समकालीन जनमत
जनमत

सत्रहवीं लोकसभा के माननीय सांसद

17वीं लोकसभा में 36 दलों के 538 और चार निर्दलीय सांसद हैं। 15 दलों के जिनमें जनता दल सेकुलर, अन्नाद्रमुक, आप, झामुमो , आजसू, एनडीपीपी, एनपीपी, एनपीएफ, आर एस पी, केरल कांग्रेसी एम, एमएनएफ, एसकेएम, बीसीके, एआईयूडीएफ और आरएलपी के केवल एक सांसद है। चार दलो – ए आई एम आई एम, अकाली दल, भाकपा, अपना दल सोनेलाल के दो-दो सांसद हैं और चार दलों – एआईयूएमएल, माकपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, तेदेपा के तीन -तीन सांसद हैं। पांच सांसदों वाले दल मात्र दो है – सपा और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी।

छह सांसदों वाला केवल एक दल लोजपा है और 9 सांसद तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के हैं। बसपा के 10, बीजद के 12, जदयू के 16, शिवसेना के 18, तृणमूल कांग्रेस के 22, वाईएसआर कांग्रेस के 22, द्रमुक के 23, कांग्रेस के 52 और भाजपा के 303 सांसद हैं।

कांग्रेस से लगभग 6 गुना अधिक है भाजपा के सांसद। चार निर्दलीय सांसदों में दो महिला और दो पुरुष हैं। कर्नाटक की मांड्या सीट से सुमनलता अंबरीश और महाराष्ट्र की अमरावती से नवनीत रवि राणा निर्दलीय सांसद हैं।

असम के कोकराझार से निर्दलीय सांसद नवा कुमार सरनिया 2014 में भी निर्दलीय सांसद थे। एक समय वह उल्फा के 709 बटालियन के कमांडर थे। वे बोडो नहीं है और उन्होंने बोडो प्रत्याशी प्रमिला रानी ब्रह्म को 39017 वोटों से हराया। अमरावती से नवनीत रवि राणा ने 2014 में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह हारी थीं। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें कांग्रेस और राकांपा का समर्थन था।

धूमिल ने अपनी एक कविता में प्रभु वर्गों को ‘अपराधियों का एक संयुक्त परिवार’ कहां है जो सिर्फ यह चाहता है कि उसका ‘स्वस्तिक स्वस्थ रहे, देश डूबता है तो डूबे ’। संसद में करोड़़पति सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी प्रकार अपराधी सांसद भी बढ़ रहे हैं।

एडीआर – एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और न्यू इलेक्शन वॉच के अनुसार 43 प्रतिशत सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मुकदमों की जानकारी दी है। यह संख्या बढ़ती गई है। 2009 में यह संख्या 30 प्रतिशत थी और 162 सांसदों पर आपराधिक मामले थे। 5 वर्ष बाद 2014 में यह संख्या बढ़कर 34 प्रतिशत हुई और 185 सांसदों पर आपराधिक मामले थे। 17वीं लोकसभा में इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ है 34 प्रतिशत से बढ़कर 43 प्रतिशत हुआ और ऐसे सांसद 185 से बढ़कर 233 हुए हैं।

गंभीर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले सांसद भी बढ़ते गए हैं। भाजपा के 116, कांग्रेस के 29, द्रमुक के 10, तृणमूल कांग्रेस के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 10, शिवसेना के 11, जदयू के 13, बीजद के एक, बसपा के 5, तेलंगाना राष्ट्र समिति के तीन, लोजपा के 6, राकापा के दो, सपा के दो, टीडीपी के 1, माकपा के दो और दो निर्दलीय सांसदों पर आपराधिक मामले हैं।

इन सभी दलों में रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के सभी छह सांसदों पर आपराधिक मामले है। सबसे कम बीजद का सांसद है जिसके 12 में मात्र एक पर आपराधिक मामला है। मात्र 10 वर्ष में 2009 के बाद अब यह दोगुनी संख्या में संसद में विराजमान हैं।

केरल के इडुक्की लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार ए डी वी डीन कुरियन ने अपने प्रतिद्वंदी को 1,71,053 वोटों से हराया और उन्होंने अपने शपथ पत्र में यह बताया है कि उन पर 204 आपराधिक मुकदमे हैं। 11 सांसदों ने यह जानकारी दी है कि भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 302 जो हत्या से संबंधित है के तहत उन पर मुकदमे हैं। इनमें पांच सांसद भाजपा के हैं।

भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर जिन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 3,64,822 मतों से पराजित किया। भाजपा के अन्य 4 सांसद हैं – असम के हरेन सिंगबे, पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के निशीथ प्रामाणिक, उत्तर प्रदेश खीरी के अजय कुमार और धार मध्य प्रदेश के छतर सिंह दरबार। बसपा के दो सांसदों पर हत्या के मुकदमे हैं। उत्तर  प्रदेश के घोषी से अतुल कुमार राय जो गठबंधन के प्रत्याशी थे और उन्होंने भाजपा के हरिनारायण राजभर को 1,22,000 मतों से हराया, रेप के भी आरोपी होने के कारण इन्होंने एक दिन भी अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार नहीं किया।

कांग्रेस का एक सांसद जो बहरामपुर पश्चिम बंगाल से निर्वाचित है अधीर रंजन चौधरी और सतारा महाराष्ट्र के राकांपा के सांसद भेसले श्रीमंत छत्रपति उदयराजे प्रताप सिंह महाराज पर भी हत्या के मुकदमे हैं। आंध्र प्रदेश के हिंदपुर का वाईआरसीपी का सांसद कुरुबा गोरेतला माधव और असम के कोकराझार के निर्दलीय सांसद नवा कुमार सरनिया भी इसी कोटि के सांसद हैं। जिन सांसदों पर हत्या के आरोप हैं वह इतने अधिक मतों से कैसे जीत पाते हैं ? ऐसे 11 सांसदों में से लगभग आधी संख्या के पांच सांसद भाजपा के हैं।

संसद में अपराधी और करोड़पति सांसदों में निरंतर हो रही वृद्धि शायद ही किसी दल विशेष की चिंता और सरोकार में हो। यह सब जनप्रतिनिधि हैं। माननीय सांसद हैं। देश से गरीबी समाप्त नहीं हो रही है। करोड़ों लोगों को 2 जून की रोटी नसीब नहीं है और उनके करोड़पति जनप्रतिनिधि संसद में पहुंच रहे हैं।

2009 की लोकसभा में 315 सांसद करोड़पति थे। 2004 में इनकी संख्या लगभग आधी थी। शत्रुघ्न सिन्हा की आय 2009 में मात्र 15 करोड़ थी जो 778 प्रतिशत बढ़कर 2014 में 131 करोड़ हो गई। 2014 में पुन निर्वाचित सांसदों की आय दोगुनी बढ़ गई। औसत संपत्ति 2009 में 5.38 करोड़ से बढ़कर 2014 में 12.78 करोड़ हो गई। 5 वर्ष में 7.4 करोड़ की वृद्धि। 2009 में 315 करोड़पति सांसद थे – 58 प्रतिशत, जो 2014 में बढ़कर 442 हो गए। इनकी संख्या 82 प्रतिशत थी। अब 17 वीं लोकसभा में 539 सांसदों में से 475 सांसद करोड़पति हैं। कुल 88 प्रतिशत।

भाजपा के 301 सांसदों में से 265 सांसद, कांग्रेस के 51 में से 43 सांसद, द्रमुक के 23 सांसदों में से 22 सांसद, तुणमूल कांग्रेस के 22 में 20 सांसद, वाईएसआर के 22 में से 19 सांसद और शिवसेना के सभी 18 सांसद करोड़पति हैं। तीन सबसे बड़े करोड़पति कांग्रेसी सांसद हैं। छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश के सांसद गोकुलनाथ 660 करोड़ के मालिक हैं। कन्याकुमारी के सांसद बसंत कुमार की कुल संपत्ति 417 करोड़ है और बेंगलूर ग्रामीण के सुरेश की संपत्ति 338 करोड़ है। प्रत्येक सांसद की औसत संपत्ति 20.93 करोड़ है।

सबसे कम संपत्ति वाली सांसद वाईएसआर की गोदी माधवी हैं जिन्होंने अरुकू संसदीय सीट से 6 बार से सांसद और टीडीपी प्रत्याशी किशोर चंद्र देव को 2,17,346 वोटों से हराया। गोदी माधवी की चल अचल संपत्ति मात्र 1,45,000 रुपये है।

17वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र की आदिवासी सांसद हैं क्योंझर से चंद्रानी मुर्मू जिनकी उम्र मात्र 25 वर्ष है। इस लोकसभा में सर्वाधिक महिला सांसद हैं 78, जो 2014 में 62 थी। पहली लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या मात्र 5 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई है। यह संख्या बहुत कम है। रवांडा में महिला सांसद 61 प्रतिशत हैं, दक्षिण अफ्रीका में 45 प्रतिशत, यूके में 32 प्रतिशत, संयुक्त राज्य अमेरिका में 21 प्रतिशत और बांग्लादेश में 21 प्रतिशत भारत में यह मात्र 14 पप्रतिशत है।

इस चुनाव में 724 महिला प्रत्याशी थी। कांग्रेस से 54 और भाजपा से 53 थी। बसपा ने 24, तृणमूल कांग्रेस ने 23, माकपा ने 18, भाकपा ने चार, राकांपा ने एक महिला प्रत्याशी खड़ा किया था। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सर्वाधिक महिला सांसद है – 11 और 11। 41 निवर्तमान सांसदों में से 27 निर्वाचित हैं।

स्मृति ईरानी और प्रज्ञा ठाकुर का महत्व इसलिए है कि स्मृति ने अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पराजित किया और प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हराया। चर्चित महिला सांसदों में सोनिया गांधी, रीता बहुगुणा और कनिमोझी हैं।

17वीं लोकसभा में 90 प्रतिशत से अधिक हिंदू हैं। भाजपा के 99.6 प्रतिशत सांसद हिंदू है। इस संसद में मात्र 27 मुसलमान सांसद है। 2014 से 4 अधिक जिनमें भाजपा का एक भी सांसद मुसलमान नहीं है। सबसे अधिक मुसलमान सांसद 1980 की लोकसभा में थे तब उनकी संख्या 49 थी। मुसलमान कुल जनसंख्या के 10.5 प्रतिशत है पर 17वीं लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व 4.5 प्रतिशत है। 2014 में उत्तर प्रदेश से एक भी मुसलमान सांसद नहीं था। भाजपा ने इस बार कश्मीर से तीन, पश्चिम बंगाल से 2, लक्षद्वीप से एक मुसलमान प्रत्याशी खड़ा किया था। इन 6 प्रत्याशियों में से एक भी चुनाव नहीं जीत सका। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से 6 मुसलमान सांसद है – सपा से तीन व बसपा से तीन, तृणमूल कांग्रेस से 5 व कांग्रेस से एक, नेशनल कॉन्फ्रेंस से तीन, बिहार से दो , केरल से तीन, असम से दो, महाराष्ट्र से एक, लक्षदीप से एक, पंजाब से एक,तमिलनाड से एक, हैदराबाद से एक मुसलमान सांसद हैं।

17वीं लोकसभा में 300 नए सांसद हैं। 197 सांसद पुनः निर्वाचित हुए हैं। 45 सांसद पहले की लोकसभाओं में के हैं। सांसदों की औसत उम्र 54 वर्ष है। 12 प्रतिशत सांसदों की उम्र 40 वर्ष से कम है जो 16वीं लोकसभा से 4 प्रतिशत अधिक है। पहली लोकसभा में 40 वर्ष से कम के सांसद 26 प्रतिशत थे।

अभी 394 सांसद स्नातक है या उससे अधिक शिक्षित है। 27 प्रतिशत सांसदों की शिक्षा 12वीं तक की है जो 16वीं लोकसभा में 20 प्रतिशत थी। 39 प्रतिशत सांसद का पेशा राजनीतिक-सामाजिक कार्य है। 38 प्रतिशत सांसद कृषि से जुड़े हैं। 23 प्रतिशत व्यापारी और 4 प्रतिशत वकील हैं। ये हैं 17 वीं लोकसभा के सांसद।

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