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यूपी में बढ़ते सांप्रदायिक और जातिवादी हमले के खिलाफ वाराणसी में प्रदर्शन

रमजान से पहले हर हाल में स्लाटर हाउस चालू करे सरकारः माले
भीम आर्मी के नेता सचिन वालिया की हत्या सत्ता प्रायोजित है,  योगी सरकार तत्काल इस्तीफा दे

वाराणसीः भीम आर्मी के नेता सचिन वालिया के हत्यारों को जेल भेजने, स्लाटर हाउस तत्काल चालू करने, मीट कारोबारियों का पुलिसिया उत्पीड़न व उगाही पर रोक लगाने, गाँव व शहरों को छुट्टा पशुओं के आतंक से मुक्त कराने व दालमंडी को सांप्रदायिक कारणों से बार-बार टार्गेट किए जाने के खिलाफ शनिवार को कचहरी स्थित शास्त्रीघाट से जिला मुख्यालय तक जुलूस निकालकर ज्ञापन सौंपा गया।

जुलूस संयुक्त रूप से भाकपा माले, इंसाफ मंच, उप्र जन अधिकार मंच व महिला जागृति समिति के द्वारा आयोजित किया गया। जुलूस को संबोधित करते हुए भाकपा माले के जिला प्रभारी कॉमरेड मनीष शर्मा ने कहा कि कोर्ट के बार-बार के आदेश के बावजूद प्रदेश में और बनारस में भी स्लाटर हाउस जानबूझकर सरकार चालू नहीं कर रही है। भारी पैमाने पर मीट कारोबारियों का पुलिसिया उत्पीड़न और अवैध वसूली की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि यह सरकार खास समाज को परेशान करने के लिए ही ऐसा कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि अगर थोड़ी भी शर्म बची है तो रमजान से पहले स्लाटर हाउस चालू किया जाए और पुलिसिया उत्पीड़न बंद किया जाए।

इंसाफ मंच यूपी के संयोजक अमान अख्तर ने कहा कि भीम आर्मी के नेता सचिन वालिया की हत्या प्रायोजित है और ठंडे दिमाग से की गई है। इस हत्या ने और पूरे उत्तर प्रदेश में दलितों, मुसलमानों और महिलाओं पर बढ़ते हमले ने कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। ऐसे में हम समझते हैं कि तत्काल योगी सरकार को सत्ता छोड़ देनी चाहिए।

जन अधिकार मंच के नेता अनिल मौर्य ने कहा कि हर मोर्चे पर फेल सरकार अब हर मसले को सांप्रदायिक कलर देने में लगी हुई है। इसी के चलते दालमंडी इलाके में सुरंग खोदे जाने की घनघोर सांप्रदायिक अफवाह फैलाई गई और दालमंडी की छवि खराब की गई। इसी अभियान के तहत नदेसर और राजघाट स्थित मस्जिद और मजार पर कब्जा करने की कोशिश हुई। हम इस तरह के अभियान पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हैं।

खेत मजदूर सभा के नेता कॉ अमरनाथ राजभर ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किए जाने के बाद दलितों पर हमले और ज्यादा बढ़ गए हैं। मुसलमानों को भी जगह-जगह निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में तत्काल जरूरत है कि इस कानून को पुराने रूप में बहाल किया जाए और मुसलमानों की सुरक्षा के लिए भी अलग से कानून बने।

इस मौके पर मुख्य रूप से अब्दुल कुरैशी, यासीन कुरैशी, फजलुर्रहमान अंसारी, बदले रहीम अंसीरी, स्वाले अंसारी, सागर गुप्ता, चाँद कुरेशी, दधिबल यादव, अशोक कुमार, सरताज अहमद, कलाम कुरैशी, विनोद कुमार, इरफान कुरैशी, अनिता देवी, रमेश कुमार आदि मौजूद थे।

 

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