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आर्टिकल 370 को पुनर्बहाल करनेे की मांग को लेकर पूरे बिहार में वाम कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला

संविधान, लोकतंत्र व कश्मीर पर मोदी सरकार के हमले के खिलाफ
वाम दलों के देशव्यापी आह्वान के तहत पटना में नागरिक प्रतिवाद

पटना, 7 अगस्त. जम्मू-कश्मीर मामले में मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 व 35 (ए) को समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की कार्रवाई के खिलाफ आज वाम दलों के संयुक्त आह्वान पर पूरे बिहार में नागरिक प्रतिवाद का आयोजन हुआ. पटना में जीपीओ गोलबंर से नागरिकों का प्रतिवाद निकला और स्टेशन गोलबंर होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक गया, जहां एक सभा भी आयोजित की गई. पटना के अलावा अरवल, जहानाबाद, आरा, दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर, सिवान आदि जगहों पर नागरिक प्रतिवाद मार्च निकाले गए.

नागरिक प्रतिवाद में वाम दलों के शीर्षस्थ नेताओं के अलावा पटना शहर के कई बुद्धिजीवी भी शामिल थे. प्रतिवाद मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी संविधान, लोकतंत्र व कश्मीर पर हमला बंद करो, देश के संघीय ढांचे पर हमला नहीं सहेंगे, आर्टिकल 370 व 35 (ए) को पुनर्बहाल करो, कश्मीर के गिरफ्तार किए गए विपक्षी नेताओं को अविलंब रिहा करो आदि नारे लगा रहे थे.

बुद्धा स्मृति पार्क में आयोजित नागरिक प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता राजाराम ने की. जबकि सभा को ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, सीपीआई (एम) की केंद्रीय कमिटी के सदस्य अरूण मिश्रा, सीपीआई के पटना जिला सचिव रामलला सिंह, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, ऐडवा की बिहार राज्य सचिव रामपरी देवी, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, दिशा की बारूणी, फारवर्ड ब्लाक के अमेरिका महतो आदि ने संबोधित किया.

वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के संबंध में उठाया गया कदम एक तरह से तख्तापलट की कार्रवाई है. धारा 370 व 35 (ए) को समाप्त कर कश्मीर को बाकी भारत से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पुल को जलाने का काम किया गया है. इस तख्तापलट की तैयारी में मोदी सरकार ने पिछले एक सप्ताह से कश्मीर की घेराबंदी कर रखी थी. आज कश्मीर में इंटरनेट सेवायें बंद हैं, पेट्रोल की बिक्री बंद है और पुलिस थाने सीआरपीएफ को सौंप दिए गए हैं. जबकि इसे आजादी कहा जा रहा है. इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी ?

सरकार के इस कदम से कश्मीर समस्या का हल नहीं निकलेगा बल्कि वहां के हालात और भी खराब होंगे. वहां बढ़ाए जा रहे सैन्यबल के जमावड़ा और विपक्षी दलों पर हमला जम्मू व कश्मीर की जनता को और ज्यादा अलगाव में डाल देगा. सरकार का यह कदम भारत में फिर से 1940 के दशक वाली उथल-पुथल और अशांति पैदा कर रही है. जम्मू व कश्मीर में आज वस्तुतः आपातकाल लागू कर दिया गया है. देश के दूसरे हिस्से की प्रगतिशील जनता पूरी तरह कश्मीरी जनता के साथ खड़ी है.

कुछ लोग इस कदम से बेहद उत्साहित हैं कि कश्मीर को जैसे आजादी मिल गई हो. वैसे लोगों से हम पूछना चाहते हैं कि यदि बिहार को खत्म कर शाहाबाद, मिथिलांचल, मगध आदि केंद्र प्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया जाए, तो क्या यहां के लोग आजादी महसूस करने लगेंगे ? नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं होगा.

वक्ताओं ने कहा कि आरएसएस-भाजपा की ट्राल टोली कश्मीर की युवतियों के बारे में गंदे मजाक कर रही है. हम इसका तीखा प्रतिवाद करते हैं. वाम दल व देश का प्रगतिशील नागरिक समुदाय पूरी तरह से संविधान पर हुए इस हमले और तख्तापलट के खिलाफ खड़ा है. हमारी मांग है कि धारा 370 व 35 (ए) को अविलंब पुनर्बहाल किया जाए और सभी विपक्षी नेताओं को नजरबंदी से तत्काल रिहा किया जाए.

आज के नागरिक प्रतिवाद में भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता अमर, केडी यादव, शिवसागर शर्मा व अभ्युदय, सीपीआई (एम) के बिहार राज्य सचिव अवधेश कुमार, सर्वोदय शर्मा व मनोज कुमार चंद्रवंशी, सीपीआई के विजय नारायण मिश्र, गजनफर नवाब व विश्वजीत कुमार, सर्वहारा मोर्चा के अजय सिन्हा, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, महासंघ गोपगुट के रामबलि प्रसाद, ऐक्टू के रणविजय कुमार, आरवाईए के सुधीर कुमार, आइसा के विकास यादव, एआईएसफ के सुशील कुमार, कोरस की समता राय, किसान सभा के नेता रामजीवन सिंह, नाट्यकर्मी तनवीर अख्तर, रंगकर्मी अनीश अंकुर, सीटू तिवारी, राजेन्द्र पटेल, आकाश कश्यप सहित बड़ी संख्या में छात्र-युवा-रंगकर्मी-साहित्यकार व पटना का नागरिक समुदाय उपस्थित था.

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