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निर्जन द्वीप में संगीत: स्टीफन हॉकिंग का एक साक्षात्कार

(महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का आज 76 साल की उम्र में निधन हो गया । यहां प्रस्तुत है उनका एक इंटरव्यू जो पहल में प्रकाशित हो चुका है.)

प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग का प्रस्तुत इंटरव्यू उनकी किताब black holes and baby universes and other essays से साभार लिया गया है. बैंटम बुक्स प्रकाशन से ये किताब 1993 में प्रकाशित हुई थी.- शिवप्रसाद जोशी, अनुवादक.

समय का संक्षिप्त इतिहास, ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ जैसी लोकप्रिय प्रसिद्ध किताब से स्टीफन हॉकिंग दुनिया भर में एक जाना पहचाना नाम कई साल पहले बन गए थे. 1993 में दूसरी किताब ‘ब्लैक होल्स एंड बेबी यूनिवर्सेस’ के बाद 2001 में उनकी किताब आयी ‘द यूनिवर्स इन अ नटशैल.’ और इसने भी तहलका मचा दिया. रिकॉर्ड बिक्री है. आठ जनवरी 1942 को जन्मे हॉकिंग युवा दिनों में एक घातक बीमारी की चपेट में आकर शारीरिक रूप से अपाहिज और बोलने या चलने फिरने में असमर्थ हो गये थे. उनके लिए एक ख़ास किस्म की चेयर तैयार की गयी जिस पर कई अत्याधुनिक उपकरणों के साथ कम्प्यूटर लगा था. हॉकिंग के कंप्यूटर को एक स्पीच सिंथेसाइज़र प्रणाली से जोड़ा गया था. हॉकिंग हाथ पर बंधे एक स्विच को संचालित कर कंप्यूटर स्क्रीन पर अंकित शब्दों के मेनू से एक एक कर शब्द चुनते (सिर या आंखों की मूवमेंट से भी शब्दों को चुना जा सकता है.) जब ये काम पूरा हो जाता है और हॉकिंग जो कहना चाहते वो निर्मित कर लेते तब वो उसे स्पीच सिंथेसाइज़र को भेज देते. वहां से फिर इस निराले विज्ञानी के विचार गूंजते थे. इस तरह एक अत्यंत घातक बीमारी एएलएस( amyotrophic lateral sclerosis-जिसे मल्टीपल स्कलेरोसिस यानी एमएस या मोटर न्यूरॉन डिज़ीज़) का मरीज़ और फिर न्यूमोनिया के एक घातक हमले के इलाज के दौरान आवाज़ गंवा चुका शख्स, चिकित्सा विज्ञान के दंभ को चिढ़ाता सबसे ज़्यादा चमत्कृत कर देने वाले विज्ञान यानी कॉस्मोलोजी की गुत्थियां सुलझाने में व्यस्त रहा. ये ज़िद इतनी इस्पाती थी कि डॉक्टरों के खारिज़ कर दिए जाने के बावजूद हॉकिंग न सिर्फ अच्छे भले हैं बल्कि उनके तीन बच्चे भी हैं.

बीबीसी रेडियो 4 के कार्यक्रम ‘डेजर्ट आईलैंड डिस्क्स’ का प्रसारण 1942 में शुरू हुआ था. और ये रेडियो पर सबसे लंबी अवधि तक बजने वाला रिकार्ड कार्यक्रम है. गिनीज़ बुक मे इसका नाम दर्ज है. अब इसकी स्थिति ब्रिटेन में राष्ट्रीय संस्थान जैसी है. मशहूर रेडियो प्रस्तोता, लेखक उपन्यासकार और नाटककार रॉय प्लोमले ने इसकी संकल्पना तैयार की थी. प्रोग्राम के सबसे पहले प्रेजेंटर वही थे. 1985 में प्लोमले के निधन के बाद माइकल पार्किन्सन ने इसे पेश किया. 1988 में ये ज़िम्मेदारी संभाली एक और मशहूर रेडियो पत्रकार स्यु लावले ने. वो 18 साल तक इसे पेश करती रहीं. स्टीफन हॉकिंग का प्रस्तुत साक्षात्कार उन्हीं का लिया हुआ है. अगस्त 2006 से उनकी जगह ली है युवा पत्रकार क्रिस्टी यंग ने.

कार्यक्रम के मेहमानों का दायरा बहुत फैला हुआ रहा है. प्रोग्राम के तहत कई लेखकों, कलाकारों संगीतकारों फिल्म अभिनेताओं निर्देशकों खेल की हस्तियों कामेडियनों रसोईयों बागवानो शिक्षकों नर्तकों नेताओं शाही घरानों के लोगों कार्टूनिस्टों और वैज्ञानिकों के साक्षात्कार लिए जा चुके हैं. इंटरव्यू में बातों बातों में ऐसा समां बांधा जाता है कहना चाहिए कि ऐसा निराला टॉकिंग एंबिएंस क्रिएट किया जाता है कि वो एक रेडियो स्टूडियो नहीं बल्कि साक्षात्कार के लिए बुलाए गए मेहमान के ख़्यालों की कोई जगह है. भौतिकी की हाइपरस्पेस जैसी कोई जगह. मेहमानों को पात्रों के रूप में लाया जाता है और उनसे पूछा जाता है कि अगर उन्हे किसी निर्जन द्वीप में अकेला छोड़ दिया जाए तो अपने साथ वे संगीत के कौन से आठ रिकॉर्डस ले जाना चाहेंगे. काल्पनिक रूप से एक ऐसी चीज़ भी विलासिता(लक्ज़री) के लिए ले जाने की छूट है जिसका जीवित वस्तु जगत से कोई संबंध न हो. बड़ी मात्रा मे शैम्पेन ले जाने की छूट भले ही हो !( ये भी काल्पनिक). साथ ले जाने के लिए उनकी पसंद की कोई किताब है( ये मान लिया गया है कि एक धार्मिक पुस्तक-कुरान या बाइबल या उसी स्तर का अन्य ग्रंथ-वहां पहले से है और इनके अलावा शेक्सपियर का समूचा काम तो है ही) ये कल्पना भी कर ली जाती है कि संगीत सुनने की व्यवस्था वहां उपलब्ध है. ये भी बताते चलें कि पिछले साठ साल में आए मेहमानों की पसंद के संगीत में बीटोफेन की नवीं सिंफनी का अंतिम चरण ‘द ओड ऑफ ज्वॉय’ रहा है.

जब ये कार्यक्रम पहले पहल शुरू हुआ था तो उन दिनों इसका परिचय देते हुए शुरूआत में कहा जाता था, ….. मान लें कि वहां एक ग्रामोफोन है और उसे चलाने के लिए अनगिनत मात्रा में सुईंया उपलब्ध हैं. अब, सौर ऊर्जा से चालित एक सीडी प्लेयर की कल्पना कर ली गयी है कि उसके ज़रिए कार्यक्रम के किरदार यानी मेहमान संगीत सुन सकेंगे. ये प्रोग्राम, साप्ताहिक है और मेहमानों की पसंद की सीडी साक्षात्कार के दरम्यान चलायी जाती है. प्रोग्राम की मियाद आमतौर पर चालीस मिनट रहती है. लेकिन स्टीफन हॉकिंग का ये इंटरव्यू अपवाद रहा जो इस अवधि से ज़्यादा देर तक रिकॉर्ड किया गया. ये इंटरव्यू 1992 के क्रिसमस दिवस पर प्रसारित हुआ था.

 

कई मामलों में स्टीफन आप निर्जन द्वीप के अकेलेपन को पहले से ही समझते हैं, सामान्य भौतिक जीवन से कटे हुए और संचार के प्राकृतिक साधनों से वंचित, आपके लिए ये कितना अकेलापन है?

मैं नहीं समझता कि मैं सामान्य ज़िंदगी से कटा हुआ हूं. और मैं नहीं सोचता कि मेरे आसपास के लोग कहेंगे कि मैं ऐसा था. मैं खुद को अपाहिज व्यक्ति नहीं मानता- सिर्फ इतना कि मेरी मोटर न्यरोन्स में कुछ गड़बड़ियां हैं, समझिए कि मैं कलर ब्लाइंड हूं. मुझे लगता है कि मेरी ज़िंदगी स्वाभाविक नहीं कही जा सकती लेकिन आत्मिक तौर पर मैं महसूस करता हूं कि ये सामान्य है.

और तो और इस कार्यक्रम के अन्य किरदारों से अलग आप खुद को पहले ही साबित कर चुके हैं कि आप मानसिक और बौद्धिक तौर पर आत्मनिर्भर हैं, कि खुद को व्यस्त रखने के लिए आपके पास कई सिद्धांत और प्रेरणा हैं.

मुझे लगता है कि मैं कुदरती तौर पर थोड़ा अंतर्मुखी हूं और संचार में मेरी मुश्किलों ने मुझे खुद पर निर्भर रहने को बाध्य किया है. लेकिन मैं छुटपन में बहुत बातूनी था. खुद को जागृत करने के लिए मुझे अन्य लोगों से बातचीत की ज़रूरत रहती है. अपने विचार दूसरों को समझाने से मुझे अपने काम में बड़ी मदद मिलती है. भले ही उनसे मुझे कोई सुझाव नहीं मिलते लेकिन दूसरों को समझाने के लिए मुझे जब अपने विचारों को व्यवस्थित करना होता है तो इससे कई बार मुझे आगे का रास्ता दिख जाता है.

लेकिन स्टीफन भावनात्मक भरपाई का क्या ? कुशाग्र भौतिकविद् को भी ये जानने के लिए दूसरों की ज़रूरत पड़ती है.

भौतिकी यूं तो बहुत अच्छी है लेकिन ये पूरी तरह से ठंडी है. मैं सिर्फ भौतिकी से अपनी ज़िंदगी नहीं चला सकता था. दूसरों की तरह, मुझे भी उष्णता, प्रेम और निष्ठा की दरकार है. एक बार फिर मैं बहुत भाग्यशाली हूं, मेरी जैसी अयोग्यताओं वाले दूसरे लोगों की अपेक्षा कहीं ज़्यादा भाग्यशाली कि मुझे बड़े पैमाने पर प्यार और अपनापन नसीब हुआ है. इस माने में संगीत भी मेरे लिए बहुत अहम है.

 

ये बताएं कि कौन सी चीज़ से आपको ज़्यादा खुशी मिलती है. भौतिकी या संगीत ?

मुझे कहना पड़ेगा कि भौतिकी में जब मैं कुछ न कुछ खोजता और हासिल करता रहता हूं तो उससे मुझे जितनी खुशी मिलती है उतनी संगीत से नहीं. लेकिन इस तरह की कामयाब बातें किसी के करियर में चुनिंदा ही होती हैं., जबकि डिस्क तो जब चाहे बजायी जा सकती है.

और पहला रिकॉर्ड जो आप अपने निर्जन द्वीप पर बजाना चाहते हैं ?.

पूलांग्क ( फ्रांसीसी संगीत रचनाकार) का ‘ग्लोरिया’, मैंने पहली बार इसे कोलोराडो के एस्पन में पिछली गर्मियों में सुना था. एस्पन यूं तो स्काई रिसार्ट है लेकिन गर्मियों में वहां भौतिकी पर बैठकें होती हैं. फिजिक्स सेंटर के साथ वाला दरवाजा एक विशाल टेंट में खुलता है जहां संगीत महोत्सव किया जाता है. आप यहां जब इस बात पर सिर खपा रहे होते हैं कि ब्लैक होल के ग़ायब होने के बाद क्या होता है उसी दौरान आप रिहर्सल की आवाज़ें सुन सकते हैं. ये आदर्श स्थिति है. इसमें मेरी दो प्रमुख खुशियां मिल जाती हैं, भौतिकी और संगीत. अगर ये दोनों मुझे मेरे वीरान टापू पर मुहैया करा दी जाएं तो मैं यहां से निकाला जाना नहीं चाहूंगा. माने तब तक जब तक कि मैं सैद्धांतिक भौतिकी में ऐसी कोई खोज न कर लूं जो दुनिया को बताने लायक हो. इ-मेल से मुझे मेरे फिजिक्स के पर्चे मिल जाएं इसके लिए शायद मुझे टापू पर एक सैटेलाइट डिश तो मुश्किल मिलेगी, ये नियमों के ख़िलाफ़ होगा.

शारीरिक कमियों को रेडियो छिपा लेता है लेकिन इस मौके पर ये तो कुछ और छिपा रहा है. स्टीफन, सात साल पहले आपकी आवाज़ चली गयी, क्या आप बताएंगे कि हुआ क्या था?

मैं जेनेवा में था. 1985 की गर्मियों की बात है. वैगनर का ‘रिंग’ ऑपेरा देखने के लिए मैं जर्मनी के बेरूश जाने की तैयारी कर रहा था कि तभी न्यूमोनिया ने मुझे जकड़ लिया, मुझे फौरन अस्पताल ले जाया गया. जेनेवा के अस्पताल वालों ने मेरी पत्नी को सलाह दी कि लाइफ सपोर्ट मशीन को चालू रखना बेकार है. लेकिन वो सुनने को राज़ी नहीं हुई. मुझे विमान से कैंब्रिज के एडिनब्रूक्स अस्पताल लाया गया, जहां रोजर ग्रे नाम के एक सर्जन ने मेरे गले का ऑप्रेशन
(ट्रैकियोटॉमी) किया. उस ऑप्रेशन से मेरी ज़िंदगी तो बच गयी लेकिन मेरी आवाज़ जाती रही.

लेकिन उस दौरान तो आपकी आवाज़ भर्राने लगी थी और समझ नहीं आता था कि आप क्या बोल रहे हैं. है न ?!. बोलने की क्षमता तो लगता है आखिरकार आपसे यूं भी बिछुड़ने वाली थी, क्यों ?

भले ही मेरी आवाज़ डूब रही थी और उसे समझना मुश्किल था तो भी मेरे नज़दीक के लोग मुझे समझ लेते थे. मैं दुभाषिए की मदद से सेमिनार में बोलता था और मैं वैज्ञानिक पर्चे डिक्टेट कर सकता था. लेकिन ऑप्रेशन के बाद के कुछ समय तक तो मैं बरबाद हो गया था. मुझे महसूस हुआ कि अगर मुझे मेरी आवाज़ वापस न मिली तो जीना बेकार है.

कैलिफोर्निया के एक कंप्यूटर विशेषज्ञ ने आपकी व्यथा के बारे में पढ़ा और आपको एक आवाज़ भेज दी. ये कैसे काम करती है?.

उसका नाम था वॉल्ट वोल्तोज़. उसकी सास की हालत भी मेरी तरह थी, उसके लिए उसने बातचीत में मदद के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित किया था. करसर स्क्रीन पर घूमता रहता है. अपनी पसंद के विकल्प पर इसे लाते ही एक स्विच चलाना पड़ता है, सिर या आंखो को घुमाकर या जैसे मेरे मामले में, हाथ से. इस तरह स्क्रीन के निचले हिस्से में अंकित शब्दों को चुना जा सकता है. जो आप कहना चाहते हैं एकबारगी उसे निर्मित कर लेने के बाद उसे एक स्पीच सिंथेसाइज़र को भेज दिया जाता है या डिस्क पर सेव कर लिया जाता है.

लेकिन ये तो एक धीमी प्रक्रिया है.

हां ये धीमा तो है, अंदाजन ये रफ़्तार सामान्य बोलचाल की रफ़्तार का दसवां हिस्सा होती है. लेकिन स्पीच सिंथेसाइज़र स्पष्ट आवाज़ निकालता है, मेरी पहले की आवाज़ से ज्यादा स्पष्ट. ब्रिटेन के लोग इसका लहजा अमेरिकी बताते हैं लेकिन अमेरिकी कहते हैं ये स्कैनडिनैवियाई या आयरिश है. पर ये जो भी हो, सभी इसे समझ लेते हैं. मेरे बड़े बच्चे मेरी आवाज़ के ख़राब होने के साथ उसी मौलिक लहजे को समझने लगे थे लेकिन मेरा सबसे छोटा बेटा जो मेरे ऑप्रेशन के समय महज़ छह साल का था उससे पहले मुझे कभी नहीं समझ पाता था. अब उसे कोई दिक्कत नहीं है. मेरे लिए इस बात के बड़े माने है.

इसके माने ये भी हैं कि आपके पास किसी भी इटरव्यू लेने वाले के सवालों को भली भांति परखने का बेहतर समय रहता है और आपको जवाब तभी देने की ज़रूरत है जब आप ठीक से तैयार हो जाएं, क्या ऐसा नहीं है.

मोटे तौर पर इस तरह के रिकॉर्डेड कार्यक्रमों में सवालों पर पहले से ग़ौर कर लिए जाने से मदद मिलती है, इससे होता ये भी है कि मैं रिकार्डिंग टेप के कई घंटे इस्तेमाल नहीं करता. एक तरह से इससे मेरे पास ज़्यादा नियंत्रण रहता है, लेकिन मैं वास्तव में अनायास सवालों के जवाब देना पसंद करता हूं. सेमिनारों और लेक्चरों के बाद मैं यही करता हूं.

लेकिन जैसा कि आपने कहा, इस प्रक्रिया का मतलब आपके पास नियंत्रण रहता है और मुझे मालूम है कि ये बात आपके लिए काफी अहम है. आपका परिवार और आपके दोस्त कभी कभार आपको अड़ियल या बॉसपना झाड़ने वाला शख्स कहते हैं. इस पर क्या आप कुछ कहना चाहेंगे कि आप ऐसे नहीं हैं.

जिस किसी में भी सोचने की क्षमता है उसे कभी कभार अड़ियल या ज़िद्दी कहा ही जाता है. मैं ये कहूंगा कि मैं दृढ़ निश्चयी हूं. अगर मैं साफतौर पर इरादों का पक्का न होता तो आज यहां न होता.

क्या आप हमेशा से ऐसे ही थे.

मैं अपने जीवन पर उसी स्तर का नियंत्रण चाहता हूं जैसे अन्य लोगों का होता है. आमतौर पर होता ये है कि विकलांगों की ज़िंदगी दूसरे लोग चलाते हैं. कोई भी शारीरिक रूप से समर्थ व्यक्ति ये नहीं चाहेगा.

चलिए आपका दूसरा रिकॉर्ड चलाया जाए

ब्राह्मस का वॉयलिन कन्सर्ट, ये पहला एलपी था जिसे मैने खरीदा. 1957 की बात है जब 33 आरपीएम के रिकॉर्डस ब्रिटेन में प्रकट हुए ही थे. रिकॉर्ड प्लेयर खरीदना मेरे पिता को फिजूलखर्ची लगता था लेकिन मैंने उन्हें ज़ोर देकर मनाया कि मैं कुछ पार्टस खरीद कर उन्हें असेंबल कर एक प्लेयर का जुगाड़ कर दूंगा. ये बात उन्हें किसी यॉर्कशायर वाले की तरह जंच गयी. एक पुराने 78 ग्रामोफोन के केस में मैने टर्नटेबल और एम्प्लीफायर रख दिए. अगर मैं इसे संभाले रहता तो आज ये बेशकीमती होता.
रिकॉर्ड प्लेयर बना लेने के बाद, मुझे उस पर बजाने के लिए कुछ चाहिए था. एक स्कूली दोस्त ने ब्राह्मस वॉयलिन के रिकॉर्ड की सलाह दी. क्योंकि हमारे स्कूली सर्किल में ये वाला किसी के पास नहीं था. मुझे याद है कि इसकी कीमत 35 शैलिंग थी जो उस ज़माने के बहुत ज़्यादा थी, ख़ासकर मेरे लिए. रिकॉर्ड के अब तो काफी ऊंचे दाम हो गए हैं लेकिन वास्तव में ये फिर भी काफी कम कीमतें हैं.
जब पहली बार एक दूकान पर मैने ये रिकॉर्ड सुना मुझे लगा कि ये विचित्र आवाज़ थी. और मैं तय नहीं कर पा रहा था कि मुझे ये पसंद है या नहीं. लेकिन मुझे कहना पड़ेगा कि अंदर से मैं महसूस कर रहा था कि ये रिकॉर्ड मुझे पसंद है. कई साल गुज़र जाने के बाद भी लगता है कि मुझे इसकी बहुत ज़रूरत है. मैं अभी मंद गति का शुरूआती हिस्सा प्ले करूंगा.

आपके एक पुराने पारिवारिक मित्र ने कहा है कि जब आप लड़के थे आपका परिवार, और मैं अगर कोट करूं, ‘बहुत बुद्धिमान बहुत समझदार और बहुत अजीबोगरीब था .’ जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या ये विवरण ठीक लगता है आपको.

मैं ये टिप्पणी तो नहीं करूंगा कि मेरा परिवार बुद्धिमान था या नहीं, लेकिन अपने को हमने कभी अजीबोग़रीब नहीं माना. मुझे लगता है कि सेंट अल्बान्स के रहने जीने के तौर तरीकों की वजह से हम वैसे दिखते होंगे. जब हम वहां रहते थे तो वो जगह ऊबाऊ और भदेस थी.

और आपके पिता ट्रॉपीकल (उष्णकटिबंधीय) देशों में होने वाली बीमारियों के विशेषज्ञ थे.

मेरे पिता ने ट्रॉपिकल मेडेसिन में रिसर्च की थी. नई दवाओं का परीक्षण करने वो कई बार अफ्रीका जाते थे.

तो क्या आपकी मां का आप पर ज़्यादा असर है. वो असर कैसा था..

नहीं, मेरे पिता का मुझ पर ज़्यादा प्रभाव था. मैने उनको अपने मॉडल के रूप में देखा. क्योंकि वो वैज्ञानिक शोधकर्ता थे. मैं सोचता था कि बड़े होने पर वैज्ञानिक शोध करना ही स्वाभाविक बात है. एक अकेला अंतर ये था कि मैं चिकित्सा और जीव विज्ञान की तरफ आकर्षित नहीं हुआ क्योंकि दोनों बहुत अपर्याप्त और विवरणात्मक थे. मैं कुछ ज़्यादा बुनियादी चीज़ चाहता था और भौतिकी में मुझे वो चीज़ मिल गयी.

आपकी मां ने कहा है कि आपमें हमेशा हैरानी का एक तीव्र बोध रहा है. उन्होंने कहा : ‘मैं देखती कि तारे उसे खींच लेते थे.’ क्या आपको इसकी याद है.

मुझे याद है कि एक बार लंदन में देर रात मैं घर लौट रहा था. उन दिनों पैसे बचाने के लिए आधी रात को सड़कों की बत्तियां बुझा दी जाती थीं. मैने रात के आकाश को देखा, वैसा मैने पहले कभी नहीं दिखा था. तारों का काफ़िला मेरे सामने से गुज़र रहा था. मेरे वीरान टापू पर कोई स्ट्रीट लाइट नहीं होगी लिहाज़ा मैं तारों को भली भांति देख सकूंगा.

ज़ाहिर है. आप बचपन में बहुत तेज़ थे. घर पर खेलों में भी आप अपनी बहन के मुकाबले कमतर न थे, लेकिन स्कूल में व्यवहारिक तौर पर आप क्लास में सबसे फिसड्डी रह जाते थे और आपको इसकी परवाह भी न थी, क्या ऐसा ही था.

सेंट अल्बांस स्कूल में वो मेरा पहला साल था. लेकिन मैं कहूंगा कि वो बहुत विलक्षण क्लास थी और मै क्लास के मुक़ाबले परीक्षाओं में ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन करता था. मुझे पक्का यकीन था कि मैं वाकई अच्छा कर सकता हूं-सिर्फ अपनी हैंडराइटिंग और बेढबपने की वजह से मैं लुढक जाता था.

तीसरा रिकॉर्ड चलाएं.

ऑक्सफोर्ड में जब मैं अंडरग्रेजुएट था, मैने एल्डस हक्सले का उपन्यास ‘प्व्यांट काउंटर प्व्यांट’ पढ़ा. उसे 1930 के दशक की झांकी बताया गया था और उसमें पात्रों की भरमार थी. उनमें से ज़्यादातर तो महज़ ‘कार्डबोर्ड’ थे लेकिन एक ऐसा किरदार भी था जो ज़्यादा मानवीय लगता था और ज़ाहिरा तौर पर उसमें हक्सले की खुद की छवि थी. उपन्यास में वह सर ओसवाल्ड मोज़ले के चरित्र पर आधारित एक पात्र को मार डालता है जो बरतानी फाशिस्टों का मुखिया था. फिर वह अपनी पार्टी को बता देता है कि उसने ये काम कर दिया है और ये बताकर बीटोफेन के स्ट्रिंग क्वारटेट(चतुष्टय)-ओपस 132 का रिकॉर्ड ग्रामोफोन पर बजाना शुरू कर देता है. संगीत के तीसरे मोड़ के बीचोंबीच दरवाज़े पर दस्तक होती है. वह दरवाजा खोलने उठता है और फाशिस्टों के हाथों मारा जाता है.

ये वाकई बहुत बुरा नॉवल है लेकिन संगीत के अपने चयन पर हक्सले सही थे. अगर मुझे पता चलता कि ज्वार भाटे से भरी कोई बेक़ाबू लहर मेरे वीरान टापू को निगलने बढ़ी आ रही है तो मैं बीटोफेन के इसी क्वारटेट(चतुष्टय) का तीसरा चरण बजाता.

आप ऑक्सफोर्ड तक गए, यूनिर्वसिटी कॉलेज तक, गणित और भौतिकी पढ़ने जहां आपने अपने खुद के हिसाब से पूरे दिन में करीब एक घंटा ही अपने काम में लगाया. कहा तो ये भी जाता है कि आपने ख़ूब नौका विहार किया, बीयर पी और लोगों के साथ कुछ मस्ती में बेहूदा मजाक भी किए. आपकी क्या समस्या थी. आपका ध्यान काम पर क्यों नहीं लगता था.

ये पचास के दशक के अंत की बात है. और अधिकांश युवाओं का एस्टेब्लिशमेंट से मोहभंग हो गया था. बेतहाशा आराम और ऐय्याशी के अलावा कुछ भी नहीं सूझता था. उस समय कंज़रवेटिव अपना तीसरा चुनाव इस नारे के साथ जीत कर आए ही थे कि ‘इतने अच्छे हालात आपको कभी नहीं मिले.’ लेकिन मैं और मेरे कई समकालीन, ज़िंदगी से ऊब गए थे.

फिर भी आप उन समस्याओं को चंद घंटों में सुलझा लेते थे जो आपके साथी छात्र हफ्ते लगाकर भी नहीं कर पाते थे. उन्हें शायद मालूम था और जो उन्होंने माना भी है कि आपके पास असाधारण प्रतिभा थी. क्या आपको ये बात पता थी, क्या कहेंगे आप.

ऑक्सफोर्ड में भौतिकी का तत्कालीन कोर्स हास्यास्पद रूप से सरल था. बिना किसी लेक्चर में जाए, सप्ताह में एक या दो ट्यूटोरियल अटेंड कर किसी का भी बेड़ा पार हो जाता, बहुत ज़्यादा तथ्य याद रखने की ज़रूरत नहीं थी, सिर्फ कुछ समीकरणें.

लेकिन क्या ये ऑक्सफोर्ड की बात नहीं जब आपने पहली बार ये नोट किया कि आपके हाथ और पांव ठीक वैसा नहीं कर रहे हैं जैसा कि आप उनसे कराना चाहते थे. उस समय ये बात आपने खुद को किस तरह समझायी.

वास्तव में जो पहली चीज़ मैने नोट की, वो ये थी कि मैं पतवार वाली नाव को ठीक से नहीं खे पा रहा हूं. फिर एक बार मैं कॉलेज में जूनियर कॉमन रूम की सीढ़ियों से बुरी तरह गिर गया था. इस घटना के बाद मैं कॉलेज के डॉक्टर के पास गया क्योंकि मैं चिंतित था कि कहीं मुझे दिमागी चोट तो नहीं आयी. लेकिन उसे लगा कि कोई गड़बड़ नहीं थी और उसने मुझे बीयर कम करने की सलाह दी. ऑक्सफोर्ड में फाइनल इम्तहान के बाद मैं गर्मियों में पर्शिया चला गया. जब मैं लौटा तो निश्चित रूप से कमज़ोर हो गया था, लेकिन मैंने सोचा कि पेट बिगड़ जाने से मेरा ये हाल हुआ होगा.

लेकिन किस मोड़ पर आपने आखिरकार मान लिया कि कुछ न कुछ वाकई गड़बड़ है और फिर चिकित्सा परामर्श लेने का फैसला किया.

मैं उस वक्त कैंब्रिज में था और क्रिसमस में घर चला गया था. 1962-63 का वो कड़ी सर्दी का मौसम था. मेरी मां ने मुझे ज़ोर देकर कहा कि जाओ सेंट अल्बान्स की झील में स्केट कर आओ. जबकि मैं जानता था कि मैं वास्तव में इस हालत में नहीं था. मैं गिर पड़ा और उठने में मुझे बहुत दिक्कत हुई. मेरी मां ने महसूस किया कि कहीं कुछ गड़बड़ है. वो मुझे फैमिली डॉक्टर के पास ले गयी.

और तब अस्पताल में तीन हफ्ते…..वहां आपको और बुरी ख़बर बतायी गयी.

असल में वो लंदन का बार्टस अस्पताल था. क्योंकि मेरे पिता उसी से जुड़े थे. मैं वहां दो सप्ताह रहा, मुझ पर कई परीक्षण हुए लेकिन वहां मुझे ये कभी नहीं बताया गया कि माजरा क्या है, सिवा इसके कि ये एमएस(मल्टीपल स्कलेरोसिस) नहीं है और कि ये कोई टिपिकल केस भी नहीं है. मुझे ये नहीं बताया गया कि ठीक होने की क्या संभावनाएं हैं. लेकिन ये अनुमान तो मैंने लगा ही लिया कि संभावनाएं बहुत क्षीण हैं, इसलिए मैं पूछना नहीं चाहता था.

और आखिरकार आपको बता दिया गया कि जीने के लिए आपके पास महज़ दो चार साल ही हैं. स्टीफन आपकी कहानी के इस मोड़ पर थोड़ा रूकते हैं और आपका अगला रिकॉर्ड बजाते हैं.

‘द वालकिरी, एक्ट वन.’ मैलकोयर और लैहमन वाला ये दूसरा शुरूआती एलपी था. मूल रूप से ये 78s पर युद्ध से पहले रिकॉर्ड किया गया था और 60 के दशक की शुरूआत में इसे एलपी पर ट्रांसफर किया गया. 1963 में जब मेरी बीमारी का पता चल गया कि ये मोटर न्यूरान डिज़ीज है, मेरा झुकाव वैगनर की तरफ हो गया जो मेरी उस दौर की अंधेरे उदासी और अवसाद से भरी मनोदशा के अनुकूल था. दुर्भाग्यवश मेरा स्पीच सिंथेसाइज़र बहुत पढ़ा लिखा नहीं है और ये वैगनर का उच्चारण W के हल्के स्वर के साथ करता है. मुझे उसे हिज्जे कर बताना पड़ता है V-A-R-G-N-E-R तब जाकर वो क़रीब क़रीब सही सुनायी देता है.
‘रिंग’ के चार ऑपेरा वैगनर का सबसे बड़ा काम हैं. मैं 1964 में अपनी बहन फिलिप्पा के साथ जर्मनी के बेरूश में उन्हें देखने गया था. उस समय मैं ‘रिंग’ के बारे में ठीक से नहीं जानता था. और चक्र में दूसरे ऑपेरा ‘द वालकिरी’ ने मुझ पर ज़बर्दस्त असर डाला. ये वुल्फगांग वैगनर का प्रोडक्शन था और मंच लगभग पूरी तरह से अंधेरे में था. ये दो जुड़वां लोगों की प्रेमकथा है-सिगमंड और सीगलींद जो बचपन में बिछुड़ गए थे. वे दोबारा तब मिल पाते हैं जब सिगमंड को हंडिंग के घर शरण लेनी पड़ती है जो सींगलींद का पति और सिगमंड का जानी दुश्मन है. जो अंश मैने चुना है उसमें सीगलींद, हंडिंग से विवशता में किए विवाह की घटना बताती है. समारोह के बीच एक बूढ़ा आदमी हॉल में आता है. ऑकेस्ट्रा पर वैलहाल्ला बजता है जो रिंग में सबसे प्यारी थीम है क्योंकि वो वोतान है, देवताओं का मुखिया और सिगमंड और सीगलींद का पिता. वो एक पेड़ के तने पर एक तलवार घोंप देता है जो सिगमंड के लिए है. ऑपेरा के इस भाग के अंत में सिगमंड तलवार को खींच निकालता है और दोनों जंगल में भाग जाते हैं.

 

आपके बारे में पढ़ते हुए स्टीफन, क़रीब क़रीब ऐसा लगता है कि मौत की सज़ा जो आपके लिए तय कर दी गयी थी कि आप दो चार साल में दुनिया से चल बसेंगे, इससे आप जाग गए, और मेरे ये कहने से आपको अगर अच्छा लगे कि, आपको इससे जीवन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला.

उसका मुझ पर पहला प्रभाव तो अवसाद का था. लगता था बहुत तेज़ी से मेरी हालत बिगड़ती जा रही है. कुछ भी करने का या अपनी पीएचडी पर काम करने का कोई मतलब नहीं रह गया था क्योंकि मैं नहीं जानता था कि उसे पूरा करने के लिए मैं उतनी देर ज़िंदा भी रह पाऊंगा. लेकिन तभी चीज़ों में कुछ सुधार होना शुरू हो गया. धीरे धीरे ये हालत और बढ़ती गयी और मैने अपने काम में तरक्की की शुरूआत कर दी, विशेषकर ये साबित कर दिखाने में कि ब्रह्मांड की शुरूआत निश्चित रूप से महाविस्फोट से हुई होगी.

आपने अपने एक साक्षात्कार में भी कहा है कि आप खुद को बीमारी से पहले के दिनों के मुक़ाबले अब ज़्यादा खुश पाते हैं.

मैं वाकई अब बहुत खुश हूं. मोटर न्यूरान बीमारी की चपेट में आने से पहले मैं ज़िंदगी से ऊब गया था लेकिन आसन्न मृत्यु की आशंका ने मुझे अहसास करा दिया कि ज़िंदगी तो वाकई जीने लायक है. करने को इतना कुछ है. इतना कुछ कि कोई भी कुछ भी कर सकता है. मुझे उपलब्धि की एक सच्ची अनुभूति होती है कि मैने अपनी हालत के बावजूद मनुष्य ज्ञान को समर्थ बनाने में एक अदना सा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ज़ाहिर है, मैं बहुत खुशकिस्मत हूं लेकिन अगर हर कोई कड़ी मेहनत करे तो उसे कुछ न कुछ ज़रूर हासिल हो सकता है.

क्या आप ये कहने का जोखिम उठा रहे हैं कि अगर आपको मोटर न्यूरान बीमारी न होती तो आप वो सब नहीं हासिल कर पाते जो आपके पास है., या ये कहना सरलीकरण होगा.

नहीं. मै नहीं मानता कि मोटर न्यूरान बीमारी किसी के लिए भी फ़ायदेमंद हो सकती है. लेकिन मेरे लिए ये दूसरों के मुक़ाबले कम नुकसानदेह इसलिए रही क्योंकि मैं जो काम करना चाहता था उससे ये बीमारी मुझे रोक नहीं पाई, और वो काम ये समझने की कोशिश करने का था कि ब्रह्मांड कैसे ऑपरेट होता है.

जब आप अपनी बीमारी से जूझ रहे थे आपकी एक अन्य प्रेरणा थी जेन वाइल्ड नाम की एक युवती जिसे आप एक पार्टी में मिले थे और प्यार कर बैठे थे जिसकी परिणति विवाह के रूप में हुई. अपनी कामयाबी का कितना श्रेय आप उन्हें, जेन को देते हैं.

उसके बिना मैं निश्चित रूप से ये सब मैनेज नहीं कर पाता. उसके प्रेम ने मुझे अवसाद की गहरी दलदल से उबार दिया. शादी से पहले मुझे एक अदद नौकरी चाहिए थी और अपनी पीएचडी को पूरा करना था. मैने कड़ी मेहनत शुरू कर दी और पाया कि उसमें मुझे मज़ा आ रहा है. जैसे जैसे मेरी हालत बिगड़ती गयी जेन ने अकेले अपने दम पर मेरा ख़्याल रखा. उस अवस्था में कोई भी हमारी मदद करने को तैयार न था और हम भी कतई इस हालत में नहीं थे कि मदद की कोई कीमत चुका सकें.

और एक साथ आप दोनों ने डॉक्टरों को हरा दिया, सिर्फ इस रूप में नहीं कि आप बाकायदा ज़िंदा रहे बल्कि इसलिए भी कि आपने संतानें भी पैदा कीं. 1967 में आपका बेटा रॉबर्ट पैदा हुआ, 1970 में बेटी लूसी और फिर 1979 में एक और बेटा-टिमोथी. कितने स्तब्ध थे डॉक्टर लोग.

वास्तव में जिस डॉक्टर ने मेरी बीमारी बतायी थी उसने तो मुझसे पहले ही पल्ला झाड़ लिया. उसको लगता था कि इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता था. शुरूआती जांच के बाद मैने उसे फिर कभी नहीं देखा. नतीजतन मेरे पिता मेरे डॉक्टर बन गए. और मैं उनसे ही सलाह लेने लगा. उन्होंने मुझे बताया कि इस बीमारी के आनुवांशिक होने का कोई प्रमाण नहीं है. जेन ने मेरी देखभाल भी की और दो बच्चों की भी. 1974 में कैलिफोर्निया जाने पर ही हमें बाहरी मदद लेनी पड़ी, पहले एक छात्र था जो हमारे साथ रहता था और बाद में ये काम नर्सों ने संभाला.

लेकिन अब आप और जेन एक साथ नहीं हैं.

मेरे ट्रेकियोटोमी ऑप्रेशन के बाद मुझे 24 घंटे सुश्रुषा की ज़रूरत थी. उससे विवाह पर ज़्यादा और ज़्यादा दबाव पड़ता गया. नतीज़तन मैं निकल आया और अब मैं कैंब्रिज में एक नए फ्लैट में रहता हूं. अब हम अलग अलग रहते हैं.

आइये थोड़ा और संगीत सुना जाए

बीटल्स का ‘प्लीज़ प्लीज़ मी.’ मेरी पहले चार अपेक्षाकृत गंभीर चयन के बाद मुझे कुछ हल्की राहत चाहिए. पॉप के बासी और भद्दे हो चुके माहौल में, मेरे और कईयों के लिए बीटल ग्रुप ताज़ा हवा के झोंके की तरह आया था. मैं रेडियो लक्ज़मबर्ग पर इतवार की शामों को टॉप टवेन्टी सुना करता था.

स्टीफन हॉकिंग, आपको इतने सारे सम्मान मिले,, और इस बात का विशेष उल्लेख ज़रूरी है कि आप कैंब्रिज में गणित के लुकेसियन प्रोफेसर के पद से सम्मानित भी किए गए हैं-ये वही पद है जो आइज़ैक न्यूटन ने भी ग्रहण किया था, इस सब के बावजूद फिर भी आपने अपने काम पर एक लोकप्रिय किताब लिखने का निश्चय किया, मेरे हिसाब से, महज़ एक बहुत ही साधारण वजह से. आपको पैसों की ज़रूरत थी.

मैनें सोचा था कि एक लोकप्रिय किताब से मै कुछ ठीकठाक पैसे कमा लूंगा लेकिन ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ लिखने की मुख्य वजह ये थी कि मुझे लिखने में मज़ा आया. मैं पिछले पच्चीस साल में हुई खोज़ों के बारे में उत्तेजित था और लोगों को मैं उनके बारे में बताना चाहता था. मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि ये किताब इतनी ज़बर्दस्त बिकेगी.

यकीनन, इसने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए और बेस्ट सेलर लिस्ट में सबसे लंबे समय तक रहने का रिकार्ड भी इसी के नाम गिनीज़ बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज है. उस लिस्ट में ये अब भी है. किसी को अंदाज़ा नहीं कि दुनिया भर में कितनी कॉपियां बिकी होंगी लेकिन निश्चित रूप से ये संख्या एक करोड़ से ऊपर होगी. लोग ज़ाहिर है इसे खरीदते हैं. लेकिन एक सवाल बार बार पूछा जा रहा है कि क्या वे इसे पढ़ते हैं.

 

मैं जानता हूं बर्नार्ड लेविन उनतीसवें पेज पर अटक गए थे. लेकिन मैं जानता हूं कि बहुत से लोग और आगे गए होंगे. दुनिया भर में लोग मेरे पास आते हैं और बताते हैं कि उन्हें वो कितनी पसंद आयी. वे उसे पूरा न पढ़ पाए हों या जो कुछ भी पढ़ा हो वह समझ न आया हो लेकिन उन्हें एक विचार तो मिल ही गया है कि हम एक ऐसे ब्रह्मांड में रहते हैं जो ऐसे औचित्य भरे नियमों से संचालित है जिन्हें हम खोज सकते हैं और समझ सकते हैं.

ब्लेक होल की अवधारणा ही सबसे पहले लोगों की कल्पना को भा गयी और कॉस्मोलॉजी में लोगों का रूझान फिर बना. क्या आपने कभी उन तमाम तारामंडलियों को देखा है, यूं कहें कि ‘हिम्मत बांध कर वहां गए जहां इससे पहले कोई आदमी नहीं गया.’ अगर हां तो क्या आपको मज़ा आया.

जब मैं किशोर था तो बहुत सा साइंस फिक्शन पढ़ता था. लेकिन अब जबकि मैं इसी क्षेत्र में काम करता हूं तो अधिकांश गल्प विज्ञान मुझे सतही लगता है. अगर आपको इसे एक मुकम्मल तस्वीर का हिस्सा नहीं बनाना है तो हाइपर स्पेस ड्राइव और प्रकाश से संचालित आवाजाही पर लिखना बहुत आसान है. वास्तविक विज्ञान कहीं ज़्यादा रोचक है क्योंकि वाकई वहां यथार्थ में सब हो रहा है. भौतिकविदों से पहले गल्प विज्ञान लेखकों ने ब्लैक होल का कभी ज़िक्र नहीं किया. लेकिन अब हमारे पास उनके काफी तादाद में होने के बेहतर प्रमाण हैं.

अगर आप ब्लैक होल में गिर गए तो क्या होगा.

साइंस फिक्शन पढ़ने वाले हर शख्स को पता है कि वहां गिरने से क्या होता है. वहां गिरने से आपका कीमा बन जाता है. लेकिन ज़्यादा दिलचस्प बात ये है कि ये काले गड्ढे पूरी तरह से काले नहीं. एक स्थिर दर से वे कणों को और विकिरणों को वापस भेजते रहते हैं. इस वजह से काला गड्ढा धीरे धीरे वाष्पित होता रहता है. लेकिन अंतिम तौर पर ब्लैक होल और उसकी सामग्री का क्या होता है, ये पता नहीं चल पाया है. ये रिसर्च का एक रोचक क्षेत्र है लेकिन गल्प विज्ञान के लेखकों ने अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया है.

और वो आपने जिन विकिरणों का ज़िक्र किया वो ज़ाहिर है हॉकिंग रेडिएशन कहलाती है. ब्लैकहोल की खोज करने वाले आप नहीं थे फिर भी आप ये साबित कर आए हैं कि वे काले नहीं है. क्या ऐसा नहीं है कि पूर्व में की गयी इन खोजों की बदौलत ही आप ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में और नज़दीक जाकर सोचना शुरू कर पाए.

ब्लैकहोल में बदलने के लिए एक तारे का सिकुड़ना कई मानों में ब्रह्मांड के फैलाव का उलट काल है. एक तारा एक निचले घनत्व वाली अवस्था से बहुत ऊंचे घनत्व वाली अवस्था में विघटित होता है. और ब्रह्मांड एक बहुत ऊंचे घनत्व वाली अवस्था से निचले घनत्वों में फैलता जाता है. एक बहुत अहम अंतर ये है कि हम ब्लैक होल के बाहर और ब्रह्मांड के भीतर हैं. लेकिन दोनों की एक विशेषता है-तापीय विकिरण(थर्मल रेडिएशन).

आप कहते हैं कि ब्लैक होल और उसके माल असबाब का अंतिम तौर पर क्या होता है, ये नहीं मालूम किया जा सका है. लेकिन मुझे लगता है कि आपकी थ्योरी ये है कि जो कुछ भी ब्लैकहोल के भीतर हुआ, जो कुछ भी उसमें अदृश्य हुआ, चाहे वो एक अंतरिक्षयात्री क्यों न हो, वो सब आखिरकार हॉकिंग रेडिएशन के रूप में पुनर्चक्रित(रिसाईकिल) हो जाएगा.

अंतरिक्ष यात्री की द्रव्यमान ऊर्जा, ब्लैक होल से उत्सर्जित विकिरण के तौर पर रिसाईकिल होगी. लेकिन अंतरिक्षयात्री खुद या जिन कणों से वो निर्मित है, वे ब्लैक होल से नहीं निकल पाएंगे. इसलिए सवाल ये है कि उनका क्या होता है. क्या वे नष्ट हो जाते हैं या वे अन्य ब्रह्मांड में निकल जाते हैं. यही वो बात है जो मैं शिद्दत से जानना चाहता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि मेरा इरादा उस काले गड्ढे में कूद जाने का है.

स्टीफन, क्या आप किसी पूर्वाभास(इंट्यूशन) के तहत काम करते हैं- कहने का मतलब ये कि आप किसी ऐसी थ्योरी तक पहुंचते हैं जिसे आप पसंद करते हैं और जो आपको आकर्षित करती है और फिर आप उसे साबित करने में जुट जाते हैं. या एक वैज्ञानिक के तौर पर आपको हमेशा एक नतीजे की तरफ का रास्ता तार्किक ढंग से तय करना पड़ता है और आप पूर्वानुमान लगाने की कोशिश का जोखिम नहीं उठाते.

मैं पूर्वाभास पर बहुत भरोसा करता हूं. मैं किसी नतीजे का अनुमान लगाने की कोशिश करता हूं. लेकिन फिर मुझे वो साबित करना पड़ता है. और इस अवस्था में, कई बार ये पाता हूं कि जो मैने सोचा था वो सच नहीं है या मामला असल में कुछ और है जिसके बारे में मैंने सोचा ही नहीं था. इसी तरह मैने ये पाया कि ब्लैक होल या काले गड्ढे पूरी तरह से काले नहीं हैं. मैं कुछ और साबित करना चाहता था.

और संगीत सुनें ?

मोत्सार्ट हमेशा मेरे प्रिय संगीतकारों में रहे हैं. उन्होंने अविश्वसनीय पैमाने पर संगीत रचनाएं लिखी हैं. इस साल के शुरू में मेरे पचासवें जन्मदिन पर मुझे उनके समस्त काम की एक सीडी भेंट की गयी, दो सौ घंटे से ज़्यादा की. मैं अब भी इसमें मुब्तिला हूं. उनकी महानतम रचनाओं में से एक है- ‘रेक्वीम.’ मोत्सार्ट इसके पूरा होने से पहले ही चल बसे थे, और उनके एक शागिर्द ने इसे उनके छोड़े टुकड़ों से पूरा किया. जो रचना हम सुनेंगे ये इस रचना का वो अकेला हिस्सा है जिसे मोत्सार्ट ने अपने जीते जी लिपिबद्ध और संगीतबद्ध कर लिया था.

आपके सिद्धांतो का अति सरलीकरण करने के लिए और मुझे उम्मीद है स्टीफन आप मुझे इसके लिए क्षमा करेंगे, कि आप एक दौर में मानते थे जैसा कि मुझे समझ आता है कि उत्पत्ति का एक बिंदु है- महाविस्फोट. लेकिन आपने आगे कभी ये नहीं माना कि यही मामला था. अब आप मानते हैं कि कोई शुरूआत नहीं थी और न ही कोई अंत है, और ये कि ब्रह्मांड स्वनिर्धारित है. क्या इसका मतलब ये है कि उत्पत्ति जैसी कोई घटना नहीं हुई थी और इसीलिए ईश्वर की कोई जगह नहीं है.

जी हां आपने अति सरलीकृत कर दिया है. मैं अब भी ये मानता हूं कि वास्तविक समय में ब्रह्मांड का प्रारंभ था, महाविस्फोट के रूप में. लेकिन एक दूसरी तरह का समय भी है, काल्पनिक समय, जो वास्तविक समय के समकोण पर अवस्थित है जिसमें ब्रह्मांड का न प्रारंभ है न ही अंत. इसका अर्थ ये हुआ कि ब्रह्मांड की शुरूआत कैसे हुई, ये तय होगा भौतिकी के नियमों से. किसी को ये नहीं कहना पड़ेगा कि ईश्वर ने किसी ऐसे निरंकुश तरीके से ब्रह्मांड की रचना की जो हमारी समझ से बाहर है. ये इस बारे में कुछ नहीं कहता कि ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं-इतना बताता है कि ईश्वर मनमानी नहीं कर सकता.

अगर इस बात की संभावना है कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है तो फिर आप उन चीज़ों
के बारे में क्या कहेंगे जो विज्ञान से इतर हैं- प्रेम, विश्वास जो लोगों में रहता है और जो उनमें आपके लिए है और यकीनन आपकी अपनी प्रेरणा से भी जुड़ा है.

प्रेम, विश्वास और नैतिकता भौतिकी की अलग कैटगरी में आते हैं. आप भौतिकी के नियमों से ये नहीं बता सकते कि किसी आदमी को कैसा व्यवहार करना चाहिए. लेकिन ये उम्मीद की जा सकती है कि भौतिकी और गणित के तर्कसंगत विचार, नैतिकता को व्यवहार में लाने में किसी का मार्गदर्शन कर सकते हैं.

लेकिन मेरे ख्याल से कई लोग ये मानते हैं कि आपने असरदार ढंग से ईश्वर की खिल्ली उड़ाई है. तो फिर क्या आप इस बात को नकार रहे हैं.

जो कुछ भी मेरे काम ने दिखाया है उसमे ये है कि आपको ये नहीं कहना पड़ता कि ईश्वर की मनमर्जी से ब्रह्मांड प्रकट हुआ. लेकिन आपके पास तब भी एक सवाल रहता है-‘फिर भला ये ब्रह्मांड अस्तित्व में क्योंकर है’. अब ये सवाल ऐसा है कि आप चाहें तो इसका जवाब देने के लिए ईश्वर की परिभाषा गढ़ सकते हैं.

आइये, सातवां रिकार्ड बजाएं.

मुझे ऑपेरा बहुत पसंद है. मैने सोचा था कि मेरी सभी आठों डिस्क, ऑपेरा वाली हों. ग्लक से लेकर मोत्सार्ट तक, वैगनर से होते हुए, वेर्डी और प्युचिनी तक. लेकिन अंत में मै दो ही चुनता हूं. एक होना चाहिए वैगनर और दूसरा प्यूचिनी. ‘तूरांदों’ उनका सर्वश्रेष्ठ ऑपेरा है लेकिन फिर देखिए कि इसे पूरा करने से पहले उनकी मृत्यु हो गयी. जो अंश मैने चुना है उसमें प्राचीन चीन की एक राजकुमारी की कथा है कि कैसे उसका बलात्कार कर मंगोल उसे अपने साथ ले जाते हैं. इसका बदला लेने के लिए ‘तूरांदों’ अपने चहेतों से तीन सवाल पूछने जा रही है. अगर वे जवाब न दे पाए तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा.

आपके लिए क्रिसमस का क्या अर्थ है

ये कुछ कुछ अमेरिका वालों के थैक्स गिविंग की तरह है, एक ऐसा मौका जब आप अपने परिवार के साथ होते हैं और पिछले साल का शुक्रिया अदा करते हैं. ये वो समय भी है जब आप आगे के साल की तरफ देखते हैं जैसा कि एक अस्तबल में एक शिशु के जन्म के रूप में दर्शाया गया है.

और भौतिक इच्छाओं की बात करें, आपने कौन से उपहारों की फरमाइश की है- या फिर इन दिनों आप इतने संपन्न है कि आप एक ऐसे शख्स हैं जिसके पास सब कुछ है

मैं विस्मय को तवज्जो देता हूं. अगर किसी खास चीज़ की मांग कर ली जाए तो आप देने वाले को उसकी आज़ादी से वंचित कर देते हैं या उसे अपनी कल्पनाशीलता का उपयोग करने के अवसर से रोक देते हैं. लेकिन मुझे ये पता चल जाने में अब कोई संकोच नहीं कि मैं चॉकलेट ट्रफल्स का दीवाना हूं.

अभी तक स्टीफन आप अनुमान से तीस साल ज़्यादा जी गए हैं. आपकी संताने भी हैं जो कहा गया था कि आप कभी पैदा नहीं कर पाएंगे, आपने एक बेस्टसेलर लिख डाली है, दिक् और काल के बारे में वर्षो पुरानी मान्यताओं से भरे लोगों के मस्तिष्कों को आपने बदल डाला है. इस ग्रह से विदा होने से पहले आप और क्या करने की योजना बना रहे हैं स्टीफन.

ये सब इसीलिए मुमकिन हो सका क्योंकि मैं ख़ुशकिस्मत रहा हूं कि मुझे भारी सहयोग मिलता रहा है. मैं जो कुछ हासिल कर पाया उससे ख़ुश हूं. लेकिन जाने से पहले मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं. मैं अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में बात नहीं करूंगा लेकिन वैज्ञानिक तौर पर मैं ये जानना चाहता हूं कि ग्रैविटी और क्वांटम मैकेनिक्स को कैसे एकीकृत किया जाए. विशेष रूप से मैं ये जानना चाहता हूं कि वाष्पीकृत होने के बाद ब्लैक होल का क्या होता है.

और अब अंतिम रिकॉर्ड

इसका उच्चारण करने में आपको मेरी मदद करनी होगी. मेरा स्पीच सिंथेसाइज़र अमेरिकी है और फ्रांसीसी में ये निराश करता है. ये हैं Edith Piaf जो गा रहे हैं ‘je ne regretted rien’. इसमें मेरी ज़िंदगी का निचोड़ है.

अब स्टीफन अगर आपको उन आठों रिकॉर्डो में से किसी एक को ही ले जाना हो तो वो कौन सा होगा.

वो मोत्सार्ट का ‘रेक्वेम’ होना चाहिए. मैं उसे तब तक सुन सकता हूं जब तक कि मेरे डिस्क वॉकमैन की बैटरी जवाब न दे जाएं.

और आपकी किताब. ज़ाहिर है शेक्सपियर का संपूर्ण काम और बाईबल यहां पड़े हैं.

मैं सोचता हूं कि मैं जॉर्ज इलियट की ‘मिडिल मार्च’ ले जाऊंगा. किसी ने, शायद वर्जीनिया वूल्फ ने, कहा था कि ये किताब व्यस्कों के लिए है. मुझे नहीं पता कि मैं अभी बड़ा हो पाया हूं या नहीं, लेकिन फिर भी मैं इसे पढ़ने की कोशिश करूंगा.

और विलासिता यानी ऐश के लिए क्या ले जाएंगे.

मैं ढेर सारी ‘क्रेमे ब्रूअले’(Crème brûlée-फ्रांसीसी डेज़र्ट, अंग्रेज़ी में बर्न्ट क्रीम) लूंगा. मेरे लिए वही सबसे बड़ी ऐश है.

चॉकलेट ट्रफल्स नहीं ! तो फिर: ये रही आपके लिए ढेर सारी क्रेमे ब्रुअले ! डॉ स्टीफन हॉकिंग, हमें अपने निर्जन द्वीप का संगीत सुनाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद और हैप्पी क्रिसमस,

मुझे बुलाने के लिए आपका धन्यवाद. मैं अपने वीरान टापू से आप सबको क्रिसमस की शुभकामनाएं देता हूं. शर्तिया मैं आपसे बेहतर हाल में हूं.

(इस इंटरव्यू के अनुवादक शिवप्रसाद जोशीः कवि, पत्रकार, अनुवादक, टीवी समाचार मीडिया में दो दशकों से भी अधिक समय तक कार्य. बीबीसी रेडियो से जुड़े रहे. जर्मन रेडियो डॉयचे वेले में बॉन में संपादक के रूप में कार्य. नये मीडिया विमर्श पर दो किताबों के सह लेखक. गद्य और कविता की किताबें और बॉन के संस्मरणों की एक किताब शीघ्र प्रकाश्य )

शिवप्रसाद जोशी

 

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