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शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर हल्द्वानी में भाकपा माले की इंकलाब रैली

हल्द्वानी. भाकपा(माले) ने  28 सितंबर को शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिवस पर “इंकलाब रैली” का आयोजन किया। इस रैली में हेतु माले के मजदूर, किसान व महिला संगठनों के सदस्य सैकड़ों की संख्या में अब्दुल्ला बिल्डिंग के समक्ष एकत्रित हुए और वहाँ से लाल झंडों से सुसज्जित रैली ने नारेबाजी करते हुए बुद्ध पार्क की ओर मार्च किया।

बुद्ध पार्क में भाकपा (माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने ” इंकलाब रैली ” को संबोधित करते हुए कहा कि, “आज देश के हालात जिस तरह से बन गए हैं, ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। मोदी सरकार के लिए शहीदेआजम भगत सिंह की यह उक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है कि जो सरकार जनता के बुनियादी अधिकारों पर हमला करे उसके लिए जनता का बुनियादी अधिकार व कर्तव्य बनता है कि ऐसी सरकार को बदल दे।”

उन्होंने कहा कि, “मॉब लिंचिंग,सरकारी खजाने की लूट,रक्षा सौदों में दलाली,महिलाओं-दलितों पर बढ़ते हमले,बढ़ती मंहगाई अौर बेरोजगारी,नोटबंदी, नक्सलवाद-माओवाद के नाम पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दमन इत्यादि आमजन के अधिकार पर बढ़ते हमले व देश को तबाह करने के ज्वलंत उदाहरण हैं।”

राजा बहुगुणा ने कहा कि, “2014 में मोदीजी ने कहा था मैं प्रधानमंत्री बना तो भ्रष्टाचार दूर करूंगा, मंहगाई, बेरोजगारी पर लगाम लगाऊंगा, हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार दूंगा, काला धन जब्त कर हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रूपया डालूंगा, मजदूर-किसानो को राहत दूंगा. और भी बहुत वायदे किये थे लेकिन समय बीतने के साथ सारे वादे हवा हो गए हैं। पेट्रोल, डीजल, गैस व सभी जरूरत की वस्तुओं के दाम आसमान पर हैं और रुपया जमीन पर। मजदूर, किसान, बेरोजगार, छात्र, युवा, महिलाएं, छोटे- मझोले व्यवसाई व समाज के सभी कमजोर हिस्से अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। जन आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि, “राफेल लड़ाकू विमान डील के नाम पर हुए इतिहास के सबसे बड़े रक्षा घोटाले की बड़ी बेशर्मी के साथ लीपापोती की जा रही है। विमान को दाम से तीन गुना ज्यादा कीमत में खरीदने का मोदी सरकार का फैसला और हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की जगह अनिल अंबानी की कंपनी को राफेल विमान बनाने का अनुबंध आज किसी देशवासी के गले नहीं उतर रहा है। मोदी जी के साथ इस सौदे पर हस्ताक्षर करने वाले फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फांस्वा ओलांद के बयान के बाद स्थिति सबके सामने है पर सरकार ‘एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी’ की कहावत चरितार्थ करते हुए जनता को गुमराह करने की चेष्टा कर रही है। देश की जनता ने बोफोर्स घोटाले के आरोपियों को नहीं बख्शा था और राफेल घोटाले के दोषियों को भी जनता 2019 में जरुर सबक सिखायेगी।”

उन्होंने कहा कि “बड़ी बड़ी बातें कर देशभक्ति का सर्टिफिकेट बाँटने का ठेका लेने वाली सरकार ने ईरान तेल पाइप लाइन और रूस से मिसाइल सिस्टम लेने के सवाल पर अमेरिका के सामने घुटने टेक दिए हैं। भारत को विदेश नीति के मोर्चे पर क्या करना है और क्या नहीं ये अमेरिका तय कर रहा है। मोदी सरकार ने देश की संप्रभुता को अमेरिका के सामने गिरवी रख दी है। यह बेहद शर्मनाक है।”

उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गौ रक्षा के नाम पर भीड़ हत्याओं ने मुस्लिम समुदाय के जीवन को संकट में डाल दिया है। भारतीय समाज में हो रहे चिंताजनक साम्प्रदायिक विभाजन के साथ महिलाएं व दलित जन समुदाय पर इस तरह की मार पड़ी है कि मानों देश संविधान से नहीं मनुस्मृति के निर्देशन में संचालित हो रहा हो। हमारे देश के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि विदेश में भी यह चर्चा है कि भारत महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश है.

उन्होंने कहा कि, “सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों की आवाज को माओवाद व नक्सलवाद के नाम पर दबाने की चौतरफा कार्रवाई जा रही है। मोदी सरकार का जयकारा ही आज देशभक्ति का पर्याय बन गया है और केन्द्र व संघ परिवार से असहमति की हर आवाज को देश के खिलाफ सूचीबद्ध करने की कुचेष्टा की जा रही है। इसे हरगिज़ वर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। गौरी लंकेश, दाभोलकर, पानसारे व कलबुर्गी की हत्यायें हों, आम मुसलमान की भीड़ हत्या हो, कठुआ,उन्नाव से लेकर मुजफ्फरपुर, देवरिया के बालिका सुधार गृह की वीभत्स घटनाएं हों यह सब् सत्ता के संरक्षण में होने वाले ऐसे संगीन अपराध हैं जिनका प्रतिकार किए बिना कोई भी सभ्य नागरिक नहीं कहलाया जा सकता है।”

राजा बहुगुणा ने जोर देकर कहा कि, “मोदी सरकार देश की जनता का विश्वास खो चुकी है। देश बदलाव चाहता है। भारतीय संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए बिगुल बज चुका है। सत्ता के दमन को धता बताते हुए मजदूर,किसान,छात्र-युवा,बेरोजगार व समाज के कमजोर हिस्से देश भर में जन विरोधी नीतियों के प्रतिकार में निकल चुके हैं। इसलिए देश का आज की परिस्थिति में एक ही नारा हो सकता है – ‘भाजपा भगाओ,लोकतंत्र बचाओ।'”

माले के वरिष्ठ किसान नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “मोदी राज में किसान तबाह हुआ है, इसीलिए पूरे देश का किसान सड़कों पर है। उत्तराखंड में भी चाहे बिन्दुखत्ता राजस्व गाँव का सवाल हो, सिंचाई और पेयजल संकट के समाधान के लिए जमरानी बांध हो, वनाधिकार कानून लागू करने का प्रश्न हो, वन गुर्जरों-गोठ खत्ता वासियों का पुनर्वास हो, सुवर-बंदरों से लेकर आवारा पशुओं का आतंक हो या हाथी कॉरिडोर और टाइगर रिजर्व के नाम पर किसानों की जमीन हड़पने की तैयारियां हों हर हाल में किसान केंद्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण बेहाल हो रहा है।”

माले राज्य कमेटी सदस्य कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि “उत्तराखंड की भाजपाई डबल इंजन सरकार ने निकम्मेपन के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। उत्तराखंड के हालात देखते हुए तो लगता है कि यहाँ जैसे कोई सरकार है ही नहीं, सब कुछ स्वतःस्फूर्तता के हवाले छोड़ दिया गया है। गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए स्कूल बंद किये जा रहे हैं और पहाड़ी जिलों के नवोदय विद्यालय देहरादून शिफ्ट करने का फरमान जारी कर दिया गया है। अस्पताल बदहाल हैं, और जनता इलाज के अभाव में मरने या कर्ज लेकर महँगे प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर है। एक ओर सरकार पलायन रोकने की बड़ी बड़ी बातें कर रही है दूसरी ओर पर्वतीय क्षेत्र की जनता को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित किया जा रहा है। “

ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री कामरेड के के बोरा ने कहा कि ” मोदी राज में मजदूरों के श्रम अधिकारों पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। श्रम कानूनों को कमजोर कर मजदूरों द्वारा लंबे संघर्षों से प्राप्त अधिकारों को खत्म कर सरकार पूजीपतियों के शोषण का पक्षकार बन गई है। सिडकुल मजदूरों की खुली जेल में तब्दील कर दिये गए हैं जहाँ अपने हक की आवाज उठाने वाले श्रमिकों का भयानक उत्पीड़न रोजमर्रा की कार्यवाही बन गई है। जो मजदूर हित की बात कर रहा है उसे माओवादी बता दिया जाता है, यह भाजपा सरकार के फासीवादी चरित्र को उजागर कर रहा है।”

माले के उधमसिंहनगर जिला सचिव कामरेड आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि, “देश में आज जिस प्रकार के हालात बन गए हैं यह महसूस हो रहा है कि शहीदे आज़म भगत सिंह और संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के विचार नए भारत के निर्माण के लिए आज प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं। इसीलिए ” नये भारत के वास्ते, भगत सिंह-अम्बेडकर के रास्ते” एक लोकप्रिय नारा बन गया है।”

जनसभा के पश्चात एक ज्ञापन राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान हेतु भारत के राष्ट्रपति और क्षेत्रीय समस्याओं के लिए दूसरा ज्ञापन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को उपजिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से भेजा गया।

“इंकलाब रैली” में भाकपा(माले) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की जिनमें मुख्य रूप से कामरेड बहादुर सिंह जंगी, इंद्रेश मैखुरी, के के बोरा, आनन्द सिंह नेगी, सी.पी.एम. के अवतार सिंह, सीपीआई के राजेंद्र कुमार गुप्ता, पत्रकार सरताज़ आलम, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जी एस टम्टा,चंद्रशेखर भट्ट,मदन मोहन चमोली, विमला रौथाण,निशान सिंह, भुवन जोशी,प्रकाश फुलोरिया, ललित मटियाली, गोविंद जीना, पुष्कर दुबड़िया, आनन्द सिंह सिजवाली,पान सिंह कोरंगा, एडवोकेट कैलाश जोशी, एडवोकेट डी एस मेहता, आशा यूनियन की नेता रीता कश्यप, ममता पानू, कुलविंदर कौर, स्वरूप सिंह दानू, गोपाल सिंह, कमल जोशी,राजेन्द्र शाह, नैन सिंह कोरंगा,हयात राम, गंगा सिंह, डेविड, देवेन्द्र रौतेला, मदन धामी, भास्कर कापड़ी, नारायण नाथ, एन डी जोशी, भुवन भट्ट, हरीश चंद्र सिंह भंडारी आदि शामिल रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ माले नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने की।

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