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सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा के तीन विधायकों के खिलाफ दो केस वापस

अभियोजन पक्ष की केस वापसी की अर्जी सीजेएम कोर्ट ने स्वीकार की
वर्ष 2004 और 2005 में निषेधाज्ञा उल्लंघन के दो केस दर्ज हुए थे योगी आदित्यनाथ पर

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सीएम योगी आदित्यनाथ और तीन भाजपा विधायकों के खिलाफ सिद्धार्थनगर जिले में निषेधाज्ञा के उल्लंघन के दो केस वापस ले लिए हैं. अभियोजन पक्ष द्वारा केस वापस लेने की अर्जी पद सीजेएम अदालत ने 20 फरवरी को मान लिया। इस तरह दोनों मामलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के तीन विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह, श्याम धनी राही और शीतल पांडेय के  खिलाफ यह मुकदमा समाप्त हो गया.
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह दूसरा केस है जिसको वापस लिया गया है। इसके पहले गोरखपुर जिले के पीपीगंज थाने में दर्ज केस को प्रदेश सरकार ने वापस ले लिया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने राजनैतिक मुकदमों को वापस लेने का एलान किया था.
सिद्धार्थनगर जिले के जिन दो मामलों को प्रदेश सरकार ने वापस लिया हैं वे वर्ष 2004 और 2005 के हैं. वर्ष 2004 में सिद्धार्थनगर जिले के मोहाना थाना क्षेत्र में दो लोगों की हत्या हो गई थी. हत्या की घटना से उत्पन्न तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा रखी थी. इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ ने यहां सभा की. तब डुमरियागंज के एसडीएम ने योगी आदित्यनाथ, पूर्व मंत्री धनराज यादव, पूर्व विधायक रामरेखा यादव व स्वंयवर , हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, हिन्दू युवा वाहिनी के नेता श्यामधनी राही और गोरखपुर के भाजपा नेता शीतल पांडेय के खिलाफ निषेधाज्ञा उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था.

इसी तरह का एक और केस इटवा थाना क्षेत्र के सहरिया में धारा 144 लागू होने के बावजूद हिन्दू सम्मेलन करने पर उपरोक्त लोगों के खिलाफ 2005 में इटवा के थानेदार द्वारा दर्ज कराया गया था.

ये दोनों केस जब दर्ज हुए तो प्रदेश मुलायम सिंह यादव की सरकार थी.

इस वर्ष जनवरी माह में दोनों केस प्रदेश सरकार ने वापस ले लिया. जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था उसमें से पूर्व मंत्री धनराज यादव, रामरेखा यादव व स्वंयवर चौधरी का निधन हो चुका है जबकि राघवेन्द्र प्रताप सिंह डुमरियागंज, श्यामधनी राही कपिलवस्तु और शीतल पांडेय सहजनवां के विधायक बन चुके हैं।.
मंगलवार को अभियोजन अधिकारी ने सीजेएम कोर्ट में केस वापसी की अर्जी दी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

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