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स्वामी अग्निवेश पर हमले के विरोध में लखनऊ, रांची, गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन

लखनऊ/रांची/ गोरखपुर.  जन आंदोलनों के सम्मानित नेता स्वामी अग्निवेश पर झारखण्ड में हुए प्राणघातक हमले का जगह-जगह प्रतिरोध हो रहा है. विभिन्न संगठनों ने लखनऊ, रांची और गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया.
लखनऊ में 20 जुलाई को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना और विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इसका नारा था ‘ नफरत और हिंसा के विरुद्ध हम सब एक हैं ’। इसमें राही मासूम रजा एकेडमी, जन संस्कृति मंच, नागरिक परिषद, वर्कर्स कौंसिल आदि संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और अपना प्रतिवाद दर्ज कराया.
धरने के दौरान पुलिस से भी नोक झोंक हुई. पुलिस बल इस बात पर तुला था कि कोर्ट के आदेश से इस जगह धरना नहीं दिया जा सकता. पुलिस के इस अवरोध के बावजूद घंटा भर धरना चला. इस अवसर पर हुई सभा को राम किशोर, बी एस कटियार, ओ पी सिन्हा, कौशल किशोर, आदियोग, रफत फातिमा, सी बी सिंह, के के शुक्ला, मंदाकिनी राय, जैनेन्द्र जी, अनुराग शुक्ला, बाबर नकवी, अमीर हैदर आदि ने संबोधित किया. सभा का संचालन वीरेन्द्र त्रिपाठी ने किया.
वक्ताओं का कहना था कि आज के हालात आपातकाल से भी ज्यादा भयावह हैं. कोई भी न्यायप्रिय और सत्ता से असहमति रखने वाला व्यक्ति सुरक्षित नहीं है. लोगो को भीड़ द्वारा मारा जा रहा है. सत्ता ऐसे लोगों को संरक्षण दे रही है. सरकार भीड़तंत्र को बढ़ावा दे रही है. सभा में प्रस्ताव  के माध्यम से मांग की गई कि स्वामी अग्निवेश पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाय. सरकार की जिम्मेदारी है कि वह असहमति का सम्मान करे तथा नागरिकों के संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों की रक्षा हो. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने और कानून बनाने की बात कही है. इस दिशा में कदम उठाये जायें.

गोरखपुर में 20 जुलाई को प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर झारखंड के पाकुड़ जिले में भारतीय जनता युवा मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए हमले के विरोध में नगर निगम परिसर स्थित रानी लक्ष्मी बाई पार्क में राजनीतिक, सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने धरना दिया.

धरना का आयोजन पीपुल्स फोरम और पीयूसीएल ने किया था. धरने को पीयूसीएल के संयोजक फतेह बहादुर सिंह, समाजवादी जन परिषद के शेषमणि त्रिपाठी, अश्वनी पांडेय, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह, वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन, फारूख अहमद, भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी, इंकलाबी नौजवान सभा के सुजीत श्रीवास्तव, विकास द्विवेदी, ऐपवा की जिला सचिव मनोरमा, बैजनाथ मिश्र आदि ने संबोधित किया.
अपने संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार में दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा ही है, पत्रकारों, सामाजिक-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों पर भी आये दिन हमले हो रहे हैं. अपने से असहमत लोगों की आवाज दबाने के लिए भाजपा-आरएसएस हिंसा का सहारा ले रही है और उनकी हरकतों को मोदी सरकार का खुला सरंक्षण प्राप्त है. मॉब लिंचिंग के अपराधियों को नौकरी दी जा रही है और मन्त्री माला पहनाकर स्वागत कर रहे हैं.  वक्ताओं ने कहा कि मॉब लिंचिंग, निर्देशित हत्याएं और हमले हैं। स्वामी अग्निवेश पर हमला पिछले चार वर्षों में 200 से अधिक की घटनाओं की एक कड़ी है.  वक्ताओं ने स्वामी अग्निवेश पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी करवाई करने और इस घटना के लिए प्रधानमंत्री द्वारा माफ़ी मांगने को कहा.
रांची में झारखण्ड जन संस्कृति मंच, संवाद, जलेस, इप्टा, एआईपीएफ समेत विभन्न सांस्कृतिक-सामाजिक जन संगठनों द्वारा जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले के विरोध में प्रदर्शन किया. अलबर्ट एक्का चौक पर पर हुए नागरिक प्रतिवाद  का नेतृत्व झारखण्ड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम, वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी , फिल्मकार मेघनाथ, आन्दोलनकारी दयामनी बारला, जलेस के एम जेड खान, संवाद के शेखर , जसम के अनिल अंशुमन , इप्टा के ललित , एआईपीएफ़ के नदीम खान , चुटिया नागपुर विकास समिति के प्रभाकर नाग, गरिमा अभियान की श्रावणी, मुस्लिम चैम्बर ऑफ कॉमर्स के एडवोकेट मो. रमजान, सामाजिक कार्यकर्त्ता सुषमा बिरुली  के अलावे झुग्गी – झोपड़ी आन्दोलन के उदय व पंकज , एआईपीएफ़ की सीमा संगम, युवा सामाजिक कार्यकर्त्ता आकाश, एडवोकेट सच्चिदा , जमील , परवेज़ कुरैशी  समेत कई अन्य लोगों ने किया .
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आज झारखण्ड में आदिवासी, मुस्लिम , आन्दोलनकारी और आमजन तो असुरक्षित नहीं ही रह गए हैं, स्वामी अग्निवेश जी पर हुए जानलेवा हमले ने दिखा दिया कि सामाजिक कार्यकर्त्ता भी सुरक्षित नहीं हैं .  इस घटना ने यह भी दिखलाया है कि जो लोग सरकार व उसकी नीतियों से सहमत नहीं हैं , उनपर हमला करके चुप करा दिया जाएगा  जो हमारे लोकतंत्र के लिए गंभीर ख़तरे का संकेत है. इसका हर स्तर पर संगठित विरोध किया जाएगा. भाजपा के वरिष्ठ मंत्री द्वारा स्वामी अग्निवेश को विदेशी एजेंट कहे जाने की तीव्र निंदा करते हुए कहा गया कि जो लोग विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों व निजी घरानों के हाथ देश को बेचने का अभियान चलाये हुए हैं वही जन मुद्दों की आवाज़ उठानेवालों को ऐसा कहकर बदनाम करते हैं .

 

वक्ताओं ने मांग की कि स्वामी अग्निवेश के सभी हमलावरों को कड़ी साजा दी जाय , पाकुड़ की घटना समेत राज्य में जितनी भी मॉब  लिंचिंग की घटनाएं हो रहीं हैं वे सुनियोजित और सत्ता संरक्षित हैं, इसलिए इनपर अविलम्ब रोक लगायी जाय . विरोध की आवाज़ को हिंसा व आतंक के बल पर कुचलने कि साज़िश बंद हो और  लोकतंत्र व आन्दोलनकारियों पर हमले बंद हों .

 

 
का नेतृत्व  झारखण्ड की जाने-माने सामाजिक कार्यकर्त्ता श्री घनश्याम , वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर स्टेन स्वामी , फिल्मकार मेघनाथ , आन्दोलनकारी दयामनी बारला , जलेस के M.Z खान , संवाद के शेखर , जसम के अनिल अंशुमन , इप्टा के ललित , एआईपीएफ़ के नदीम खान , चुटिया नागपुर विकास समिति के प्रभाकर नाग , गरिमा अभियान की श्रावणी , मुस्लिम चैम्बर ऑफ कॉमर्स के एडवोकेट मो. रमजान , सामाजिक कार्यकर्त्ता सुषमा बिरुली  के अलावे झुग्गी – झोपड़ी आन्दोलन के उदय व पंकज , एआईपीएफ़ की सीमा संगम , युवा सामाजिक कार्यकर्त्ता आकाश , एडवोकेट सच्चिदा , जमील , परवेज़ कुरैशी  समेत कई अन्य लोगों ने किया .

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