समकालीन जनमत
ख़बर

मोदी दोबारा सत्ता में नहीं आने वाले – राकेश सिंघा

कामरेड अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह में ‘ चार साल-बुरा हाल ’ परिसंवाद का आयोजन

लखनऊ, 25 जून। कामरेड अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह, लखनऊ की ओर से ‘ चार साल -बुरा हाल ’ विषय पर कैफी आजमी एकेडमी में 24 जून को परिसंवाद का आयोजन किया गया। इसे हिमाचल प्रदेश विधानसभा में माकपा के विधायक और जुझारू जननेता कामरेड राकेश-सिंघा ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के चार साल में जनता का जिस कदर शोषण बढ़ा है, उसकी वजह मेरी इस बात को गांठ बांध लीजिए कि वह दोबारा सत्ता में नही आने वाली।

उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि जनता के सवालों पर जुझारू संघर्ष को आगे बढ़ाया जाए। समाज में बढ़ती असमानता नए परिवर्तन के लिए रास्ता भी बनाती है, ज़रूरत है वस्तुगत परिस्थिति के अनुरूप आत्मगत स्थितियों का ऐसा विकास किया जाय कि असमानता के खिलाफ लड़ने वाली शक्तियां मजबूत हों। जनता के सवालों पर संघर्ष से समाज की जकड़न तोड़ी जा सकती है ।

कामरेड राकेश सिंघा का कहना था कि हिमांचल में वामपंथ आगे बढ़ सकता है तो देश के दूसरे हिस्से में भी यह संभव है। वित्तीय पूंजी ने जैसे अन्तरविरोध खड़े किए हैं, उसका इस्तेमाल करना हमें सीखना होगा। यह आराम से नहीं होगा। भारत का समाज जटिल समाज है तो समस्याएं भी जटिल हैं। प्रतिरोधी मास खड़ा करना जरूरी है। चुनाव में मेरे जीतने की उम्मीद ज्यादा नहीं थी लेकिन दलित जिन पर लगातार जुल्म हुए, वह हमारे साथ खड़ा हुआ। इससे भाजपा व कांग्रेस को हराया जा सका। यह अस्थाई परिघटना है। इसे स्थाई में बदलना है। दलितों के हजार सवाल हो सकते है पर उसके बिना क्रान्ति संभव नहीं। यह इंकलाब का कोर है। इस पर जोर दिया जाना चाहिए। इनके साथ मात्र सहानुभूति से काम चलने वाला नहीं है। हमारा युवा ऊर्जा से भरा है। इनके बिना किसी परिवर्तन की कल्पना नहीं की जा सकती। कामरेड राकेश सिंघा से सवाल भी पूछे गये और उन्होंने अपने अनुभव व व्यवहारिक संघर्ष के उदाहरण से उनका जवाब दिया।

आरम्भ में कामरेड अर्जुन प्रसाद को याद करते हुए जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि उन्हें याद करना अपनी विरासत को याद करना है। कामरेड अर्जुन प्रसाद हमारे लिए अर्जुन दा थे। लखनऊ में राजनीतिक आंदोलन हो या मजदूर आंदोलन या सांस्कृतिक आंदोलन, वे उसकी अगली पांत के योंद्धा थे। जनता पार्टी के शासन के दौरान उन्होंने ‘जनसंवक नम्बर दो’ नाटक में भी अभिनय किया था। उनका यह रूप सबको आश्चर्य में डालने वाला था।

कौशल किशोर ने इमरजेन्सी के दौरान के उनके साहसिक कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि वे सच्चे मायने में प्रोफेशनल क्रान्तिकारी थे जिनका संपूर्ण जीवन क्रान्ति के लिए था। यही कारण है कि बैंक की सर्विस से रिटायर होने के बाद उनके कदम पार्टी दफ्तर की ओर मुड़ गये। उनका जीवन व प्रतिबद्धता हम सबके लिए अनुकरणीय है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कामरेड अर्जुन प्रसाद के अनन्य साथी छोटे लाल ने कहा कि अर्जुन प्रसाद की समझ थी कि माक्र्सवाद को व्यवहार की प्रयोगशाला में ही सीखा जा सकता है। कामरेड राकेश सिंधा इसी व्यवहार से जुड़े हैं।

परिसंवाद का संचालन माकपा के जिला मंत्री प्रदीप शर्मा ने किया। इस मौके पर कामरेड अर्जुन प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण कर लोगों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। स्मृति समारोह में प्रेमनाथ राय, नलिन रंजन सिंह, मधु गर्ग, अतहर हुसैन, अशोक गर्ग, छोटे लाल रावत, आशीष अवस्थी, अनूप मणि, महेश चन्द्र देवा, राजीव यादव, रमाशंकर वाजपेई, के के चतुर्वेदी, अजय श्रीवास्तव, रिषी श्रीवास्तव, सीमा राना आदि मौजूद थे।

Related posts

8 comments

Comments are closed.

Fearlessly expressing peoples opinion