समकालीन जनमत

Author : प्रेमशंकर सिंह

6 Posts - 0 Comments
कविता

देश और कविता : संदर्भ गोरख पाण्डेय की कविता ‘उठो मेरे देश’

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता और जनांदोलनों की जब भी बात उठती है तो गोरख पांडेय का नाम अनिवार्य रूप से जुड़ जाता है, पर यह दुर्भाग्य...
शख्सियत

ये हमने कैसा समाज रच डाला है?

प्रेमशंकर सिंह
(हिंदी के महत्वपूर्ण कवि वीरेन डंगवाल का आज जन्मदिन है। वह आज हमारे बीच होते तो 73 बरस के होते। वीरेन डंगवाल के जन्मदिन पर...
कविता

बृजराज सिंह की कविता आधे के इनकार की कविता है

यूँ तो कविता का काम बहुधा व्यंजना से चलता है पर कविता को अभिधा से भी बहुत परहेज नहीं रहा है. आधुनिक कविता के लिए...
जनमतस्मृति

प्रेमचंद और अक्तूबर क्रांति

साम्राज्यवाद-उपनिवेशवाद विरोधी रवैये का एक निरंतरता में अनुपालन जितना प्रेमचंद के यहाँ दीखता है, वैसा हिंदी के किसी और लेखक में नहीं. असंख्य मजदूर, किसान,...
स्मृति

काल से होड़ लेता प्रेम और मुक्ति का कवि

शमशेर जी की एक कविता है 'काल तुझसे होड़ है मेरी'। जिन्हें यह यकीन हो कि मनुष्य अपने श्रम और संघर्ष से काल के प्रवाह...
साहित्य-संस्कृति

लोक और जन की आवाज़: त्रिलोचन और मुक्तिबोध

मिथिला विश्वविद्यालय  में मुक्तिबोध-त्रिलोचन जन्म शताब्दी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने मुक्तिबोध त्रिलोचन जन्मशताब्दी के अवसर पर दो दिवसीय...
Fearlessly expressing peoples opinion