समकालीन जनमत
जनमत

पीएचएमसी, पटना में डॉ संजय कुमार के इलाज में लापरवाही, हालत बिगड़ने पर एम्स लाया गया

नई दिल्ली. जानलेवा हमले में बुरी तरह घायल महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय,  मोतिहारी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ संजय कुमार की हालत और बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए एम्स ले जाया गया है. पीएचएमसी, पटना में उनके इलाज में घोर लापरवाही बरती गई. इलाज के दौरान डॉ संजय 12 बार बेहोश हो हुए लेकिन चिकित्‍सकों ने बेपरवाही पूर्वक कहा कि मॉब लिंचिंग में यह सब नॉर्मल चीजें होती हैं. यही नहीं उन्हें एम्स रेफर करने में भी पीएचएमसी, पटना के जिम्मेदारों ने अड़ंगा लगाया.

महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, मोतिहारी के शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि डॉ संजय के इलाज में आपराधिक साजिश के तहत लापरवाही बरती गई और यह सब चिकित्‍सा के पेशे पर कलंक सदृश्‍य है.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद मीणा, उपाध्‍यक्ष डॉ भानुप्रताप व डॉ. बबिता मिश्रा, महासचिव डॉ. अवनीश कुमार, संयुक्‍त सचिव सुश्री प्रेरणा भादुली व मृत्‍युंजय कुमार यादवेंदु तथा कोषाध्‍यक्ष विधुभूषण मिश्रा  ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि डॉ. संजय को बुरी तरह से मारपीट करके जलाने का जो प्रयास बजरंग दल आदि से जुड़े अराजक तत्‍वों ने किया, उसके तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज़ कराने के लिए जब डॉक्‍टरी मुआयने के लिए डॉ. संजय को सदर अस्‍पताल, मोतिहारी ले जाया गया था तो वहाँ उपस्थित डॉक्‍टर ने साफ बोला था कि इनकी गंभीर हालत को देखते हुए वह इन्‍हें आगे के इलाज और चिकित्‍सकीय जांच के लिए रेफर कर रहा है। उसके द्वारा एफआईआर की अनुंशसा करते हुए जो चिकित्‍सा जांच रपट बनाई गई, वह सोशल मीडिया पर मय वीडियो के भी उपलब्‍ध है। लेकिन राजनीतिक दबाव में उसने बाद में अपना बयान बदला है। इसके सबूत के रूप में भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है।

 डॉ. संजय कुमार महात्‍मा गांधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में समाजशास्‍त्र विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं जो आपने विषय की गहन समझ रखने वाले शिक्षक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इंसान के रूप में जाने जाते हैं। अपनी नियुक्ति के बाद से ही कुलपति जी के साथ उनका वैचारिक मतभेद रहा है क्‍योंकि संजय जी अकादमिक गुणवत्‍ता और तार्किकता पर बल देने वाले शिक्षक हैं जबकि कुलपति जी की रुचि विश्‍वविद्यालय को सरकारी भौंपू बना देने में रही है। एक लंबे समय से अन्‍य शिक्षकों की जैसे ही संजय जी भी कुलपति के तानाशाही और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ संघर्षरत रहे हैं। इस पूरे प्रक्रम में दो-तीन एसोशिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर जिनकी नियुक्ति में हुई अनियमितताओं को लेकर कैग की रपट तक में आपत्ति जताई गई थी, उनके बारे में पूरे मोतिहारी में चर्चा है कि वे कुलपति के साथ कभी क्षेत्रवाद के नाम पर, कभी राष्‍ट्रवाद के नाम पर और कभी जाति के नाम पर आंदोलनरत शिक्षकों के खिलाफ कुछ स्‍थानीय बिकाऊ पत्रकारों, कुछ बिकाऊ राजनेताओं और कुछ सड़क छाप गुंडों के साथ मिलकर आंदोलनरत शिक्षकों की मॉब लिंचिंग का षड्यंत्र रचते रहे हैं। शिक्षकों की नियुक्ति के समय से ही विश्‍वविद्यालय प्रशासन के कुलपति परस्‍त लोगों द्वारा जब तब प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष धमकियाँ तो आम हो चुकी थीं।

शिक्षक संघ ने कहा कि इस बात की पूरी आशंका थी कि किसी न किसी शिक्षक पर जानलेवा हमला हो सकता है और एक कथित फेसबुक पोस्‍ट को बहाना बनाकर अराजक तत्‍वों ने मॉब लिचिंग के रूप में एक राजनीतिक साजिश के तहत ऊपर से मिल रहे निर्देशों के अनुसार डॉ. संजय सर पर जानलेवा हमला किया और उन्‍हें जिंदा जलाने की कोशिश तक दी। ये निर्देश देने वाली ताकतें कौन हैं, ये किसी से छिपा नहीं है। सत्‍ता में बैठी राजनीतिक ताकतों और स्‍थानीय जिला प्रशासन का रुख देखकर यह समझना मुश्किल नहीं है कि हमारा विश्‍वविद्यालय और यह पूरा देश किस दिशा में जा रहा है। गाँधी की कर्मस्‍थली में गाँधी के नाम पर बने इस विश्‍वविद्यालय की त्रासदी देखिए कि एक शिक्षक को सरेआम मारने-जलाने का तांडव होता है और कुलपति  शिक्षक को देखने तक चिकित्‍सालय नहीं आते। अब इस सबके क्‍या अर्थ निकलते हैं, यह समझना कठिन नहीं है। इस हमले की प्रशंसा करने वाले और इसका समर्थन करने वाले वे लोग जो पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय वाजपेयी को नेहरूवादी युग का आदर्श बता रहे थे, उन्‍‍हें अपने अंदर झांकना चाहिए कि क्‍या नेहरू के दौर में एक शिक्षक की यों मॉब लिंचिंग कोई करवा सकता था ॽ

शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने  बिहार के बच्‍चों के भविष्‍य के लिए चिंतित बिहार के मुख्‍यमंत्री समेत राष्‍ट्रपति, तमाम स्‍टेक होल्‍डरों से और अन्‍य विश्‍वविद्यालयों के शिक्षक संघों, छात्र संघों से तथा प्रगतिशील नागरिक समाज से अपील की कि विश्‍वविद्यालय को जलने से बचा लें। अगर शिक्षक ही जीवित नहीं रहेंगे, वे ही त्‍यागपत्र देकर अन्‍यत्र चले जायेंगे तो कोई कुलपति या कोई प्रशासक आपके बच्‍चों को गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा नहीं दिला पायेगा.

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion