समकालीन जनमत

Category : कविता

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नये मगध में : न्यू इंडिया का साहित्यिक तर्जुमा

सुशील मानव
 जब कुछ नयी निर्मित्ति होती है, कुछ नया रचा जाता है तो वो पुरातन की समृद्ध परंपरा, संस्कृति व स्मृतियों से जुड़कर, अपनी नव्यता को...
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डोरियन लाउ की कविताएँ मानवता के अंतर्विरोधों को रेखांकित करती हैं

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रंजना मिश्र 10 जनवरी, 1952 को जन्मी डोरियन लाउ/ लॉक्स के अब तक छह कविता संग्रह प्रकाशित हैं।  वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑर्गोन में रचनात्मक लेखन...
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वंदना मिश्रा की कविताएँ स्त्री जीवन की जटिलताओं को उकेरती हैं

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अमरजीत कौंके हिंदी की समकालीन स्त्री कविता में वंदना मिश्रा एक महत्वपूर्ण नाम है .उनकी कविताएँ समकालीन समाज के संकटों और विसंगतियों को अपने कलेवर...
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प्रतिभा चौहान की कविताएँ प्रकृति और सृष्टि की पक्षधरता का विमर्श हैं

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शिरोमणि महतो सुपरिचित कवयित्री प्रतिभा चौहान की कविताएँ हिन्दी के वैविध्यपूर्ण साहित्यिक संसार में एक अलग स्थान रखती हैं। यूँ तो अनेक विषयों पर कविताएँ...
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देवव्रत डंगवाल की कविताएँ प्रतिरोध और उम्मीद की खोज हैं

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विपिन चौधरी युवावस्था मनुष्य के जीवन की सबसे बेचैन अवस्था है. इसी दौर में भी प्रतिरोध के स्वर अधिक तेज़ होने लगते हैं और नकार...
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अमरजीत कौंके की कविताओं में आम आदमी का जीवन और संघर्ष प्रमुखता से झलकता है।

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निरंजन श्रोत्रिय अमरजीत कौंके मूलतः पंजाबी भाषा के कवि हैं। उन्होंने पंजाबी-हिन्दी के बीच अनुवाद की महत्वपूर्ण आवाजाही की है। इन सबके साथ वे हिन्दी...
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सरिता संधू की कविताएँ व्यवस्था की आँखों में झाँकती संवेदनाएँ हैं

हीरालाल राजस्थानी सरिता संधू पिछले दो सालों से दलित लेखक संघ से जुड़ी हुई हैं। उनकी विशेषता है कि संगठन के प्रति अपने कर्तव्यों का...
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फ़रीद इस समय की कविता के प्रखर स्वर हैं : आलोक धन्वा

पटना। “फ़रीद इस समय की कविता के प्रखर स्वर हैं। इधर अच्छी कविताएँ लिखीं जा रहीं हैं, कविताएँ लिखी जानी चाहिए। ये कविताएँ सामने आ...
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आनंद बहादुर की कविताएँ जीवन की अंतर्यात्रा को उकेरती हैं

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विनय सौरभ   नहीं होने ने जो थोड़ी सी जगह खाली की है वह मैं हूँ एक दिन नहीं होना किसी जगह से आएगा और...
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पुरू मालव की कविताएँ एक आत्मीय आग्रह के साथ बड़े सवालों पर बात करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवि पुरू मालव की आसान-सी दिखने वाली ये कविताएँ हमारे भीतर एक फोर्स के साथ खुलती हैं। वह चाहे विस्थापन का...
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मोहन कुमार डहेरिया की कविताएँ व्यक्तिगत और सामूहिक अभिव्यक्ति को सशक्त और बेचैन होकर ज़ाहिर करती हैं

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पीयूष कुमार आत्मा के पेड़ पर बैठा कवि मोहन कुमार डहेरिया की कविताओं में मनुष्यविरोधी समय का अतियथार्थ अपनी विकलताओं और भावसघनाओं के साथ आता...
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जोगेन चौधुरी की कविताएँ चित्रकला सा वितान रचती हैं

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मीता दास मैंने ‘उजाले और अँधेरे में एक फूल’  नाम से एक पुस्तक का अनुवाद किया जिसमें शीर्षस्थ समकालीन भारतीय कलाकार जोगेन चौधरी की मूल...
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विमल किशोर की कविताओं में स्त्री मुक्ति की आकांक्षा – उषा राय

लखनऊ। लखनऊ पुस्तक मेले में , 18 मार्च को विमल किशोर के कविता संग्रह ‘पंख खोलूं उड़ चलूं’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन...
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अनिल अनलहातु की कविताएँ हमारी हताशा और जिजीविषा का अन्तर्द्वन्द्व हैं

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प्रभात मिलिंद अनिल अनलहातु हमारे समय के विरल और अनिवार्य कवि हैं. कविताओं में वक्रोक्तियों का कारुणिक प्रयोग कैसे संभव हो सकता है, व्यंग्य में...
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रूपम मिश्र का कविता पाठ : कविता जीवन के आवेग से पैदा होती है

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इलाहाबाद। जन संस्कृति मंच, इलाहाबाद द्वारा तीन मार्च को मेयो हाॅल के पास स्थित अंजुमन-रूह-ए-अदब के हॉल में कविता पाठ और परिचर्चा का आयोजन हुआ।...
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शिरोमणि महतो की कविताओं की प्रकृति देशज है।

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवि शिरोमणि महतो की इन कविताओं में भाषा और अनुभवों की ताजगी साफ देखी जा सकती है। इन कविताओं मे कवि ने...
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उर्मिल मोंगा की कविताएँ स्वप्न और उम्मीद जगाती हैं

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कौशल किशोर कहा जाता है कि मानवीय दर्द का एहसास व अनुभूति तथा मुक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति ही आज की कविता है। भाव, विचार व...
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यूनुस ख़ान की कविताएँ जीवन और समय की जटिलताओं को दर्ज करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय सरलता का शिल्प सबसे जटिल होता है। जीवन और समय की जटिलताओं को कविता के जटिल शिल्प में ढाल देना एक रूपान्तरण हो...
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बोधिसत्व की कविताएँ सच सरेआम कहने के हुनर का शिल्प हैं

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भरत प्रसाद बोधिसत्व की पहचान 90 के दशक के प्रमुख कवि के तौर पर बनी, जो आजतक कायम है। हम जो नदियों का संगम हैं-2002...
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सुनीता ‘अबाबील’ की कविताएँ स्त्री पीड़ा की अंतर यात्रा हैं

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हीरालाल राजस्थानी बेशक ही दलित व हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श को स्थान मिलता रहा है। खासतौर पर कविता विधा में, जहाँ शुरुआती दौर में...
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