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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पुलिसिया तांडव

पिछले चार दिनों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय पहले आपराधिक कृत्यों के चलते और अब पुलिस द्वारा छात्रों पर किये गये बर्बर सुलूक के चलते चर्चा के केन्द्र में है.
14 अप्रैल की देर रात इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पी सी बनर्जी छात्रावास में दो छात्र गुटों के बीच हुई झड़प में एक छात्र की गोली लगने से मौत हो गई. बताया यह जा रहा है कि आदर्श त्रिपाठी नाम के एक छात्र ने घटना के एक हफ्ते पहले पी सी बी छात्रावास में रहने वाले तीन अवैध छात्रों के खिलाफ धमकाने के आरोप में प्राक्टर ऑफिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई जिसके आधार पर पुलिस ने उन तीनों पर प्राथमिकी दर्ज की.

गोलीबारी की घटना के पहले दोनों गुटों में किसी ठेके में कमीशन को लेकर तनातनी थी. आदर्श त्रिपाठी की और से जिन अवैध छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी वे देर रात पीसीबी छात्रावास में आदर्श से बातचीत के लिए पहुँचते हैं. पहले से घात लगाकर बैठे आदर्श और उसके साथियों ने रोहित शुक्ल उर्फ़ बेटू को गोली मार दी, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई. उसके दो अन्य साथी आकाश शुक्ला और आलोक चौबे घायल हो गये. आदर्श अपने साथियों के साथ फरार हो गया. घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक आदर्श और उसके साथियों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है. हालाँकि पुलिस ने अगले दिन कार्रवाई करते हुए छात्रावास से दस पंद्रह की संख्या में संदिग्ध लोगों को उठा लिया.

15 अप्रैल की रात दस बजे के आसपास डॉ. ताराचंद छात्रावास के एक छात्र ने बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन विवाह स्थल में शादी समारोह के दौरान एक लड़की से बदतमीजी कर दी. जिसके बाद बारातियों ने लड़के की पिटाई कर दी. लड़के के कुछ साथी उसे छुड़ाकर ले जाते हैं, और छात्रावास से वापस बड़ी संख्या में आते हैं, आसपास खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ करते हैं. पुलिस के आने पर सभी छात्र भाग खड़े होते हैं. थोड़ी देर बाद बड़ी संख्या में पुलिस ताराचंद छात्रावास पहुँचती है और ताला लगे कमरों को तोड़कर कमरे के भीतर भयंकर तोड़फोड़ की गई. सोते हुए छात्रों को जगा जगा कर मारा गया. कूलर, लैपटॉप और मोबाइल फोन तोड़ दिए गये. लड़कों के हजारों रूपये भी चोरी किये गये, और कई छात्रों की इतनी पिटाई की गई कि उनके हाथ टूट गये.

16 अप्रैल को ताराचंद छात्रावास में दिनभर रैपिड एक्शन फ़ोर्स तैनात रही. इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई भी अधिकारी छात्रावास नहीं गया.
17 अप्रैल को तड़के सुबह छः बजे सबसे पहले ताराचंद छात्रावास में तकरीबन दो सौ की संख्या में पुलिस, पी. ए. सी. और रैपिड एक्शन फ़ोर्स आकर सभी कमरों में तोड़ फोड़ की गई, जो भी छात्र मौजूद थे उन्हें बहुत पीटा गया. कार्रवाई के समय विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से भी कोई अधिकारी नहीं पहुंचा था, तकरीबन तीन घंटे तक छात्रावास में पुलिस ने तांडव किया, सैकड़ो कूलर तोड़ दिए गये, दरवाजे तोड़े गये. छात्रावास में रहने वाले सैकड़ों वैध छात्रों की अगले ही दिन स्नातक और परास्नातक की परीक्षायें हैं, ऐसी स्थितियों में छात्र बेहद भय के दौर में जी रहे हैं.


17 अप्रैल को ही दिन में दोपहर बारह बजे पी सी बनर्जी छात्रावास में ही और भी भयानक तरीके से पुलिस प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई जिसमें कमरों में व्यापक तोड़फोड़ की गई.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में यह सबकुछ तब हो रहा है जब पिछले दिनों ‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ द्वारा जारी रैंकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश के शीर्ष दो सौ संस्थानों की फेहरिस्त से भी बाहर हो गया. उसके बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार दबाव और आलोचनाओं का शिकार हो रहा था. तीन दिन पहले घटी घटनाओं ने एक बार फिर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय को चर्चा का विषय बना दिया.

इस बार छात्रावासों में रहने वाले आपराधिक गतिविधियों में संलंग्न कुछ छात्रों के मार्फ़त पुलिस ने सभी छात्रों को अपना निशाना बनाया है. पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए यह कहा जा सकता है पुलिस दंगाइयों की तरह बर्ताव कर रही है. पुलिस को जिस कानून की उचित प्रक्रिया के तहत कारवाई करने को विधि द्वारा बाध्य किया गया है, वह यदि किसी छात्रावास के किसी छात्र या कुछ छात्रों द्वारा किये गये आपराधिक कृत्य के लिए सभी छात्रों को दोषी मान इस तरह की बर्बर कार्रवाई करेगी, तो हमारे देश में न्याय और लोकतंत्र कहां तक और कब तक सुरक्षित रहेगा.


इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हान्ग्लू के आदेश पर सभी छात्रावासों में मई, 2017 में वाश आउट की प्रक्रिया पूरी की गई थी. वाश आउट का आदेश यह कहते हुए जारी किया गया था कि छात्रावासों में वैध छात्र कम अवैध छात्र अधिक संख्या में रहते हैं जो तमाम तरह की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं. लेकिन नए सिरे से कोर्स के अनुसार छात्रावासों के आवंटन के बाद भी अवैध छात्र लगातार छात्रावासों में बने हुए हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमुक दो घटनाओं के पहले उन्हें छात्रावासों से बाहर करने के उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. वर्ष 2018 में न तो छात्रावासों में वाश आउट किया गया न ही रेड डाली गई.
आज 17 अप्रैल को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ऐसे समय में की गई जब छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं, और बिना किसी नोटिस के उनके कमरे में घुसकर उनके सामानों में तोड़फोड़ विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों की मौजूदगी में किया जाना किस आपराधिक कृत्य से कम है?
ऐसे में इस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी छात्रावासों में भय और भयंकर असुरक्षा का माहौल व्याप्त है. जिस पर पुलिस प्रशासन और इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई कदमनहीं उठाया जा रहा है, उल्टे दोनों की और से छात्रावासों में रहने वाले सभी छात्रों से अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है.

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