्य कथाकार प्रेमचंद की कहानी पर आधारित मशहूर निर्देशक सत्यजित रॉय की...
साहित्य-संस्कृति

चिंताएँ और सरोकार एक से हों तो मिलकर रचते हैं बड़ा कैनवास

दीपक सिंह
मई दिवस के अवसर पर समकालीन जनमत के फेसबुक पेज द्वारा आयोजित लाइव कार्यक्रमों की तीसरी कड़ी में 1 मई मजदूर दिवस शाम 7 बजे...
ख़बरसाहित्य-संस्कृति

जन संस्कृति मंच ने प्रसिद्ध कथाकार स्वयंप्रकाश को दी श्रद्धाजंलि

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच दुर्ग-भिलाई इकाई द्वारा दिनांक 8 दिसंबर 2019 को नेहरू सांस्कृतिक भवन, सेक्टर-1, भिलाई में प्रसिद्ध कथाकार के आकस्मिक निधन पर भावभीनी श्रद्धाजंलि...
साहित्य-संस्कृति

प्रतिरोध साहित्य का मूल स्वर है जो समाज निर्माण का स्वप्न लेकर चलता है

डॉ हरिओम
  साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता रहा है. मतलब समाज जैसा है उसे वैसा ही दिखाने वाला लेखन साहित्य है. बचपन से हम...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद की याद: संजय जोशी

संजय जोशी
हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक रूप देकर उसे आम जन...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

आखिरी दौर की डायरी और एक कहानी -मधुकर सिंह

(मधुकर जी ने अपने आखिरी दिनों में अपनी डायरी में राजनीति, खेल, फिल्म आदि पर कुछ टिप्पणियां और साहित्य-संस्कृति से जुड़ी यादों के साथ-साथ कुछ...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

महाअरण्य की माँ- महाश्वेता देवी

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र वर्षों पहले ‘दैनिक हिंदुस्तान’ में प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर का एक साप्ताहिक कॉलम आया करता था, जिसमें वो सांप्रदायिकता, राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता आदि विषयों...
साहित्य-संस्कृति

जसम की ओर से रचना पाठ ‘पंख खोलूं और उड़ चलूं आसमान में’

कौशल किशोर
लखनऊ: रचनाकार समय और समाज को अपने सृजन का विषय बनाता है। आम आदमी की पीड़ा व संघर्ष की अभिव्यक्ति आज की रचनाओं की विशेषता...
शख्सियतसिनेमा

अभिव्यक्ति के प्रति ईमानदार एक रचनाकार की त्रासदी ‘मंटो’

अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ‘मंटो’ बायोपिक फिल्म की बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा था। समय-समय पर आने वाले ट्रेलर या वीडियो के टुकड़े इंतिजार को...
जनमतशख्सियतसिनेमा

ज़मीर को हर शै से ऊपर रखने वाले मंटो

अखिलेश प्रताप सिंह. खुदा ज्यादा महान हो सकता है लेकिन मंटो ज्यादा सच्चे दिखते हैं और उससे भी ज्यादा मनुष्य, क्योंकि मंटो को सब कुछ...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

गांव की साझी सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन गति और उसके संकट को केन्द्र में रखती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’

(हाल ही में ‘पल-प्रतिपल’ में प्रकाशित हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ को हमने समकालीन जनमत पोर्टल पर प्रकाशित किया , जिस पर पिछले दिनों...
कहानीजनमत

नेसार नाज़ की कहानी ‘मीरबाज़ खान’

दीपक सिंह
(नेसार नाज़ कथा साहित्य में बहुत परिचित नाम नहीं है | छत्तीसगढ़ के एक निहायत ही छोटे से कस्बे बैकुंठपुर (जो अब जिला मुख्यालय बन...
जनमत

‘कुछ नॉस्टैल्जिया तो है’ हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ में

दीपक सिंह
(कथाकार हेमंत कुमार की कहानी ‘ रज्जब अली ’ पत्रिका ‘ पल-प्रतिपल ’ में प्रकाशित हुई है. इस कहानी की विषयवस्तु, शिल्प और भाषा को...
कहानी

मो. आरिफ की कहानी ‘ लू ’ : दलितों की अपमानजनक स्थितियों और उनकी जिजीविषा को दर्शाने वाली कहानी

प्रियम अंकित
मो. आरिफ ने अपने लेखन के शुरूआती दौर में अंग्रेज़ी में एक उपन्यास लिखा था. बाद में उन्होंने हिन्दी में कहानियाँ लिखना शुरू किया. उनकी...
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