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कठुआ और उन्नाव की घटना के खिलाफ महिला और छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया

नई दिल्ली. कठुआ और उन्नाव में हुए बलात्कार के मामलों में आरोपियों को बचाने की कोशिशों के ख़िलाफ़ आज दिल्ली में महिला संगठनों और छात्र संगठनों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया.

कठुआ (काश्मीर) की रहने वाली 8 साल की बच्ची के साथ बर्बर बलात्कार और हत्या के ख़िलाफ़ और साथ ही उन्नाव में एक नाबालिग़ लड़की के बलात्कार के बाद पीडिता के पिता की उत्तर प्रदेश पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के ख़िलाफ़ दिल्ली के कई महिला संगठनों और छात्र संगठनों ने मिलकर दिल्ली के संसद मार्ग पर संयुक्त रूप से प्रतिरोध मार्च निकाला.

इस विरोध प्रदर्शन में ऐपवा, ऐडवा, एनएफआईडब्ल्यू, पीएमएस, जेएनयू स्टूडेंट यूनियन, आइसा, एसएफआई, केवाईएस और कई अन्य समूहों और नागरिकों ने शिरकत की.

इन दोनों घटनाओं  ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस दोनों ही मामलों में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने जिस तरीके से आरोपियों के बचाव कोशिश की है, वह शर्मनाक है. बीजेपी के मंत्री और आरएसएस से जुड़े संगठन आरोपियों को समर्थन में बंद और रैलियों का खुले आम समर्थन कर रहे हैं और उसमें शिरकत कर रहे हैं.  बीजेपी ने सत्ता में आने के पहले नारा दिया था – “बहुत हुआ नारी पर वार/ अबकी बार मोदी सरकार .” लेकिन अब इन दोनों घटनाओं पर प्रधानमंत्री से लेकर सभी मंत्री और पदाधिकारी चुप हैं.

7 अप्रैल के दिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के बाहर 16 वर्षीय एक लड़की और उसके परिवार ने उन्नाव के बीजेपी के वर्तमान  एम्एलए कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई पर पिछले वर्ष जून के महीने में लड़की के साथ बलात्कार किये जाने के ख़िलाफ़ आत्मघात की कोशिश की. 10 महीने तक लगातार लड़की और उसके परिवार ने पुलिस थाने में कई कई बार शिकायत दर्ज कराई और थाने के चक्कर काटने के बावजूद आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई केस दर्ज नहीं हो पाया. काफ़ी दबाव के बाद जब एफआईआर दर्ज हो भी पाया तब पुलिस ने उसमें एमएलए का नाम डालने से मना कर दिया.

पीड़िता और उसके परिवार ने जब एफआईआर में आरोपी एमएलए का नाम जोड़ने के लिए 3 अप्रैल को मजिस्ट्रेट से मिलने की कोशिश की तभी उन्नाव पुलिस ने फर्जी मुक़दमे को आधार पर पीड़िता के पिता को गिरफ्तार कर लिया. ठीक इस घटना के बाद पीड़िता ने आत्महत्या की कोशिश की, उधर लड़की के पिता को पुलिस कस्टडी में एमएलए के भाई के कहने पर बेदर्दी से मारा पीटा गया जिसके कारण 9 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गयी .बीजेपी एमएलए बिना किसी भय के इस समय भी आज़ाद घूम रहा है. इतना ही नहीं उन्हें उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ साथ कई जगह सभाओं में भी देखा जा सकता है और उन्होंने तो  यहाँ तक कह दिया है पीड़िता और उसका परिवार ‘निम्न स्तर के लोग’ हैं. काफी दबाव पर कल विधायक के खिलाफ केस दर्ज हुआ और मामला सीबीआई को ट्रांसफर हुआ लेकिन विधायक को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और गृह सचिव और डीजीपी कह रहे हैं कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी.

एक अन्य दिल दहला देने वाला बलात्कार का मामला इस साल जनवरी की शुरुआत में सामने आया जिसमें जम्मू की बकरेवाल समुदाय की एक 8 वर्षीय बच्ची को ड्रग्स और सीडेटिव दिया गया, बिजली के झटके लगाये गए, 8 दिनों तक लगातार सामूहिक बलात्कार किया गया. इसके बाद उसका गला घोंटा गया और  दो बार उस पर पत्थरों से वार किया गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जो चार्जशीट जारी की गयी है बह यह दर्शाती है कि आसिफ़ा को मरने से पहले किस किस तरह की क्रूरताओं से गुज़रना पड़ा था. जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच के अनुसार आसिफ़ा का बलात्कार और हत्या बकरेवाल समुदाय में खौफ़ पैदा करने की मंशा से किया पूर्व-नियोजित कृत्य था. इस घटना के आरोपी स्पेशल पुलिस ऑफिसर और अन्य आरोपियों ने इस घटना को इस घूमंतू जाति के लोगों को खौफज़दा करने और राजनीतिक मंशा से अंजाम दिया.

जब इस जघन्य अपराध के आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया तो बीजेपी और उसके समर्थकों ने आरोपी को बचाने के लिए एक हिंसक सांप्रदायिक समूह का रूप अख्तियार कर लिया और आरोपी को बचाने की कोशिश करने लगे. हिन्दू एकता मंच ने आरोपी के पक्ष में जम्मू में एक तिरंगा मार्च निकाला जिसकी अगुवाई लाल सिंह चौधरी और चंदर प्रकाश गंगा जैसे बीजेपी के नेतागण और बीजेपी-पीडीपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के मंत्रिगण कर रहे थे.  कठुआ बार एसोसिएशन ने आरोपी के ख़िलाफ़ चार्जशीट फाइल न होने पाए इसके लिए 4 घंटे तक प्रक्रिया को बाधित रखा. जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन(जम्मू) के सदस्यों ने जो की बीजेपी से जुड़े हुए हैं हिन्दू एकता मंच के आह्वान पर इस पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए बनाये जा रहे माहौल में शामिल हो गए हैं जिसके चलते उन्होंने 11 अप्रैल को जम्मू बंद का कॉल भी दिया था. आसिफ़ा को न्याय दिलाने के लिए उसका केस लड़ रही एक महिला वकील को भी खुले आम बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा धमकियाँ मिल रहीं हैं.

आज संसद मार्ग पर हुए प्रदर्शन में जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की  अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा कि ‘  हम माहिलाओं का शरीर तुम्हारे जंग का मैदान नहीं है कि तुम आसिफ़ा जैसी बच्चियों के बलात्कार और हत्या को अंजाम देकर अपनी सांप्रदायिक राजनीति का गन्दा खेल खेल सको’. हम महिलाएं आज उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ये सवाल पूछना चाहती हैं कि तुम्हारा एमएलए कुलदीप सिंह सेंगर इतने संगीन आरोप के बावजूद भी कैसा खुला घूम रहा है ? बलात्कार का शिकार नाबालिग लड़की का पिता जो अपनी बेटी के लिए न्याय कि मांग कर रहा था उसे पुलिस कस्टडी में पीट पीट कर मारा डाला जाता है,इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए योगी सरकार इस्तीफ़ा क्यों नहीं दे देती ?

ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि बलात्कार का आरोपी उन्नाव का भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर खुलेआम घूम रहा है जबकि अपनी बेटी के लिए न्याय कि मांग कर रहा पिता पुलिस कस्टडी में मारा जा चुका है. दूसरी तरफ कठुआ में आसिफ़ा के बलात्कार और हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग देकर आरोपी को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं. अब क्या पीड़ित और आरोपी का धर्म इस देश में न्याय की प्रक्रिया को तय करेगा ? बीजेपी ये क्यों कह रही है की फाइल की गयी चार्जशीट गलत है और इस तरह से उन बार काउंसिल के सदस्यों की उस हरकत को सही ठहरा रही है जिसके तहत उन लोगों ने चार्जशीट को फाइल होने में बाधा खड़ी की थी.

ऐडवा की मरियम ने कहा कि इस देश की महिलाएं इस तरह कि सरकार को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगें जो की बलात्कार के आरोपी को बचाता है और पीड़िताओं का और अधिक उत्पीड़न करता है. सरकार को ये अधिकार कौन देता है जिसके तहत उसने बलात्कार के मुख्य आरोपी को खुले आम घूमने की इजाज़त दे रखी है ?

आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता दे ने कहा कि “ ये मात्र संयोग नहीं है कि उन्नाव, कठुआ और दिल्ली के जेएनयू में बलात्कार, हत्या और यौन-उत्पीड़न के दोषियों को राज्य और आरएसएस की मशीनरी द्वारा बचाने की कोशिश की जा रही है जबकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में तो बीजेपी की सरकार है ही. आज इस प्रदर्शन के माध्यम से हम उन्हें ये बता देना चाहते हैं कि इस सांप्रदायिक रणनीति से अब वो और अधिक अपनी महिला-विरोधी मानसिकता और कार्यवाहियों को छुपा नहीं पायेंगें. सत्ता में बैठे हुए लोगों को हम ये चेतावनी देना चाहते हैं कि बलात्कार के आरोपियों को बचाने के लिए तिरंगें का इस्तेमाल करना बंद करें. तुम आसिफ़ा के दोषी हो, तुम उत्तरप्रदेश की महिलाओं के दोषी हो, तुम समूचे देश की महिलाओं के दोषी हो.”

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