समकालीन जनमत

Day : June 25, 2018

कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

‘समय है सम्भावना का’ : सत्ता के मौन की पहचान है

राम नरेश राम
जगदीश पंकज जी का कविता संग्रह ‘समय है सम्भावना का’ इसी वर्ष आया है. जगदीश पंकज जी नवगीतकार हैं. दलित साहित्य में नवगीत की कोई...
कविता

महेश्वर स्मृति आयोजन में युवा कवि अदनान कफ़ील दरवेश और विहाग वैभव का काव्य पाठ

समकालीन जनमत
महेश्वर चाहते थे कि कवि-लेखकों और जनता के बीच कम से कम दूरी हो: आलोक धन्वा महेश्वर की लड़ाई को आगे बढ़ाने की जरूरत है:...
ख़बर

मोदी दोबारा सत्ता में नहीं आने वाले – राकेश सिंघा

कामरेड राकेश सिंघा का कहना था कि हिमांचल में वामपंथ आगे बढ़ सकता है तो देश के दूसरे हिस्से में भी यह संभव है। वित्तीय...
जनमतशख्सियत

खैनी खिलाओ न यार! /उर्फ / मौत से चुहल (सखा, सहचर, सहकर्मी, कामरेड महेश्वर की एक याद)

रामजी राय
अपने प्रियतर लोगों- कृष्णप्रताप (के.पी.), गोरख, कामरेड विनोद मिश्र, महेश्वर पर चाहते हुए भी आज तक कुछ नहीं लिख सका। पता नहीं क्यों? इसकी वज़ह...
इतिहास

उनसे झुकने को कहा गया वो रेंगने लग गए

शालिनी बाजपेयी
मार्च 1971 में हुए चौथी लोकसभा के चुनाव अपने आप में खासे महत्वपूर्ण थे। कांग्रेस इंदिरामयी हो चुकी थी। तब मार्गदर्शक-मण्डल शब्द तो गढ़ा नहीं...
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