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मोदी सरकार के खिलाफ किसानों का राष्ट्रव्यापी “जेल भरो” आन्दोलन

पुरुषोत्तम शर्मा

साम्राज्यवाद विरोधी ‘भारत छोड़ो दिवस’ के मौके पर 9 अगस्त 2018 को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ देश भर के किसानों का जोशीला ‘जेल भरो आंदोलन’ सफल रहा.  इस राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम में देश भर में लाखों किसान सड़क पर उतरे. किसानों के इस राष्ट्रव्यापी जेल भरो आंदोलन का आह्वान अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान सभा ने किया था. यह पहला ऐसा मौका है जब देश भर में किसानों के सवाल पर इतने व्यापक पैमाने पर ‘जेल भरो’ और विरोध कार्यक्रम हुआ है.

देश के लगभग 450 जिलों में अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान सभा ने लाखों किसानों को सड़क पर उतारा और ‘जेल भरो’ कार्यक्रम सम्पन्न किया. किसानों की पूर्ण कर्ज मुक्ति, उपज की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने और भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने के साथ ही बटाईदार किसानों को किसान का दर्जा देने जैसी किसानों की मांगों पर देशव्यापी जेल-भरो कार्यक्रम के तहत लगभग हर राज्य में हजारों किसानों ने गिरफ्तारी दी. वामपंथ के इन दोनों प्रमुख किसान संगठनों के अलावा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े कुछ अन्य किसान संगठनों ने भी मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ उस दिन विरोध कार्यक्रम लिए.

 

किसान महासभा की राज्य इकाइयां और जिला व ब्लाक इकाइयों ने इस अभियान को सफल बनाने में कड़ी मेहनत की. अस्वस्थता के कारण स्वयं कार्यक्रम में न पहुँच पाए किसान महासभा के  राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह ने कार्यक्रम को सजाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कई जगहों में जहां किसान महासभा का ढांचा नहीं था वहाँ भाकपा (माले) की स्थानीय इकाईयों, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा और प्रगतिशील महिला एशोसिएशन की इकाइयों ने किसानों की मांगों के समर्थन में जेल भरो कार्यक्रम किया.

औरंगाबाद के दाउद नगर में किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने जेल भरो आन्दोलन में आए किसानों से कहा कि आज देश में कृषि संकट के कारण किसान आत्महत्याएं करने के लिए मजबूर हैं. मोदी राज में किसानों से धोखा किया गया है. भाजपा की मोदी सरकार ने अपने चुनावी वायदे के अनुसार न तो बटाईदारों सहित किसानों को कर्ज मुक्त किया, न किसानों को उनकी फसलों की लागत का ड्यौढ़ा मूल्य दिया. किसान लंबे समय से लड़ रहे हैं लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. उलटे कृषि योग्य जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. इस सरकार ने राज्य स्तर पर भूमि अधिग्रहण कानूनों में बदलाव करा कर 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों को मिले हकों को भी बेमानी बना दिया है.  बिहार राज्य में सुखाड़ व बाढ़ की स्थिति है पर कारपोरेट और बड़े पूंजीपतियों की सेवा में लगी नीतीश मोदी की सरकार ने किसानों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया है .

उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम के जरिए हम एक बार फिर केंद्र सरकार को चेतावनी भेजते हैं. यदि वह हमारी मांगों पर अविलंब कार्रवाई नहीं करती तो हम और जोरदार आंदोलन करेंगे.

इस देशव्यापी जेल भरो कार्यक्रम के तहत बिहार में हजारों बटाईदारों व किसानों ने गिरफ्तारी दी. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी और अनुमंडलाधिकारी के माध्यम से किसानों की मांगों का मांग पत्र दिया गया.

मांग पत्र में बटाईदारों समेत सभी किसानों की संपूर्ण कर्जे से मुक्ति, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर फसलों की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने, गरीबों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ने पर रोक लगाने, बंद पड़े नलकूपों को चालू करने, सिंचाई का समुचित प्रबंध करने, आवारा और जंगली पशुओं से फसलों की सुरक्षा की गारंटी देने आदि मांगें शामिल हैं.

इस दिन पटना ग्रामीण के मसौढ़ी और पालीगंज, बैसाली, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, दरभंगा, दाउदनगर, हाजीपुर, पूर्णिया, बेगूसराय, भागलपुर, जहानाबाद, अरवल, सीवान, मोतिहारी, बेतिया, समस्तीपुर, जमुई, नालंदा, हिलसा, नबादा, बक्सर, दरभंगा, बिहार शरीफ, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चम्पारण, अररिया, गोपालगंज, मधुबनी, गया आदि स्थानों पर किसान महासभा के हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी.

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, बाँकुड़ा, कलना-वर्धमान, चुरचुरा-हुगली, कृष्णानगर-नदिया, बारासात-नार्थ 24 परगना, हाबड़ा, साउथ 24 परगना, मुर्सीदाबाद, नार्थ दीनाजपुर और साउथ दीनाजपुर में किसान महासभा के नेतृत्व में हजारों किसानों ने गिरफ्तारी दी. सिलीगुड़ी में किसान सभा और चायबागान मजदूरों के साथ संयुक्त कार्यक्रम हुआ. त्रिपुरा में धरम नगर, कोयाला शहर, गोमती, साउथ त्रिपुरा, उदयपुर और अगरतला में जेल भरो कार्यक्रम हुए.

अगरतला में किसान सभा के साथ संयुंक्त कार्यक्रम हुआ. उदयपुर में भाजपा के गुंडों ने एक बार फिर हमारे जुलूस में जा रहे कामरेडों पर हमला कर उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाया.  राजस्थान में झुंझुनू, खेतड़ी, बुहाना, उदयपुर, सलुम्बर और प्रतापगढ़ जिले के पीपलखूंट में किसान महासभा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ भाकपा (माले) के नेताओं ने भी गिरफ्तारी दी और विरोध कार्यक्रम किए. झुंझुनू में किसान सभा और सेखावटी संगठन के साथ संयुक्त कार्यक्रम हुआ. असम के डिब्रूगढ़ में किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी.

पंजाब के मानसा, संगरूर, बरनाला, भटिंडा, फरीदकोट, गुरुदासपुर और लुधियाना में किसान महासभा और उसके घटक संगठन पंजाब किसान यूनियन एकता के बैनर तले हजारों किसानों ने जेल भरो कार्यक्रम में हिस्सा लिया. लुधियाना में एक और साझा कार्यक्रम के तहत किसानों का कन्वेंशन हुआ जिसमें हमारी भी भागीदारी थी.

महाराष्ट्र के अहमद नगर और साकुरी जिलों में किसान महासभा के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में किसान जेल भरो आन्दोलन के तहत सड़क पर उतरे और जेल भेजे जाने की मांग करने लगे. इसी तरह हरियाणा के करनाल में किसान महासभा के नेतृत्व में सैकड़ों किसान जेल भरो कार्यक्रम के तहत सड़क पर उतरे और प्रधानमंत्री का पुतला जला कर जेल भेजे जाने की मांग करने लगे. मगर इन तीनों जगहों पर पुलिस आन्दोलनकारी किसानों को गिरफ्तार करने के बजाए भाग खड़ी हुई.

उत्तर प्रदेश में गाजीपुर, चंदोली, मिर्जापुर, लखीमपुर खीरी, फैजाबाद, देवरिया, बांदा, जालोन, बलिया, सीतापुर, भदोही, मऊ, रायबरेली, सोनभद्र, मथुरा, लखनऊ, पीलीभीत, मुरादाबाद, आजमगढ़ और गोरखपुर में हजारों किसानों ने किसान महासभा के बैनर तले जेल भरो कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

उडीसा में भुवनेश्वर और गुनुपुर के रायगढ़ा में सैकड़ों किसानों ने किसान महासभा के बैनर तले गिरफ्तारी दी. झारखंड में कोडरमा, रामगढ़, गिरिडीह, बगोदर, सरिया, बिरली, राजधनवार, गामा, तीसरी, जमुआं, गढ़वा, बरकटा, द्यूरी, झुमरी, पलामू में किसान महासभा के बैनर तले हजारों किसानों ने जेल भरो कार्यक्रम में हिस्सा लिया. कई जगह भाकपा (माले) के कार्यकर्ताओं ने भी किसानों की मांगों के समर्थन में गिरफ्तारी दी.

आंध्र प्रदेश में ईस्ट गोदावरी जिले के मंगलागिरी और गुंटूर जिले के काकीनाडा में सैकड़ों किसानों ने किसान महासभा के बैनर तले जेल भरो कार्यक्रम में हिस्सा लिया. कार्यक्रम में शामिल हुए भाकपा (माले), अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा और प्रगतिशील महिला एशोसियेशन के कार्यकर्ता भी किसानों के समर्थन में जेल गए.

9 अगस्त को अखिल भारतीय किसान महासभा के “जेल भरो” आन्दोलन के साथ ही अखिल भारतीय किसान सभा ने भी देश भर में जेल भरो अभियान संगठित किया. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार किसान सभा के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में किसान जेल भरो आन्दोलन में उतरे. उत्तराखंड के रुद्रपुर में तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजेंद्र सिंह विर्क के नेतृत्व में सैकड़ों किसान वाम किसान संगठनों के साझा जेल भरो कार्यक्रम में उतरे. ऐसा ही एक संयुक्त कार्यक्रम देहरादून में भी हुआ जिसमें बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर उतरे.

इलाहाबाद में एआईकेएमएस के नेतृत्व में सैकड़ों किसान सड़क पर उतरे. 9 अगस्त के राष्ट्रव्यापी “जेल भरो” आन्दोलन में देश भर में उतरे किसानों के सैलाब और जोश ने देश की राजनीति में किसानों के ऐजेंडे को स्थापित करने में  बड़ी भूमिका निभाई है.  यह कार्यक्रम देश में चल रहे वर्तमान किसान आन्दोलन को दिशा देने में वामपंथ के सशक्त हस्तेक्षेप का भी बेहतर प्रदर्शन साबित हुआ है. हमें वर्तमान कृषि संकट के दौर में उपजे देशव्यापी किसान आन्दोलन में तमान आंदोलनरत किसान संगठनों के साथ  संयुक्त कार्यवाहियों को बढ़ाना होगा. साथ ही अपनी स्वतंत्र पहलकदमियों के जरिये भी किसान आन्दोलन में वामपंथ की लाल पताका को बुलंद करना होगा.

[author] [author_image timthumb=’on’][/author_image] [author_info]लेखक अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव और विप्लवी किसान संदेश पत्रिका के सम्पादक हैं [/author_info] [/author]

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