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अपनी कथाओं में बाहरी दर्शक नहीं, खुद भी सम्मिलित हैं अमरकांत : प्रो राजेन्द्र कुमार

कथाकार अमरकान्त की स्मृति में सेंट जोसेफ़ में कार्यक्रम

इलाहाबाद,  17 फरवरी. आज सेंट जोसेफ़ स्कूल के होगेन हॉल में जसम, जलेस, प्रलेस, परिवेश और अभिव्यक्ति की ओर से कथाकार अमरकान्त की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर  ‘समकालीन चुनौती’ और ‘स्मृति में अमरकान्त’ पत्रिकाओं का अमरकान्त पर केंद्रित विशेषांक का विमोचन रविकिरण जैन, प्रो राजेन्द्र कुमार, सुधीर, अशोक सिद्धार्थ, अनीता गोपेश, रमेश ग्रोवर और शिवानंद ने किया.
इस अवसर पर नीलम शंकर ने अमरकान्त की अप्रकाशित कहानी ‘साड़ियाँ’ और अरविंद बिंदु ने उनके अप्रकाशित उपन्यास ‘ खबर का सूरज’ से एक अंश का पाठ किया .

अमरकान्त के उपन्यास ‘सुन्नर पांडे की पतोहू’ पर बोलते हुए डॉ प्रणय कृष्ण ने कहा कि यह उपन्यास स्त्री मुक्ति की ज़मीन को तलाशता है. राजलक्ष्मी के सुन्नर पांडे की पतोहू बनने का क्रम उच्च कुल ब्राह्मण के वर्गान्तरण का इतिहास है.
अमरकान्त की फकीराना जिंदगी, उनकी सरलता सहजता, उनकी जिंदगी के संघर्षों को प्रो. अली अहमद फातमी ने अपने संस्मरणों के माध्यम से याद किया ।
इस मौके पर अमरकान्त जी की बहू रीता वर्मा ने अपनी यादें साझा कीं .


‘सूखा पत्ता’ उपन्यास पर बातचीत करते हुए शिवानंद ने उनकी कहन और व्यंग्य शैली को याद किया जो पात्रों के मनोविज्ञान को बहुत बारीकी से समझते और अभिव्यक्त करते थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि, आलोचक, संपादक राजेंद्र कुमार ने अमरकान्त जी, भैरव प्रसाद गुप्त आदि से जुड़े रोचक संस्मरण सुनाए. उन्होंने कहा कि अमरकान्त की रचना भूमि बलिया है. वे अपनी कथाओं में खुद भी सम्मिलित हैं, बाहरी दर्शक या आउटसाइडर नहीं हैं . संघर्षों में सीधे सम्मिलित और रचनात्मक हस्तक्षेप करते हैं. ‘इन्हीं हथियारों से’ उपन्यास पर बोलते हुए राजेन्द्र जी ने कहा कि यह किसी एक नायक का नहीं बल्कि कोटि जनों के संघर्ष की गाथा है .

इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और जनसमुदाय का डॉ. मनोज सिंह ने स्वागत किया . कार्यक्रम का संचालन कवि, संपादक संतोष चतुर्वेदी ने किया. आभार ज्ञापन जलेस के अध्यक्ष रामप्यारे राय ने किया. इस मौके पर समस्तीपुर से आए समकालीन चुनौती के संपादक सुरेंद्र सुमन, अशरफ अली बेग, प्रो अनीता गोपेश, कवि हरिश्चंद्र पांडे, परिवेश के संयोजक विष्णु प्रभाकर, प्रो विवेक तिवारी, हरिश्चन्द्र द्विवेदी आदि उपस्थित रहे .

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