समकालीन जनमत
ख़बर

फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक को मिल रही जान से मारने की धमकी

नई दिल्ली : फारवर्ड प्रेस हिंदी-संपादक नवल किशोर कुमार को फोन और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जान से मार डालने की घमकियां मिल रही हैं। धमकी देने वाले लोग स्वयं को बिहार में रणवीर सेना के संस्थापक ब्रह्मेश्वर मुखिया का समर्थक बता रहे हैं। इस संबंध में  दिल्ली के पुलिस कमिश्नर, साइबर सेल और बिहार के डीजीपी से शिकायत की गई है।

गौरतलब है कि रणवीर सेना के लोग ब्रह्मेश्वर मुखिया की आदमकद प्रतिमा उसके जन्म स्थल बिहार के भोजपुर जिले के खोपिरा में स्थापित कर रहे हैं।  वर्ष 2012 में इसी दिन मुखिया की हत्या कर दी गयी थी। हत्या की जांच सीबीआई कर रही है, लेकिन आज तक हत्यारे का कोई सुराग नहीं मिल सका है। इसी खबर को बीते 27 मई को नवल किशोर कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया तथा 300 से अधिक  दलित-पिछडों की हत्या के आरोपी ब्रहमेश्वर मुखिया की मौत को कुत्ते की मौत बताया था।

गालियों से भर गई है फेसबुक वॉल

नवल स्वयं दिल्ली में और उनके परिजन पटना में रहते हैं। उनके द्वारा पुलिस को दी गयी  शिकायत में रणवीर सेना के अनेक समर्थकों का जिक्र किया गया है। नवल ने अपनी शिकायत में लिखा है कि “पटना में रहने वाले रौशन पांडेय ने 30 मई 2018 को पूर्वाह्न 9 बजकर 8 मिनट पर मेरे फेसबुक पोस्ट  टिप्पणी की है – घर में घुस कर *** में इतनी गोली मारी जायेगी **** की तुम्हारी आने वाली नस्लों की रूह कांप जायेगी रे ***। पन्द्रह मिनट के अन्दर भुमिहार एकता मंच तुम्हारे खात्मा की जिम्मेदारी लेता है।” जान से मारने की धमकी देने वालों में एक बिपिन कुमार सिंह भी है। इसने 31 मई 2018 को सुबह 9 बजकर 38 मिनट पर कमेंट किया -“** में इतनी पीतल ठुकेगी कि आने वाली 10 कुर्सी गूँगी पैदा होगी।”

नवल किशोर कुमार ने शिकायत में कहा है कि “31 मई 2018 को 12 बजकर 25 मिनट पर रौशन शर्मा नामक एक व्यक्ति ने मेरा नंबर शेयर करते हुए लिखा है – “7004975366 ये इस ***** का मोबाइल नंबर है *** इसको…। इस व्यक्ति ने अपने प्रोफाइल तस्वीर के रूप में रणवीर सेना लिख रखा है। इसी प्रकार  आरा के रहने वाले ऋषि रणवीर ने 30 मई 2018 को 9 बजकर 45 मिनट पर एक स्क्रीन शॉट शेयर किया है। इसमें मेरा व्हाट्सअप नंबर दिया गया है। व्हाट्सअप पर भी धमकी भरे कॉल आ रहे हैं। जान मारने की धमकी और परिजनों को गाली देने संबंधी कमेंट राजीव कुमार सिंह और मनीष कुमार भी हैं। मनीष ने अपने वॉल पर स्वयं को शिवसेना का बिहार प्रदेश का पूर्व प्रांतीय चीफ बताया है।”

नवल ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों व दिल्ली पुलिस के साइबर सेल काे भेजे गए अपने ईमेल में लिखा कि जिस तरह की धमकियां आ रहीं हैं, उससे स्पष्ट होता है कि “जाति विशेष के किसी खास संगठन द्वारा इस तरह की गतिविधि को अंजाम दिया जा रहा है। इससे दिल्ली में  मैं और पटना में रह रहे मेरे परिजन खौफजदा हैं।”

हम डरने वाले नहीं हैं :  प्रमोद रंजन, प्रबंध संपादक, फारवर्ड प्रेस

फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए अपने फेसबुक वाॅल पर लिखा  कि -”नवल किशोर रणवीर सेना पर काम करने वाले देश के प्रमुख पत्रकारों में से एक हैं। उन्होंने न सिर्फ सेना की कारगुजारियों का विस्तृत अध्ययन किया है, बल्कि ब्रह्मेश्वर मुखिया का एकमात्र उपलब्ध मुकम्मल वीडियो इंटरव्यू भी उन्होंने किया था, जो फारवर्ड प्रेस के मार्च 2012 के अंक में प्रकाशित हुआ था तथा हमारे यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है।”

प्रमोद रंजन ने बताया  है कि” नवल किशोर कुमार ने तीन दिन पहले -27 मई, 2018 को – अपनी फेसबुक पोस्ट में खोपिरा में बरमेसर मुखिया की प्रतिमा की स्थापना का विरोध यह कहते हुए किया था कि एक नृशंस हत्यारे की मूर्ति की स्थापना तथा उसके सम्मान में किया जाने वाला आयोजन मानवता के खिलाफ है।” इसी क्रम में “उन्होंने 300 से अधिक दलित-पिछडों की नृशंस हत्या के आरोपी ब्रह्मेश्वर मुखिया की मौत को ‘कुत्ते की मौत’ कहा था तथा बिहार में सामंती ताकतों के बढते मनोबल के लिए जदयू-भाजपा की सरकार को आडे हाथों लिया था।”

प्रमोद रंजन ने अपने फेसबुक पोस्ट में  लिखा है कि “ याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि यह वही ब्रह्ममेश्वर मुखिया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपने लोगों को कहा था कि जहां नरसंहार करने जाओ वहां दलित-पिछडों के बच्चों को भी मत छोडो। वे संपोले हैं, बडे होकर नक्सलवादी बनेंगे। रणवीर सेना ने विभिन्न नरसंहारों में दर्जनों बच्चों को गाजर-मूली की तरह काट डाला। गर्भवती महिलाओं के गर्भ चीर डाले। युवतियों के स्तन काट डाले।”

फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक ने कहा है कि “ब्रह्मेश्वर मुखिया जैसे लोगों के लिए हमारी राय पूरी तरह स्पष्ट रही है। उसकी हत्या के बाद हमने फारवर्ड प्रेस (जुलाई,2012) की कवर स्टोरी का शीर्षक दिया था – ‘किसकी जादूई गोलियों ने ली बिहार के कसाई की जान‘। यह कवर स्टोरी नवल किशोर ने ही लिखी थी। उसी अंक में प्रसिद्ध दलित चिंतक कंवल भारती का भी एक लेख था, जिसका शीर्षक था : ‘हत्यारे की हत्या पर दु:ख कैसा?’ हमारी नजरों में वह एक हत्यारा, एक नरपिशाच ही था।”

खबर लिखे जाने तक नवल किशोर कुमार को धमकी भरे फोन काल्स और फेसबुक पर गाली-गलौज से भरी टिप्पणियों का आना जारी है। पुलिस की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 पत्रकार नवल कुमार को धमकी की भाकपा माले ने निंदा की

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने फारवर्ड प्रेस के पत्रकार नवल कुमार पर बिहार की भाजपा-संघ समर्थक ताकतों द्वारा सोशल मीडिया पर मिथ्या प्रचार अभियानन, जान से मारने और परिजनों से बलात्कार की धमकी आदि ओछी हरकतों की तीखी निंदा की है और इस तरह की ताकतों के खिलाफ एकताबद्ध संघर्ष की अपील करती है.

माले ने अपने बयान में कहा है कि नब्बे के दशक में 300 से अधिक दलित-गरीबों की निर्मम हत्या और दर्जनों जनसंहार के मुख्य आरोपी आदमखोर बरमेश्वर मुखिया की मूर्ति लगाने का क्या औचित्य है? जब पत्रकार नवल कुमार ने इसका विरोध किया, तो संघी ट्राल ने अपनी आदत के मुताबिक उनपर हमला कर दिया. इस मूर्ति अनावरण में भाजपा-जदयू के बड़े नेताओं के शामिल होने की चर्चा है. जाहिर है ऐसे आदमखोर प्रतीकों के जरिए भाजपा बिहार में सामंती-सांप्रदायिक ताकतों का मनोबल बढ़ाने का काम कर रही है और पूरे बिहार में दलित-गरीबों के खिलाफ माहौल बना रही है. हमारी पार्टी भाजपा के इस प्रकार के मंसूबे को कभी कामयाब नहीं होने देगी.

Related posts

1 comment

Comments are closed.

Fearlessly expressing peoples opinion