समकालीन जनमत
साहित्य-संस्कृतिस्मृति

सुशील सिद्धार्थ के अन्दर सृजन की बहती नदी थी जिसे बाहर आना बाकी था

कौशल किशोर
 
सुशील सिद्धार्थ का जाना दुखद, बेहद दुखद। अविश्वसनीय सा, सदमे से भरा। हम सभी स्तब्ध हैं इसलिए कि यह कोई जाने की उम्र नहीं थी। वे साहित्य के मार्चे पर बड़ी मजबूती से डटे थे। उनका जन्म 2 जुलाई 1958 को सीतापुर, उत्तर प्रदेश के एक  गांव में हुआ। साहित्य यात्रा का आरम्भ उन्होंने छात्र जीवन से किया। लखनऊ विश्वविद्यालय से अपने मित्रों के साथ मिलकर एक पत्रिका की शुरुआत की। यह अस्सी का दशक रहा होगा। कई विधाओं में उन्होंने सृजन किया।
कविताएं, आलोचना, व्यंग्य, संपादन आदि के क्षेत्र में किए उनके अवदान को कतई भुलाया नहीं जा सकता। श्रीलाल शुक्ल संचयिता,  मेरे साक्षात्कार : शिवमूर्ति, मेरे साक्षात्कार : मन्नू भंडारी, दस प्रतिनिधि कहानियाँ : उषाकिरण खान, दस प्रतिनिधि कहानियाँ : ऋता शुक्ल, दस प्रतिनिधि कहानियाँ : उषा प्रियंवदा, दस प्रतिनिधि कहानियाँ : चित्रा मुद्गल, मैत्रेयी पुष्पा : रचना संचयन दर्जन भर पुस्तकों का संपादन किया। खास बात कि उनके दोनों काव्य संग्रह अवधी कविताओं के हैं।
कार्यक्रमों के संचालन का उनमें जो कौशल था, उसके हम कायल रहे हैं। बीते साल लखनऊ में आयोजित ‘कथाक्रम’ के दूसरे सत्र का संचालन उन्होंने किया था। कई पत्रिकाओं में वे कॉलम लिख रहे थे। संप्रति वे किताब घर प्रकाशन में संपादक थे। उनके जाने से सब पर जैसे विराम लग गया।
सुशील सिद्धार्थ ने व्यंग्य विधा में जिस तरह सृजन किया, उससे इस विधा को नया आयाम मिला। उनकी व्यंग्य रचनाओं में सामजिक विसंगतियां, विद्रूपताओं के उदघाटन के द्वारा मौजूदा व्यवस्था पर कारारा चोट है। वे प्रतिपक्ष रचते हैं। उनके ‘नारद की चिंन्ता’ सामज को बेहतर रचने की ही चिन्ता है। इस व्यवस्था की आलोचना करते हुए उन्होंने ‘मालिश पुराण’ रच डाला।
उनके अन्दर सृजन की बहती नदी थी जिसे बाहर आना बाकी  था। हम सब को, पाठकों को उससे रू ब रू होना था। पर असमय निधन से साहित्य समाज वंचित रह गया। यह आहत कर देने वाली घटना है। उनका निधन साहित्य व समाज के लिए बड़ी क्षति है। जन संस्कृति मंच की ओर से ऐसे संभावनाओं से भरे रचनाकार को विनम्र श्रद्धांजलि। उनके परिवार के लिए यह किसी बज्रपात से कम नहीं है। उन्हें इस दुख को सहने और उससे उबरने की शक्ति मिले। इस दुख की घड़ी में हम सब उनके साथ हैं।
[author] [author_image timthumb=’on’][/author_image] [author_info]वरिष्ठ कवि कौशल किशोर जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हैं [/author_info] [/author]

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