रज्जब अली तेज कदमों से गेहूँ की सीवान के बीच से मेंड़ पर सम्हलते हुए नदी के पास कब्रिस्तान की तरफ बढ़े जा रहे थे। आज के सिवा इसके पहले वह आहिस्ता-आहिस्ता पूरी सीवान के एक-एक खेत की फसलों का मुआयना करते, लेकिन इस वक्त उन्हें सिर्फ नजीब की अम्मी की कब्र दिखाई पड़ रही थी। उनके दिलोदिमाग में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। दिमाग सायं-सायं कर रहा था और कलेजा रह-रह कर बैठा जा रहा था। शाम का वक्त था और मौसम तेजी से बदल रहा था। अभी तीन रोज पहले पूरी सीवान हरी थी, लेकिन तीन दिन की … Continue reading रज्जब अली: कहानी: हेमंत कुमार
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