समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

साहित्य-संस्कृति

कवियों के कवि शमशेर की ऐलम में याद

संजय जोशी
कवि शमशेर बहादुर सिंह के 114 वें जन्मदिन पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित एलम में नौजवान भारत सभा, जन संस्कृति मंच...
पुस्तक

पिकेटी का हालिया चिंतन और समाजवाद का सपना

गोपाल प्रधान
2021 में येल यूनिवर्सिटी प्रेस से थामस पिकेटी की फ़्रांसिसी में 2020 में छपी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘टाइम फ़ार सोशलिज्म: डिसपैचेज फ़्राम ए वर्ल्ड...
कविता

सीमा सिंह की कविताएँ समय की चमकदार जकड़बंदियों से टकराती हैं

शालिनी सिंह सीमा सिंह की कविताओं में प्रवेश के लिए आपको पूर्वाग्रह के समस्त पैरहन उतार कर आना होगा क्योंकि ये कविताएँ हमारे समय के...
स्मृति

पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे चित्रकार राजकुमार सिंह

समकालीन जनमत
भूपेन्द्र कुमार अस्थाना   कहते हैं कि एक अच्छा कलाकार वही बन सकता है जो एक अच्छा इंसान बन कर जीता है, लोगों के दुख...
कविता

आशुतोष कुमार की कविताएँ समय के व्यर्थताबोध से आगे बढ़ने का हौसला हैं

समकालीन जनमत
चंद्रभूषण अयोध्या यह चिट्ठी पढ़े न पढ़े, आप तो पढ़ें .. आज जब अयोध्या में रामलला का मंदिर ‘वहीं’, ‘उसी जगह’, एक राष्ट्रव्यापी हंगामे से...
पुस्तक

पूंजीवाद की दुनिया और उसकी कार्यपद्धति

गोपाल प्रधान
2022 में वर्सो से विवेक छिब्बर की किताब ‘कनफ़्रंटिंग कैपिटलिज्म: हाउ द वर्ल्ड वर्क्स ऐंड हाउ टु चेंज इट’ का प्रकाशन हुआ । लेखक का...
कविता

अरविंद पासवान की कविताएँ साफगोई का सौंदर्य हैं

समकालीन जनमत
श्रीधर करुणानिधि सरलता का अपना सौंदर्य होता है। निश्छल हृदय की बातें और भोली उन्मुक्त हँसी बरबस ध्यान खींच लेती हैं। जब चारों ओर कोलाहल...
पुस्तक

कोमिंटर्न के इतिहास का खाका

1996 में मैकमिलन प्रेस से केविन मैकडर्मट और जेरेमी एग्न्यू की किताब ‘द कोमिंटर्न: ए हिस्ट्री आफ़ इंटरनेशनल कम्युनिज्म फ़्राम लेनिन टु स्तालिन’ का प्रकाशन...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति

अलविदा कामरेड मीना राय : सहजता और कर्मठता विचार से आती है और संघर्षों में हासिल होती है

के के पांडेय
17 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद का अंजुमन रूहे अदब जो इलाहाबाद के हिंदी उर्दू अदब के न जाने कितने जलसों का गवाह रहा है लेकिन...
कविता

कविता नए दुखों की पहचान करती है- आशुतोष कुमार

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। सिद्धांत फाउंडेशन द्वारा 23 दिसंबर को दिल्ली में वल्लभ के काव्य-संकलन ‘पोतराज’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वरिष्ठ आलोचक आशुतोष...
संस्मरण

जोश मलीहाबादी की आत्मकथा “यादों की बारात” से पंडित जवाहर लाल नेहरू

समकालीन जनमत
यह अंश उर्दू शायर जोश मलीहाबादी की आत्मकथा “यादों की बरात” से लिया गया है। जोश मलीहाबादी का जन्म 5 दिसंबर 1898 में लखनऊ के...
पुस्तक

कोमिंटर्न और स्त्री आंदोलन

गोपाल प्रधान
2023 में ब्रिल से माइक ताबेर और दारिया द्याकोनोवा के संपादन में ‘द कम्युनिस्ट वीमेन’स मूवमेंट, 1920-1922: प्रोसीडिंग्स, रेजोल्यूशंस, ऐंड रिपोर्ट्स’ का प्रकाशन हुआ ।...
कविता

ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ सिस्टम की मार सहते नागरिक की आवाज़ हैं

उमा राग
मेहजबीं ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ अपने वर्तमान समय का दस्तावेज़ हैं। उनकी कविता के केन्द्र में आम लोग हैं, मतदाता हैं, बूढ़े हैं, बच्चे हैं,...
साहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखनः राष्ट्र निर्माण और हिंदू-मुस्लिम एकता का सवाल

दुर्गा सिंह
निराला ने रचनात्मक साहित्य के साथ साहित्यिक पत्रकारिता भी की है। अपने समय में प्रेमचंद के अलावा निराला ही थे, जो रचनात्मक साहित्य और साहित्यिक...
स्मृति

मीना राय का साधारण जीवन असाधारणता का उदाहरण – वंदना मिश्र

सियाराम शर्मा
लखनऊ। ‘समकालीन जनमत’ की प्रबंध संपादक और जसम उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष कामरेड मीना राय का अचानक जाना उनके साथ के लोगों को नि:शब्द कर...
स्मृति

‘समकालीन जनमत’ की प्रबंध संपादक मीना राय नहीं रहीं

कौशल किशोर
उनमें गोर्की की ‘माँ’ का रूप दिखता है    ‘समकालीन जनमत’ की प्रबंध संपादक, जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा हम सब...
कहानी

व्यक्ति और समाज की मानसिक बुनावट को सामने लाती है फरजाना महदी की कहानी ‘ उल्टा जमाना ’

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से 19 नवंबर को आयोजित कहानी पाठ कार्यक्रम में युवा कथाकार फ़रज़ाना महदी ने ‘हंस’ के नवम्बर अंक...

हाशिये के यथार्थ को व्यक्त करती कहानियाँ

समकालीन जनमत
रामनरेश राम  लालबहादुर जी से मेरा परिचय तब हुआ जब 2019 में विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुआ . शुरू...
कहानी

डॉ इशरत नाहीद की कहानियां वर्तमान समाज का आईना – डॉ. वज़ाहत हुसैन रिज़वी

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से एकेडमी ऑफ़ मास कम्युनिकेशन कैसर बाग, लखनऊ में महफ़िल ए अफसाना का आयोजन किया गया जिसमें कहानीकार डॉ....
कहानी

सदय के कहानी-संग्रह ‘ मनसा ‘ प कुछ बात 

बलभद्र
किताब चाहे कवनो भाषा के होखे, पढ़े के जरूरत हमेशा बनल रहेला। जब जब पढ़ल जाई, कुछ ना कुछ बात जरूर कहे जोग निकल आई।...
Fearlessly expressing peoples opinion