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छठे उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल के लिए पोस्टर मेकिंग वर्कशॉप का आयोजन

उदयपुर, 23 दिसंबर। प्रतिरोध का सिनेमा के तहत उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी व जन संस्कृति मंच की ओर से हाशिये के लोगों को समर्पित  28 से 30 दिसंबर को आयोजित छठे  उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं। रविवार को फ़िल्म फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए नफरत और भीड़तंत्र के खिलाफ तथा #metoo अभियान के समर्थन में फतह मेमोरियल सभागार, सूरजपोल में पोस्टर मेकिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें सोसाइटी से जुड़े सदस्यों के अलावा शहर के कलाकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर रिंकू परिहार, एस एन एस जिज्ञासु, धर्मराज जोशी, जयकुमार सविता, कैलाश चंद्र रोत, मीना मेघवाल, महिपाल सिंह राठौर, कौशतुभ ओला, सदफ बानो, प्रीति सरोहा, गजेंद्र सरोहा, चंद्रदेव ओला आदि मौजूद रहे।

सोसाइटी की संयोजक रिंकू परिहार ने बताया कि इससे पूर्व पिछले सफ्ताह फेस्टिवल के समर्थन में इंडियन इंस्टीटूट ऑफ होटल मैनेजमेंट और डॉक्टर चौधरी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में प्रमोशनल फ़िल्म स्क्रीनिंग के तहत क्रमशः नकुल सिंह साहनी की दस्तावेज़ी फ़िल्म  ‘इज्जतनगर की असभ्य बेटियां’ व एकतारा कलेक्टिव की कथा फ़िल्म ‘तुरुप’  दिखाई गईं।

उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी की रिंकू परिहार ने बताया कि फेस्टिवल में दिल्ली , पंजाब , केरल और उत्तर  प्रदेश से कुल 12 फिल्मकारों ने फेस्टिवल में आने की मंजूरी दी है . उन्होंने यह भी बताया कि इस अवसर पर पंजाब के युवा फ़िल्मकार रणदीप सिंह की दस्तावेज़ी फ़िल्म ‘लैंडलेस’ का प्रीमियर प्रदर्शन भी होगा. ‘लैंडलेस’ 70 मिनट की दस्तावेज़ी फ़िल्म है जिसमे पंजाब के भूमिहीन किसानों की बात की गयी है. गौरतलब है कि यह छायाकार रणदीप की पहली फ़िल्म भी है .

छठे उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल के लिए खासतौर पर फ़ातिमा निज़ारुद्दीन की दस्तावेज़ी फ़िल्म ‘Nuclear Hallucination’ का हिंदी रूपांतरण ‘परमाणु उर्जा -बहुत ठगनी हम जानी’ नाम से प्रतिरोध का सिनेमा अभियान ने फ़िल्मकार के साथ मिलकर  किया  है. इसका हिंदी अनुवाद पत्रकार पीयूष पन्त ने किया है.

फ़िल्म फेस्टिवल के मौके पर जन संस्कृति मंच द्वारा संचालित घुमंतू पुस्तक मेले द्वारा एक पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जायेगा.

इस बार उदयपुर में राजस्थान के पड़ोसी शहरों से विद्यार्थियों और सिनेमा प्रेमियों के भी आने की संभावना है .

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